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मास्टर प्लान: रांची के 184 गांवों में होगा विकास

रांची : राजधानी के मास्टर प्लान में रांची नगर निगम के 55 वार्ड और रांची क्षेत्रीय विकास प्राधिकार (आरआरडीए) क्षेत्र के 114 राजस्व गांव शामिल हैं. मास्टर प्लान में शामिल किये गये क्षेत्रों में 184 गांव (कुल रकबा 652.02 वर्ग किमी) है. मास्टर प्लान निगम क्षेत्र के 175.12 वर्ग किमी और आरआरडीए क्षेत्र के 477.08 […]

रांची : राजधानी के मास्टर प्लान में रांची नगर निगम के 55 वार्ड और रांची क्षेत्रीय विकास प्राधिकार (आरआरडीए) क्षेत्र के 114 राजस्व गांव शामिल हैं. मास्टर प्लान में शामिल किये गये क्षेत्रों में 184 गांव (कुल रकबा 652.02 वर्ग किमी) है. मास्टर प्लान निगम क्षेत्र के 175.12 वर्ग किमी और आरआरडीए क्षेत्र के 477.08 वर्ग किमी क्षेत्र पर लागू होगा. मास्टर प्लान आगामी 25 साल (वर्ष 2037 तक) की अनुमानित आबादी 31.58 लाख और उसकी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है.

मास्टर प्लान में वर्तमान शहर के अलावा नगड़ी, कांके, रातू, नामकुम, अनगड़ा, ओरमांझी और कर्रा प्रखंड के कई गांवों को शामिल किया गया है. अंदाजा लगाया गया है वर्ष 2037 तक रांची नगर निगम क्षेत्र के अंतर्गत 22.9 लाख लोग रहने लगेंगे, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों की जनसंख्या बढ़ कर 8.67 लाख हो जायेगी.
इनर सरकुलर रोड की परिकल्पना
मास्टर प्लान में शहर के लिए निर्माणाधीन रिंग रोड के अतिरिक्त एक 45 मी चौड़ी और कुल 51.93 किमी लंबी इनर सरकुलर रोड की परिकल्पना भी की गयी है. 16.8 किमी लाइट रेल ट्रांसमिशन सिस्टम (एलआरटीएस) के लिए कॉरिडोर चिह्नित किया गया है.

इसी कॉरिडोर पर मोनो रेल चलाने की योजना राज्य सरकार बना रही है. बिरसा मुंडा विमान पतनम के एक्सपेंशन के लिए मास्टर प्लान में 817.67 हेक्टेयर भूमि चिह्नित की गयी है. प्लान में एक ट्रक टर्मिनल, पांच इंटर सिटी बस टर्मिनल, 25 ग्रेट सेपरेटर्स और 12 रेल ब्रिज का प्रावधान किया गया है. नगर विकास विभाग द्वारा अधिसूचना जारी किये जाने के बाद मास्टर प्लान के मुताबिक ही शहर का विस्तार किया जायेगा. भूमि का इस्तेमाल निर्धारित किया जायेगा. मास्टर प्लान के मुताबिक ही आवासीय, व्यावसायिक व अन्य क्षेत्रों की पहचान की जायेगी. नक्शों की स्वीकृति भी मास्टर प्लान के मुताबिक की जायेगी.
लोगों को मिल सकेगा सस्ता आवास
नये मास्टर प्लान के आने से रियल इस्टेट के कारोबार में तेजी आने की संभावना है. राजधानी के लोगों को सस्ता आवास मिलने का सपना साकार हो सकता है. बाजार जानकारों के अनुसार, मास्टर प्लान के आने से रांची शहर का विस्तार होगा. इसका दायरा रिंग रोड तक बढ़ जायेगा. इसमें नये अावासीय क्षेत्र जुड़ेंगे. एग्रीकल्चर भूमि पर आवासीय नक्शे पास हो पायेंगे.

जमीन की उपलब्धता बढ़ने पर नये-नये प्रोजेक्ट आ सकेंगे. इससे लोगों को सस्ते आवास मिलने का सपना पूरा हो पायेगा. अब तक राजधानी रांची का विकास 32 वर्ष पहले वर्ष 1983 में तैयार किये गये मास्टर प्लान के अनुरूप हुआ था. यह भी मास्टर प्लान पूरी तरह से लागू नहीं हो पाया. पुराने मास्टर प्लान के तहत अपर बाजार, मेन रोड और कचहरी रोड को ही व्यावसायिक स्थल के रूप में माना गया था. जबकि नये मास्टर प्लान में हर मुख्य सड़क के आसपास व्यावसायिक स्थल चिह्नित किये गये हैं. नये मास्टर प्लान के लागू होने से रांची शहर की परिधि पांच गुणा बढ़ कर 640 वर्ग किलोमीटर हो जायेगी. पहले रांची का म्यूनिसिपल एरिया 120 वर्ग किलोमीटर ही तय किया गया था. नये मास्टर प्लान के आने से अावासीय, व्यावसायिक, चिकित्सीय सुविधा, पार्क, ट्रांसपोर्ट नगर आदि कई जगह चिह्नित किये गये हैं. इसके आने से अव्यवस्थित निर्माण कार्य रुकेगा.

क्रेडाई के अध्यक्ष कुमुद झा ने बताया कि शहर में प्रोजेक्ट को डेवलप करने के लिए काफी सीमित जमीन बची है. इसकी वजह से तैयार प्रोपर्टी का रेट मध्यम वर्ग की पहुंच से ज्यादा हो जाता है. नये मास्टर प्लान के आने से शहर का दायर बढ़ेगा. नये-नये प्रोजेक्ट आने से इसका लाभ लोगों को मिलेगा. नये मास्टर प्लान के आने से केंद्र सरकार द्वारा 2022 तक पूरे देश में एफोर्डेबल हाउसिंग (सस्ता आवास) की योजना को साकार करने में सहुलियत मिलेगी.
मास्टर प्लान में टूटेंगी नालियां डूबेंगे सरकार के 46 करोड़
शहर में मास्टर प्लान अगर लागू होता है, तो महत्वपूर्ण सड़कों के किनारे 46 करोड़ रुपये लागत से बनी नालियों को भी तोड़ना होगा. सड़कों के चौड़ीकरण के लिए नालियों को और पीछे किया जायेगा. इस तरह मौजूदा नाली का अस्तित्व समाप्त हो जायेगा. सड़क के किनारे नये सिरे से नालियां बनानी होंगी. कैबिनेट से मास्टर प्लान पास होते ही इस पर चर्चा होने लगी है. सवाल किया जा रहा है कि शहर की सड़कों के किनारे बनी नालियों का क्या होगा?
प्लानिंग व तालमेल का रहा अभाव
शहरीकरण के मामले में प्लानिंग व तालमेल का अभाव स्पष्ट दिख रहा है. सरकार के विभागों के बीच तालमेल नहीं है. यही वजह है कि पहले सिवरेज ड्रेनेज सिस्टम को लेकर मामला फंसा. इस कड़ी में बरियातू रोड पर नाली का काम कराने के बाद रोकना पड़ा, जबकि अन्य जगहों पर भी मामला फंसा है. चर्चा हो रही हैं कि नालियां बन गयी है, फिर सिवरेज ड्रेनेज सिस्टम कैसे बनेगा? अब सड़कें चौड़ी करने की योजना है़ इससे नालियां सड़क किनारे न होकर बीच में आ जायेंगी़ अगर पहले ही सिवरेज ड्रेनेज सिस्टम व मास्टर प्लान को लेकर पथ विभाग के साथ विचार-विमर्श किया जाता, तो राशि डूबने से बच जाती.
जिन सड़कों पर बनी /बन रही नालियां
सड़क का नाम लागत (रुपये)
रातू रोड 3.00 करोड़
हरमू रोड 3.10 करोड़
प्लाजा रोड 45.00 लाख
हिनू रोड 3.05 करोड़
तुपुदाना रोड 3.00 करोड़
डोरंडा-नामकुम रोड 3.15 करोड़
कुल 15.75 करोड़
नोट : लागत लगभग में है. कांके रोड व शहर की अन्य 15 सड़कों पर भी करीब 30 करोड़ रुपये की लागत से नालियां बनायी गयी हैं.

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