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शीतकालीन सत्र से पहले हो सकती है सदन में बैठने की व्यवस्था

नयी दिल्ली. लोकसभा में विभिन्न दलों के नेताओं के बैठने की व्यवस्था को नये सदन के गठन के करीब छह महीने बाद, अगले महीने तक अंतिम रूप दिये जाने की उम्मीद है. संसद के एक अधिकारी ने कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि शीतकालीन सत्र के पहले इसे अंतिम रूप दे दिया जायेगा.’ 16 मई […]

नयी दिल्ली. लोकसभा में विभिन्न दलों के नेताओं के बैठने की व्यवस्था को नये सदन के गठन के करीब छह महीने बाद, अगले महीने तक अंतिम रूप दिये जाने की उम्मीद है. संसद के एक अधिकारी ने कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि शीतकालीन सत्र के पहले इसे अंतिम रूप दे दिया जायेगा.’ 16 मई को 16वीं लोकसभा के चुनाव परिणाम की घोषणा के बाद से ही यह एक मुद्दा बना हुआ है. संसदीय मामलों पर कैबिनेट कमेटी की एक बैठक अगले महीने होनेवाली है. चर्चा है कि इस बैठक में 24 नवंबर से शुरू होने और एक महीने तक चलने वाले शीतकालीन सत्र के बारे में फैसला हो सकता है. आम तौर पर शीतकालीन सत्र 23 दिसंबर को या इससे पहले खत्म होता है. नयी लोकसभा में विपक्ष का नेता नहीं है. विपक्षी खेमे में सबसे बड़ा समूह कांग्रेस है, लेकिन उसके पास केवल 44 सीटें हैं. 543 सदस्यों वाले सदन में यह अब तक की सबसे कम संख्या है. सदन के भीतर सामने की कतार की सीटों की सभी नेताओं को आस रहती है और इन सीटों पर बैठ पाना संसद सदस्यों के लिए प्रतिष्ठा की बात मानी जाती है. पिछली लोकसभा में मुख्य विपक्षी पार्टी के तौर पर भाजपा के पास सामने की कतार में पांच सीटें थी. लेकिन, तब उसके पास 114 सांसद थे, जो इस बार कांग्रेस की कुल 44 सीटों के मुकाबले बहुत अधिक था. लोकसभाध्यक्ष सुमित्रा महाजन इस मुद्दे पर बैठक कर चुकी हैं. क्या है व्यवस्था सदन में सामने की कतार में उप लोकभाध्यक्ष सहित 20 सदस्य बैठ सकते हैं. लोकसभा में भाजपा और उसके राजग सहयोगियों की कुल सदस्य संख्या 334 है और इस तरह राजग 12 सीटों का हकदार है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास लोकसभा अध्यक्ष के दायीं ओर वाली कोने की सीट तय है. देरी की एक मुख्य वजह यह है कि अन्नाद्रमुक, तृणमूल कांग्रेस और बीजू जनता दल कांग्रेस के बगल में बैठने के इच्छुक नहीं हैं. अन्नाद्रमुक, तृणमूल कांग्रेस और बीजद के पास कुल 90 सदस्य हैं. अन्नाद्रमुक के 37 जबकि बीजद के 20 सांसद हैं. तृणमूल के एक सांसद का पिछले महीने निधन हो गया, जिसके बाद उसके 33 सांसद हैं.

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