पांच पूर्व नक्सलियों को मुख्यमंत्री ने बांटे नियुक्ति पत्रफोटो राज कौशिक देंगेसंवाददाता, रांची मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि नक्सली या अपराधी जन्म से नहीं होते, परिस्थितिवश वे नक्सली या अपराधी बनते हैं. नौजवानों को डरा धमका कर नक्सली व उग्रवादी बनाया जाता है. स्वेच्छा या शौक से कोई अपराध के क्षेत्र में नहीं जाता है. हम सरेंडर कर चुके पूर्व नक्सली को सरकार का अंग बनाना चाहते हैं. यह सरकार का ऐतिहासिक निर्णय है कि हम उन्हें राज्य की सुरक्षा का जिम्मा सौंप रहे हैं. वे सभी अब पुलिस के रूप में जाने जायेंगे. हेमंत सोरेन ने ये बातें सरेंडर कर चुके पांच पूर्व नक्सलियों को नियुक्ति पत्र देने के दौरान कही. कार्यक्रम का आयोजन एटीआइ सभागार में हुआ था. इस दौरान मुख्यमंत्री ने पूर्व नक्सलियों के परिवारों को उपहार भी दिया. मौके पर स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र सिंह, प्रधान सचिव एनएन पांडेय सहित कई पुलिस अधिकारी उपस्थित थे. मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार द्वारा नक्सली संगठन के नौजवानों को मुख्यधारा में लाने का प्रयास जारी है. जेल के कैदियों को भी आम जीवन देने का भी प्रयास सरकार कर रही है. इसके तहत जेल में डेयरी फार्मिंग बनाने के साथ अन्य व्यावसायिक शिक्षा भी दी जायेगी. ताकि जेल से निकलने के बाद कैदी समाज में अपना व्यवसाय कर सके. इस अवसर पर स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र सिंह ने कहा कि हेमंत सरकार ने बहुत सारे काम किये हैं. ओपन जेल से लेकर सरेंडर किये नक्सलियों को नियुक्ति पत्र दे कर राज्य में एक इतिहास बना दिया गया है. इस अवसर पर प्रधान सचिव एनएन पांडेय ने कहा कि सरकार ने पूर्व नक्सलियों को नियुक्ति पत्र देकर अच्छी शुरुआत की एक नींव डाल दी है. नियुक्ति पत्र देने के साथ नक्सलियों के लिए ओपन जेल खोला गया. नियुक्ति पत्र देकर सरकार ने पूर्व नक्सलियों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने का प्रयास किया है. उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार की सरेंडर पॉलिसी अन्य राज्यों की तुलना में काफी अच्छी है. इस अवसर पर विशेष शाखा के एडीजी रेजी डुंगडुंग, केसएस मीणा, आइजी एमएस भाटिया, अनुराग गुप्ता, आरके मल्लिक, डीआइजी प्रवीण सिंह, एसएसपी प्रभात कुमार, सिटी एसपी अनूप बिरथरे सहित कई पुलिस अधिकारी उपस्थित थे. जिन्हें नियुक्ति पत्र मिलाजिन पांच पूर्व नक्सलियों को नियुक्ति पत्र दिया गया, उन्हें पुलिस विभाग में सिपाही के पद पर नियुक्त किया जायेगा. सुरेश मुंडा – (सारजमडीह, बुंडू) ने कहा कि पुरानी बातों को भूल जाना चाहते हैं. नौकरी पाकर काफी अच्छा लग रहा है. सुरेश वर्ष 2007 मंे कुंदन पाहन दस्ता में शामिल हुआ था. उसे दस्ता में शामिल करने के लिए उठा कर ले जाया गया था. वह कई पुलिस मुठभेड़ में शामिल रहा था. उसने कहा कि डीएसपी प्रमोद कुमार की हत्या में भी वह शामिल रहा है. वर्ष 2013 में उसने सरेंडर किया था.सुनीता कुमारी- (गरूड़पीढ़ी, नामकुम) ने कहा कि पुरानी बातों को याद कर मन कांप जाता है. वह सुशीला दस्ता में थी. उसने कहा कि दस्ता के पुरुष सदस्य उसका शारीरिक शोषण करते थे. वह दस्ता में खाना बनाने का काम करती थी. काफी परेशान होकर उसने सरेंडर करनी की सोची. वह दस्ते में वर्ष 2008 में शामिल हुई थी. उसने वर्ष 2010 में सरेंडर किया था.गीता गंझू – कनाडी (बुढ़मू) ने बताया कि उसे काफी कम उम्र में संगठन में वर्ष 2007 में शामिल कर लिया गया था. वह नक्सली उत्कल व निर्भीक के दस्ता में थी. वहां नक्सली संगठन के लिए उत्थान के लिए बने गीत गा कर लोगों को दस्ता में शामिल होने के लिए प्रेरित करती थी. उसे दस्ता में काफी परेशान किया जाने लगा. उसके बाद उसने वर्ष 2010 में सरेंडर कर दिया. पांडू पाहन – नचलदाग (नामकुम) ने कहा कि उसके घर की आर्थिक स्थिति काफी खराब थी, जिसके कारण वह संगठन में शामिल हुआ था. उसने सोचा था कि आर्थिक स्थिति सुधरेगी. लेकिन दस्ता में आ कर कुछ खास हासिल नहीं हुआ. दशम से नामकुमवाले संगठन में शामिल रहा. उसके बाद उसने सरेंडर करने की सोची. जनवरी 2012 में पांडू पाहन ने सरेंडर कर दिया. इंदी पाहन – (नचलदाग, नामकुम) ने बताया कि घरेलू परिस्थिति के कारण नक्सली बने. सोचा घर की स्थिति में सुधार होगा. वर्ष 2007 में कुंदन पाहन के दस्ता में शामिल हो गये. लेकिन संगठन में उसे कुछ नहीं मिला. वर्ष 2013 में उसने खूंटी में सरेंडर कर दिया.
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व्यक्ति जन्म से नक्सली या अपराधी नहीं होता : हेमंत सोरेन
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