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कोल इंडिया : स्पेशल फीमेल वीआरएस स्कीम बंद

करीब 16000 महिलाओं को इस स्कीम का लाभ मिला रांची : कोल इंडिया की ओर से 2014-15 में स्पेशल फीमेल वीआरएस स्कीम लायी थी. अब इसे बंद करने की घोषणा की गयी है. कोल इंडिया ने इससे संबंधित आदेश जारी कर दिया है. इससे कोल इंडिया में करीब 16000 महिलाओं को लाभ मिला. करीब 400 […]

करीब 16000 महिलाओं को इस स्कीम का लाभ मिला
रांची : कोल इंडिया की ओर से 2014-15 में स्पेशल फीमेल वीआरएस स्कीम लायी थी. अब इसे बंद करने की घोषणा की गयी है. कोल इंडिया ने इससे संबंधित आदेश जारी कर दिया है.
इससे कोल इंडिया में करीब 16000 महिलाओं को लाभ मिला. करीब 400 महिला कर्मियों को इसका लाभ नहीं मिल पाया. इस मामले को लेकर कुछ कर्मी अदालत भी गये थे. इस स्कीम को अदालत ने भी अवैध बताया था. स्कीम में तीन बार संशोधन किया गया.
कोल इंडिया में जिन महिला कर्मियों की नौकरी 10 साल बची हुई थी, उसके लिए यह स्कीन लायी गयी थी. इसमें पुरुष आश्रित को नौकरी देने का प्रावधान किया गया था. इसके आश्रित का कम से कम मैट्रिक पास होने जरूरी था. इसमें आवदेन कम आने के कारण स्कीम में बदलाव किया गया.
10 साल बची नौकरी को घटा कर इसे पांच साल कर दिया गया. वहीं आश्रित के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता शिक्षित रखी गयी. इसमें तय किया गया कि केवल नन टेक्निकल महिलाओं को इस स्कीम का लाभ दिया जायेगा. तकनीकी और नन तकनीकी नौकरी क्या है, इसको लेकर विवाद हो गया था. इसी मामले को लेकर कई कर्मियों के परिजन अदालत चले गये थे.
इसके बाद स्कीम में तीसरी बार बदलाव कर छह माह के लिए दो साल नौकरी बची रहने वाली महिलाओं को लाभ देने का निर्णय लिया गया. इसके लिए आश्रित की योग्यता मैट्रिक पास रखी गयी थी. आश्रित के लिए तीन साल प्रशिक्षण का प्रावधान किया गया था. तीन साल तक स्टाइपेंड देने के बाद स्थायी नौकरी देने की बात कही गयी थी.
42 को कलर ब्लाइंडनेस की थी समस्या
आवेदकों में 42 को कलर ब्लाइंडनेश की समस्या पायी गयी थी. इसको नौकरी देने के लिए भी मजदूर यूनियन और कोल इंडिया प्रबंधन के बीच सहमति बनी थी. बाद में अदालत के आ जाने के कारण इन लोगों को भी इस स्कीम का लाभ नहीं मिल पाया.
महिला मजदूरों के आश्रितों को लाभ देने के लिए यह स्कीम शुरू की गयी थी. इसका कई कंपनियों को लाभ मिला. कई कंपनियों में युवाओं को नौकरी करने का मौका मिला. अब इसको बंद करने की सूचना जारी कर दी गयी है.
लखन लाल महतो, एटक
Prabhat Khabar Digital Desk
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