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विधायिका प्रभावी होगी, तभी बेहतर बनेगा झारखंड : हरिवंश
नवनिर्वाचित विधायकों के प्रशिक्षण कार्यक्रम में राज्यसभा के उप सभापति ने रखे विचार रांची : राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश ने कहा कि बेहतर झारखंड तभी बनेगा, जब विधायिका प्रभावी होगी. विधायिका तभी प्रभावी होगी, जब हर विधायक प्रभावी होगा. श्री हरिवंश बुधवार को प्रोजेक्ट भवन में विधानसभा की ओर से आयोजित विधायकों के दो […]
नवनिर्वाचित विधायकों के प्रशिक्षण कार्यक्रम में राज्यसभा के उप सभापति ने रखे विचार
रांची : राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश ने कहा कि बेहतर झारखंड तभी बनेगा, जब विधायिका प्रभावी होगी. विधायिका तभी प्रभावी होगी, जब हर विधायक प्रभावी होगा. श्री हरिवंश बुधवार को प्रोजेक्ट भवन में विधानसभा की ओर से आयोजित विधायकों के दो दिवसीय प्रक्षिक्षण कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे. विधायिका एवं विधायक के समक्ष चुनौतियों विषय पर हरिवंश ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था से बेहतर दुनिया में कोई व्यवस्था नहीं हो सकती है.
विधायकों को झारखंड को गढ़ने व इसकी नियति को संवारने का मौका मिला है. उन्होंने कहा कि विधायिका मुख्य काम में एक है देश व राज्य के लिए कानून बनाना. जनता की जरूरत व परिस्थिति को ध्यान में रख कर समय पर कानून बनाना जरूरी है. अगर हम उस कानून को 10 साल बाद बनाते हैं, तो समाज के साथ अन्याय करते हैं. समाज को हम मरने की दिशा में लेकर चले जाते हैं.
उन्होंने विलंब से लागू मोटर ह्विकल समेत कई कानूनों का हवाला दिया. कहा कि समय पर कानून नहीं बनने से विधायिका कमजोर हो रही है. जो कानून समाज के लिए प्रभावी है, उसे और बेहतर बनाने की जरूरत है. हमें इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि कानून से आनेवाली पीढ़ी प्रभावित होती है. विधायकों को सदन के नियम व परिनियम को जानने की जरूरत है. डिबेट (बहस) करने से बेहतर दिशा मिलती है. उन्होंने कहा कि विधायकों को संसदीय आचरण व मर्यादा बनाने रखने की जरूरत है.
विधायकों के शोध व प्रशिक्षण के लिए बने केंद्र
हरिवंश ने झारखंड में विधायकों के प्रशिक्षण को लेकर विधायी शोध केंद्र खोलने की वकालत की. उन्होंने कहा कि अब तक झारखंड में 323 विधेयक पारित किये गये. अब हमें देखना होगा कि ये कानून कितने प्रभावी हैं. इसके लिए विधायकों को शोध करने की जरूरत पड़ेगी. उन्होंने कहा कि सूचना क्रांति के दौर में आर्थिक मुद्दे प्रभावी हो गये हैं.
बजट ही समाज को बदलने का माध्यम है. देश वैसे ही चलता है, जैसे घर चलता है. बजट के लिए आर्थिक अनुशासन जरूरी होता है. मौके पर स्पीकर रवींद्रनाथ महतो, संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम, विधायक सीपी सिंह, लोकसभा के पूर्व महासचिव जीसी मल्होत्रा, राज्यसभा के पूर्व अपर सचिव एनके सिंह, पीआरएस के संचालक चक्षु राय व विधायक मौजूद थे.
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