अंबा, पूर्णिमा, व दिनेश मरांडी ने बचायी विरासत रागिनी व आइरिन हारी
रांची : राजनीति के विसात पर कई ऐसे चेहरे भी उतरे जिनके पास अपना पारिवारिक राजनीतिक विरासत था. इनमें कई सफल होकर अपनी विरासत बचाने में सफल रहे. झरिया से पूर्णिमा सिंह, बड़कागांव से अंबा प्रसाद, लिट्टीपाड़ा से दिनेश विलियम्स मरांडी ने अपनी विरासत बचा ली है. जबकि बोकारो से श्वेता सिंह, कोलेबिरा से आइरिन एक्का, झारिया से रागिनी सिंह और रामगढ़ से सुनीता चौधरी को अपने प्रतिद्वंद्वी से मात मिली.
पूर्णिमा ने गोतनी को दी पटखनी
झरिया से कांग्रेस प्रत्याशी पूर्णिमा सिंह ने भाजपा की रागिनी सिंह को पटखनी दी. पूर्णिमा सिंह (स्व. नीरज सिंह की पत्नी) ने 79,786 मत हासिल कर भाजपा की मजबूत सीट झरिया को कांग्रेस की झोली में डाल दिया. उन्होंने 12 हजार 54 मत से अपनी गोतनी रागिनी सिंह को हराया. पूर्व भाजपा विधायक संजीव सिंह की पत्नी रागिनी को 67732 मत ही िमले. दोनों गोतनी की लड़ाई काफी रोचक रही.
फिलवक्त नीरज सिंह की हत्या के आरोप में भाजपा के विधायक रहे संजीव सिंह जेल में है. इस तरह देखा, जाये तो रागिनी अपने पति संजीव सिंह, सास कुंती सिंह और ससुर सूर्यदेव सिंह की झरिया सीट को नहीं बचा पायीं. जबकि जिस झरिया सीट से नीरज सिंह चुनाव जीतना चाहते थे, वहां से वे जीते जी चुनाव नहीं जीत पाये, लेकिन पत्नी ने पति के सपनों को पूरा किया.
पिता-मां की तरह अंबा बनीं विधायक
राजनीति की बिसात पर पूर्व मंत्रियों और विधायकों के वारिस भी कई सीटों पर झारखंड विधानसभा चुनाव 2019 में जोर-आजमाइस कर रहे थे. इनमें पूर्व मंत्री योगेंद्र साव व पूर्व विधायक निर्मला देवी की पुत्री अंबा प्रसाद ने 96,943 वोट लाकर बड़कागांव विधानसभा सीट से जीत दर्ज की. वे कांग्रेस के टिकट पर चुनावी मैदान में थीं. इस तरह पिता और मां की सीट बड़कागांव को बरकरार रखने में अंबा सफल रही.
पूर्व मंत्री एनोस की बेटी आइरिन भी हारी चुनाव
पूर्व मंत्री एनोस एक्का की पुत्री आइरिन एक्का पहली बार झापा की टिकट पर कोलेबिरा से प्रत्याशी थी. लेकिन वे चुनाव हार गयीं. वहां से एनोस एक्का विधायक रह चुके थे. कोलेबिरा से कांग्रेस विधायक रहे प्रत्याशी नमन विकस्ल कोंगारी इस बार भी 48574 मतों से चुनाव जीत गये.
लिट्टीपाड़ा सीट से फिर से झामुमो प्रत्याशी ने ही जीत दर्ज की. पूर्व मंत्री साइमन मरांडी और विधायक रहीं सुशीला हांसदा के पुत्र दिनेश विलियम्स मरांडी ने अपनी विरासत बचाये रखी. उन्होंने 66,663 वोट लाकर अपने निकटतम प्रतिद्वंदी भाजपा के डेनियल किस्कू को 13,903 मतों से हरा दिया.
समरेश सिंह की बहू श्वेता हारी
पूर्व मंत्री समरेश सिंह की बहू श्वेता सिंह इस बार बोकारो से कांग्रेस प्रत्याशी थीं. वे पहली बार चुनाव मैदान में अपनी किस्मत अाजाम रही थीं, लेकिन बिरंची नारायण से हार गयीं. बिरंची ने एक लाख 12 हजार 333 मत लाकर जीत दर्ज की. उन्होंने श्वेता सिंह को 13 हजार 313 मतों से शिकस्त दी. श्वेता सिंह को 99,020 मत मिला.