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हेमंत सोरेन छात्र राजनीति से सत्ता के शिखर तक
सुनील चौधरी रांची : 10 अगस्त 1975 देश में आपात काल लगा हुआ था. तब पूरा बिहार भी आपातकाल के खिलाफ खड़ा हो उठा था. बिहार के ही हजारीबाग (अब रामगढ़)जिले के दूरस्थ एक गांव नेमरा में शिबू सोरेन के दूसरे पुत्र का जन्म हुआ. तब इस बालक के पिता शिबू और माता रूपी सोरेन […]
सुनील चौधरी
रांची : 10 अगस्त 1975 देश में आपात काल लगा हुआ था. तब पूरा बिहार भी आपातकाल के खिलाफ खड़ा हो उठा था. बिहार के ही हजारीबाग (अब रामगढ़)जिले के दूरस्थ एक गांव नेमरा में शिबू सोरेन के दूसरे पुत्र का जन्म हुआ. तब इस बालक के पिता शिबू और माता रूपी सोरेन को इसका भान तक नहीं होगा यह नन्हा शिशु के नन्हें हाथ जब बड़े होंगे तो सत्ता की बागडोर संभालेगा.
तब इसका भान नहीं था कि बिहार से झारखंड अलग राज्य बन भी सकता है. शिबू सोरेन महाजनी प्रथा के खिलाफ आंदोलन में अपनी पहचान बना चुके थे. कई बार उन्हें छिपकर रहना पड़ता था. जब हेमंत को जन्म हुआ उस समय भी वह घर पर नहीं थे. कहा जाता है कि पूत के पांव पालने में ही दिखने लगते हैं. हेमंत बचपन में खेलकूद में आगे रहते थे. वह बच्चों को लीड करते थे. यानी लीडरशिप का विकास उसी दौरा से आरंभ हो गया था. आज वही हेमंत सोरेन दूसरी बार झारखंड का नेतृत्व करने जा रहे हैं.
बोकारो सेंट्रल स्कूल से आरंभिक शिक्षा
हेमंत सोरेन की आरंभिक शिक्षा बोकारो सेक्टर-4 स्थित सेंट्रल स्कूल से हुई. स्कूल में भी दोस्तों के साथ वह खूब मस्ती किया करते थे. अपने ग्रुप का वह लीडर होते थे.
सीएम बनने के बाद आज भले ही हेमंत सोरेन को जेड प्लस की सुरक्षा मिले, पर कभी वो भी दिन था जब वह बोकारो की सड़कों पर बेपरवाह साईकल का पैडल मार इस सेक्टर से उस सेक्टर का चक्कर काटा करते थे. सेक्टर छह स्थिति शॉपिंग सेंटर के नुक्कड़ में हेमंत का दोस्तों के साथ मजमा लगता था. यह बात उनके साथियों को आज भी याद है. कई साथी आज बोकारो में नहीं हैं, पर जब भी आते हैं, हेमंत से मिलना नहीं भूलते. हेमंत भी यदि बोकारो में रहते हैं तो एक गेट टू गेदर हो ही जाती है.
पटना से मैट्रिक की : 1989 में हेमंत सोरेन ने पटना के एमजी हाइ स्कूल में 10वीं कक्षा में दाखिला लिया. पटना से ही उन्होंने मैट्रिक की पढ़ाई की. इसके बाद बोकारो के दोस्तों का साथ भी छूटता गया. 1990 में उन्होंने बोर्ड की परीक्षा पास की. इसके बाद पटना विश्वविद्यालय से आइएससी 1994 में किया. इसके बाद हेमंत ने बीआइटी मेसरा में इंजीनियरिंग में दाखिला लिया.
मेसरा के दिन से ही लीडरशिप क्वालिटी दिखती थी
हेमंत के करीबियों ने बताया कि हेमंत तब काफी मैच्योर थे. उनकी बातों में गंभीरता होती थी. पर दोस्तों के संग चुलबुले हो जाते थे. कॉलेज में भी उनकी लीडरशिप क्वालिटी दिखती थी. कोई भी माहौल हो वह सबको साथ लेकर चलने की बात करते थे. हॉस्टल मे ही रहते थे.
बीआइटी मेसरा के अनुशासन का पालन करते थे. उन्होंने कभी जाहिर नहीं होने दिया कि झारखंड की मांग करने वाले एक शक्तिशाली नेता शिबू सोरेन के वह पुत्र हैं. सादगी से ही रहते थे. हां छुट्टियों में जरुर किसी रेस्त्रां में जाते थे या फिल्म देखते थे. फिल्में सुजाता सिनेमा या उपहार सिनेमा में ही देखते थे. हेमंत को गाना सुनना पसंद है.
जब भी लौंग ड्राइव पर जाते तो गाना सुनना न भुलते थे. हेमंत को गाड़ियों का भी शौक है. गाड़ियों को मेंटेंन रखना उनकी आदत में है. पुरानी गाड़ी को भी चकाचक रखते हैं. इसके लिए वह खुद मेहनत करते हैं. मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए भी हेमंत सोरेन अकसर खुद ही ड्राइव कर प्रोजेक्ट भवन जाया करते थे.हेमंत की इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी हुई. इसी बीच उनकी शादी भी हो गयी. बारीपदा की रहने वाले कल्पना सोरेन से. उनकी पत्नी भी इंजीनियर है. जो आज रांची में फर्स्ट मार्क स्कूल की संचालिका हैं.
हेमंत सोरेन का परिचय
नाम हेमंत सोरेन
जन्मतिथि 10 अगस्त 1975
जन्मस्थान नेमरा (रामगढ़)
पिता का नाम शिबू सोरेन
माता का नाम रूपी सोरेन
पत्नी का नाम कल्पना सोरेन
संतान दो पुत्र नितिन (10वर्ष) व विश्वजीत (6 वर्ष)
विवाह की तिथि 07.02.2006
पारिवारिक पृष्ठभूमि राजनीतिक
शैक्षणिक पृष्ठभूमि
आरंभिक शिक्षा बोकारो सेक्टर-4 स्थित सेंट्रल स्कूल से
मैट्रिक एमजी हाइस्कूल पटना (1990)
आइएससी 1994 (पटना विश्वविद्यालय)
इंजीनियरिंग बीआइटी मेसरा (बीएससी इंजीनियरिंग)
राजनीति में कदम 2003 में झारखंड छात्र मोरचा के अध्यक्ष के रूप में आगे आये.
राज्यसभा सदस्य 24 जून 2009 से चार जनवरी 2010 तक
विधायक बने 23 दिसंबर 2009(दुमका)
किस पद पर रहे उपमुख्यमंत्री व वित्त मंत्री, नगर विकास, आवास, पेयजल, नागर विमानन, खान.
मुख्यमंत्री के पद पर रहे 13 जुलाई 2013 से 27 दिसंबर 2014 तक
2015 से अबतक वह नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में रहे.
सामाजिक गतिविधि ऑल इंडिया संथाली फिल्म एसोसिएशन के मुख्य संरक्षक के पद पर रह चुके हैं. तीरंदाजी, बास्केटबॉल और एथलेटिक्स को बढ़ावा देने में शामिल रहे हैं.
पसंदीदा लेखक प्रेमचंद
आदर्श शिबू सोरेन
पसंदीदा खेल बैडमिंटन और फुटबॉल
रुचि फोटोग्राफी, पेंटिग्स और ड्राइविंग
विशेष रुचि सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी लाना, भ्रष्टाचार और लालाफीताशाही को समाप्त करना. आदिवासियों के विकास के लिए कार्य करना.
विदेश भ्रमण स्पेन, फ्रांस, बेल्जियम, लक्जमबर्ग
खाली समय अध्ययन, टहलना, नेट सर्फिंग, सोशल मीडिया और फिल्म देखना
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