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नेशनल गेम्स घोटाला में तीसरी गिरफ्तारी : एसीबी ने कसा शिकंजा, पूर्व मंत्री बंधु तिर्की गिरफ्तार
रांची : 28.34 करोड़ के नेशनल गेम्स घोटाला मामले में पूर्व खेल मंत्री बंधु तिर्की को एसीबी ने बुधवार को वाणिज्यकर ऑफिस के पास से गिरफ्तार कर लिया. उस वक्त वे अपनी गाड़ी में थे. बंधु तिर्की झाविमो के केंद्रीय महासचिव भी हैं. गिरफ्तारी के बाद बंधु को जांच एजेंसी अपने साथ एसीबी मुख्यालय ले […]
रांची : 28.34 करोड़ के नेशनल गेम्स घोटाला मामले में पूर्व खेल मंत्री बंधु तिर्की को एसीबी ने बुधवार को वाणिज्यकर ऑफिस के पास से गिरफ्तार कर लिया. उस वक्त वे अपनी गाड़ी में थे. बंधु तिर्की झाविमो के केंद्रीय महासचिव भी हैं. गिरफ्तारी के बाद बंधु को जांच एजेंसी अपने साथ एसीबी मुख्यालय ले गयी. वहां से उन्हें पहले सदर अस्पताल स्वास्थ्य जांच के लिए ले जाया गया. उसके बाद एसीबी कोर्ट के प्रभारी विशेष न्यायाधीश दिवाकर पांडेय की कोर्ट में उन्हें पेश किया गया.
कोर्ट ने बंधु को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में बिरसा केंद्रीय कारा भेज दिया. नेशनल गेम्स घोटाले में अब तक जांच एजेंसी की ओर से यह तीसरी गिरफ्तारी है. इससे पूर्व राष्ट्रीय खेल आयोजन समिति के महासचिव एसएम हाशमी और निदेशक रहे पीसी मिश्रा को गिरफ्तार किया गया था. जबकि काेषाध्यक्ष मधुकांत पाठक ने सरेंडर किया था. सभी जमानत पर हैं. इसी मामले में राष्ट्रीय खेल आयोजन समिति के कार्यकारी अध्यक्ष रहे आरके आनंद के खिलाफ पीड़क कार्रवाई किये जाने पर हाइकोर्ट ने रोक लगा दी है.
अवैध संपत्ति साबित हुई, तो जीवनभर नहीं लेंगे बेल : बंधु
गिरफ्तारी के बाद एसीबी कार्यालय ले जाने के बाद बंधु तिर्की गुस्से में नजर आये. कहा कि सरकार की साजिश है. कोई साक्ष्य और कोई गिरफ्तारी आदेश नहीं है.
फिर भी मेरी गिरफ्तारी न्यायालय परिसर से की गयी है. एसीबी के पास मेरे खिलाफ अवैध संपत्ति अर्जित करने से संबंधित सबूत है, तो पब्लिक के सामने लाये. उन्होंने दावा किया कि अगर मेरे पास कोई अवैध संपत्ति निकली, तो मैं जीवनभर बेल नहीं लूंगा. सीबीआइ पहले ही क्लोजर रिपोर्ट दे चुकी है. फिर एसीबी क्या कर रही है.
इनसेट :
एसीबी क्यों मानती है बंधु तिर्की को आरोपी :
एसीबी के मुताबिक, खेल मंत्री रहते बंधु तिर्की ने तत्कालीन मुख्यमंत्री से आदेश लिया था कि नेशनल गेम्स के दौरान जो भी टेंडर फाइनल होगा, वह विभागीय मंत्री के अनुमोदन के बाद ही होगा. इसलिए एजेंसी यह मानती है कि जो भी गड़बड़ी टेंडर या अन्य चीजों में हुई उसमें फाइनल एप्रूवल इनके द्वारा दिया गया था, इसलिए यह मामले में आरोपी है. इनसे जुड़े धनबाद में दो स्क्वैश कोर्ट के निर्माण में वित्तीय अनियमितता की बात पूर्व में सामने आ चुकी है.
दोनों स्क्वैश कोर्ट के निर्माण का काम मुंबई की जाइरेक्स इंटरप्राइजेज नामक कंपनी को दिया गया था. कंपनी की ओर से 1,44,32,850 रुपये का प्राक्कलन प्रस्तुत किया गया. आयोजन समिति के महासचिव एसएम हाशमी ने चार अक्तूबर, 2008 को कला संस्कृति विभाग के सचिव को प्राक्कलित राशि का आवंटन स्क्वैश रैकेट फेडरेशन ऑफ इंडिया को देने का अनुरोध किया. उक्त प्रस्ताव पर निदेशक एवं सचिव की अनुशंसा के बाद विभागीय मंत्री के पास अनुमोदन की फाइल भेजी गयी.
संबंधित फाइल को 20 अक्तूबर, 2008 को तत्कालीन खेलमंत्री बंधु तिर्की ने अनुमोदित कर दिया था. इसी आधार पर बाद में जाइरेक्स इंटरप्राइजेज को स्क्वैश कोर्ट निर्माण के लिए 1,44,32,850 रुपये के भुगतान का नीतिगत निर्णय लिया गया. इसके अलावा इवेंट मैनेजमेंट, खेल सामग्री, प्रचार-प्रसार आदि में हुए टेंडर आदेश इनके द्वारा ही किया गया था.
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