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मनी लाउंड्रिंग मामला : सीए नरेश केजरीवाल मामले में हाइकोर्ट का स्टे ऑर्डर सुप्रीम कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप
शकील अख्तर इडी ने हाइकोर्ट के दिये गये स्टे ऑर्डर को वापस लेने के लिए रिकॉल पिटीशन दायर किया, कहा रांची : मनी लाउंड्रिंग के आरोपी नरेश केजरीवाल के मामले में हाइकोर्ट के ‘स्टे ऑर्डर’ से सुप्रीम कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप हुआ है. प्रवर्तन निदेशालय (इडी) की ओर से हाइकोर्ट द्वारा दिये गये ‘स्टे […]
शकील अख्तर
इडी ने हाइकोर्ट के दिये गये स्टे ऑर्डर को वापस लेने के लिए रिकॉल पिटीशन दायर किया, कहा
रांची : मनी लाउंड्रिंग के आरोपी नरेश केजरीवाल के मामले में हाइकोर्ट के ‘स्टे ऑर्डर’ से सुप्रीम कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप हुआ है. प्रवर्तन निदेशालय (इडी) की ओर से हाइकोर्ट द्वारा दिये गये ‘स्टे ऑर्डर’ को वापस लेने के लिए दायर रिकॉल पिटीशन में यह कहा गया है.
याचिका में यह भी कहा गया है कि माननीय न्यायाधीश द्वारा मुकदमे की सुनवाई से खुद को अलग करने का फैसला करने के बाद मामले में स्टे ऑर्डर जारी रखने के लिए दिया गया अंतरिम आदेश न्यायसम्मत नहीं है.
राज्य में हुए दवा घोटाले में मनी लाउंड्रिंग के पहलू की जांच के बाद इडी ने पीएमएलए कोर्ट में आरोप पत्र दायर किया. इसमें अभियुक्त नरेश केजरीवाल पर पूर्व स्वास्थ्य सचिव डॉक्टर प्रदीप कुमार की नाजायज कमाई को जायज करार देने में मदद करने का आरोप है. सक्षम न्यायालय ने आरोप पत्र के वर्णित तथ्यों और साक्ष्यों के आधार पर अभियुक्त नरेश केजरीवाल के खिलाफ भी 19 नवंबर 2018 को संज्ञान लिया.
इसके बाद इस अभियुक्त ने हाइकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका (299/2019) के अलावा ट्रायल कोर्ट द्वारा लिये गये संज्ञान को चुनौती देते हुए भी याचिका (सीआरएमपी-1399/2019) दायर की. हाइकोर्ट ने तीन अप्रैल 2019 को अग्रिम जमानत याचिका की सुनवाई कर उसे निरस्त कर दिया. अभियुक्त ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की.
सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति न्यायाधीश आर भानुमति और न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुभाष रेड्डी ने सुनवाई के बाद 23 अप्रैल 2019 को एसएलपी खारिज करते हुए अभियुक्त को ट्रायल कोर्ट में सरेंडर करते हुए नियमित जमानत याचिका दायर करने का निर्देश दिया. सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका को निबटाने का निर्देश देते हुए ट्रायल कोर्ट के फैसले तक अभियुक्त की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी गयी.
इडी की याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के आलोक में अभियुक्त ने 17 जून 2019 को पीएमएलए कोर्ट में सरेंडर करते हुए नियमित जमानत याचिका दायर की. हालांकि किसी कारण से एक अगस्त 2019 तक अभियुक्त की जमानत याचिका पर ट्रायल कोर्ट में फैसला नहीं हुआ.
दूसरी तरफ हाइकोर्ट में अभियुक्त द्वारा संज्ञान को चुनौती देनेवाली याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति अमिताभ गुप्ता ने 30 जुलाई को ट्रायल कोर्ट की कार्रवाई पर स्टे ऑर्डर दिया. साथ ही इस मामले को दो अगस्त 2019 को उनके कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया. इस आदेश के आलोक में दो अगस्त 2019 को यह मामला उनके कोर्ट में पेश किया गया. हालांकि उन्होंने इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग करते हुए मुख्य न्यायाधीश की सहमति के बाद इसे दूसरे कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया. साथ ही 30 जुलाई को इस अभियुक्त के मामले में दिये गये स्टे ऑर्डर को जारी रखने का आदेश दिया.
हाइकोर्ट के इस आदेश की वजह से ट्रायल कोर्ट में अभियुक्त की नियमित जमानत याचिका पर सुनवाई नहीं पा रही है. इसलिए इडी ने हाइकोर्ट के आदेश को वापस लेने या इसमें संशोधन करने के लिए रिकॉल पिटीशन दायर किया है.
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