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रांची : 13,600 सीट में 9825 हैं खाली
बीएड कॉलेजों में एडमिशन नहीं ले रहे हैं विद्यार्थी, बढ़ी परेशानी रांची : राज्य के 136 बीएड कॉलेज में विद्यार्थी नामांकन नहीं ले रहे हैं. रांची विवि द्वारा 15 से 28 जुलाई तक करायी गयी काउंसेलिंग में सफल 10 हजार 795 विद्यार्थियों में से मात्र तीन हजार 775 विद्यार्थियों ने ही नामांकन कराया. कुल 13 […]
बीएड कॉलेजों में एडमिशन नहीं ले रहे हैं विद्यार्थी, बढ़ी परेशानी
रांची : राज्य के 136 बीएड कॉलेज में विद्यार्थी नामांकन नहीं ले रहे हैं. रांची विवि द्वारा 15 से 28 जुलाई तक करायी गयी काउंसेलिंग में सफल 10 हजार 795 विद्यार्थियों में से मात्र तीन हजार 775 विद्यार्थियों ने ही नामांकन कराया.
कुल 13 हजार 600 सीटों के लिए हुई काउंसेलिंग में पूर्व में ही 2805 सीटें खाली रह गयी थीं. इस तरह कुल सीटों में 9825 सीटें खाली रह गयीं. यानी आधे से अधिक सीटें खाली रह गयी हैं. नामांकित छात्रों की यह स्थिति देखकर बीएड कॉलेज प्रशासन परेशान है. उनके लिए खर्चा जुटाना मुश्किल हो गया है. अब विद्यार्थी दूसरी काउंसिलिंग या फिर स्लाइडिंग अॉफ सीट का इंतजार कर रहे हैं.
फिलहाल रांची विवि प्रशासन ने विस्तृत रिपोर्ट राज्य सरकार कौ सौंप दी है. अब राज्य सरकार को निर्णय लेना है कि द्वितीय काउंसेलिंग करायी जाये या फिर संबंधित कॉलेज को ही मेरिट के आधार पर नामांकन लेने का अधिकार दे दिया जाये.
रांची विवि ने अपनी ओर से दिया सुझाव : रांची विवि प्रशासन ने सरकार को पॉलिटेक्निक काउंसेलिंग से संबंधित दिशा-निर्देश का हवाला देते हुए इस संबंध में सुझाव भी दिया है. बताया जाता है कि कई कॉलेजों में नामांकन नहीं लेने का मुख्य कारण है कि काउंसेलिंग में जिन विद्यार्थियों को कॉलेज दिया गया, वह उनके लिए स्वीकार्य नहीं था.
यानी पाकुड़ के किसी विद्यार्थी को काउंसेलिंग में डालटनगंज या गढ़वा का कॉलेज मिल गया और उनके लिए वहां रह कर पढ़ाई करना संभव नहीं दिखा. वर्तमान में विनोबा भावे विवि में छात्र को शुल्क के रूप में 90 हजार लगते हैं, जबकि रांची विवि सहित अन्य में लगभग डेढ़ लाख रुपये शुल्क निर्धारित हैं. सरकारी बीएड कॉलेज में शुल्क कम रहता है.
सीटें खाली रह गयी हैं,अब सरकार निर्णय ले : डॉ मिश्र
रांची विवि बीएड काउंसेलिंग सेल के अध्यक्ष डॉ संजय मिश्र ने कहा है कि विवि ने काउंसेलिंग के बाद की स्थिति से संबंधित विस्तृत रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है. अब सरकार को निर्णय लेना है कि उन सीटों को कैसे भरना है. विवि ने सुझाव दिया है.
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