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रांची : शिक्षक रिटायर हो रहे, पर नियुक्ति की परवाह नहीं
पहले सरकार विश्वविद्यालय संचालन के लिए केवल अनुदान देती थी, पर अब बढ़ गया हस्तक्षेप रांची : राज्य में उच्च शिक्षा की स्थिति दिन प्रतिदिन खराब होती जा रही है. विश्वविद्यालय की स्वायत्तता लगभग समाप्त कर दी गयी है. अंतर विश्वविद्यालय बोर्ड को उच्च शिक्षा निदेशक के हवाले कर दिया गया है. विश्वविद्यालय सेवा आयोग […]
पहले सरकार विश्वविद्यालय संचालन के लिए केवल अनुदान देती थी, पर अब बढ़ गया हस्तक्षेप
रांची : राज्य में उच्च शिक्षा की स्थिति दिन प्रतिदिन खराब होती जा रही है. विश्वविद्यालय की स्वायत्तता लगभग समाप्त कर दी गयी है. अंतर विश्वविद्यालय बोर्ड को उच्च शिक्षा निदेशक के हवाले कर दिया गया है. विश्वविद्यालय सेवा आयोग को झारखंड लोक सेवा आयोग में समाहित कर दिया गया है.
शुरुआत में सोच थी कि विश्वविद्यालय को राजनीतिक हस्तक्षेप से दूर रखा जाये. विश्वविद्यालय संचालन के लिए सरकार केवल अनुदान देती थी. विश्वविद्यालय के रोजमर्रा के कार्यों से उसका कोई लेना-देना नहीं रहता था. लेकिन इसमें समय के साथ बदलाव आया है.
आज आये दिन शिक्षा सचिव अपने कार्यालय में कुलपतियों की बैठक बुलाते हैं. बैठक में कुलपतियों को दिशानिर्देश दिया जाता है. विश्वविद्यालय और कॉलेजों में शिक्षक लगातार सेवानिवृत्त हो रहे हैं, लेकिन नियुक्ति नहीं हो रही है. एक समय था जब विवि के स्नातकोत्तर विषयों में 24 विद्यार्थियों के लिए 14 शिक्षक होते थे, आज 300 विद्यार्थियों के लिए पांच शिक्षक हैं.
परीक्षा दो की जगह 12 हो गयी. जो शिक्षक हैं, उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हो रहा है. राज्य में पुरानी नियमावली से शिक्षकों की प्रोन्नति नहीं हो रही है, वहीं नयी नियमावली 31 दिसंबर 2008 के बाद है नहीं. ऐसे में शिक्षकों की प्रोन्नति नहीं होगी. प्रोन्नति नहीं होने से असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर नहीं बनेंगे. शिक्षक एसोसिएट प्रोफेसर नहीं बनेंगे, तो प्राचार्य के पद रिक्त रह जायेंगे.
शिक्षकों की प्रोफेसर में प्रोन्नति नहीं होगी, तो वे कुलपति और प्रतिकुलपति नहीं बन पायेंगे. सेवानिवृत्ति के कगार पर खड़ा शिक्षकों का एक बड़ा वर्ग प्रोफेसर नहीं बन सकता, क्योंकि वे दस वर्षीय कालबद्ध योजना के तहत रीडर बने हैं. सरकार वाइ-फाइ और सीसीटीवी लगाकर उच्च शिक्षा को हाइटेक बनाना चाहती है. वहीं दूसरी ओर विद्यार्थियों को कॉलेजों में मौलिक सुविधा भी नहीं दे पा रही है.
विवि और कॉलेजों में शिक्षा की स्थिति बेहतर करने के लिए सबसे पहले शिक्षकों की नियुक्ति हो. कॉलेजों में प्रयोगशाला, पुस्तकालय और क्लास रूम की व्यवस्था हो. शिक्षकों की समस्याओं का समाधान हो. तय मापदंड के अनुरूप कक्षा चले और समय पर परीक्षा व रिजल्ट जारी हो.
-डॉ हरिओम पांडेय, अध्यक्ष, विवि शिक्षक संघ
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