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19 साल में 10 बार सूखा, इस साल भी हालत खराब, सूखने लगे हैं बिचड़े, वीरान हैं खेत

मनोज सिंह 1800 हजार हेक्टेयर में धान लगाने का है लक्ष्य, महज 205 हजार हेक्टेयर में रोपा हुआ है रांची : सावन माह का एक सप्ताह बीत चुका है. इस माह में खेतों में कादो हो जाता था. वहीं, भादो में रोपा का काम खत्म हो जाता था. लेकिन इस सावन में ना तो खेतों […]

मनोज सिंह
1800 हजार हेक्टेयर में धान लगाने का है लक्ष्य, महज 205 हजार हेक्टेयर में रोपा हुआ है
रांची : सावन माह का एक सप्ताह बीत चुका है. इस माह में खेतों में कादो हो जाता था. वहीं, भादो में रोपा का काम खत्म हो जाता था. लेकिन इस सावन में ना तो खेतों में कादो है, ना ही भादो की तैयारी. रोपा की तैयारी के लिए लगाये गये बिचड़ा सूखने लगे हैं. खेत वीरान दिख रहे हैं. किसानों की नजर आसमान पर है. बस उम्मीद के कुछ दिन बचे हुए हैं.
अगले सप्ताह भगवान इंद्र ने धोखा दिया, तो लगातार दूसरे साल किसानों को नुकसान हो जायेगा. वैसे भी 19 साल में 10 बार सूखा पड़ चुका है़ इस साल भी हालत खराब है़ पिछले साल भी करीब-करीब ऐसी ही स्थिति थी. जून से लेकर जुलाई माह के तीसरे सप्ताह तक सामान्य से करीब 40 फीसदी कम बारिश हुई थी. जुलाई के अंतिम और अगस्त के शुरू में बारिश हो जाने से रोपा तो हो गया था, लेकिन सितंबर में बारिश नहीं होने से सूखा पड़ गया था. इस बार राजधानी के आसपास के खेतों में दरारें पड़ गयी हैं. बिचड़े जड़ से पीले पड़ गये हैं. कई जगह खाद गिराया गया है, लेकिन हल नहीं चले हैं.
विभाग ने 1800 हजार हेक्टेयर में धान लगाने का लक्ष्य रखा है. जबकि महज 205 हजार हेक्टेयर में ही रोपा किया जा सका है. पलामू प्रमंडल समेत 11 जिलों में रोपा का काम शुरू नहीं हुआ है.
पलामू व उत्तरी छोटानागपुर में शून्य, संताल में पांच फीसदी रोपा : 23 जुलाई तक पलामू और उत्तरी छोटानागपुर में रोपा का काम शुरू नहीं हो पाया था. दक्षिणी छोटानागपुर क्षेत्र में 11 फीसदी ही रोपा हो पाया है.
संताल परगना में भी बुरा हाल है, जहां पांच फीसदी हो रोपा हो सका है. दलहन, तेलहन और मोटा अनाज की खेती की स्थिति भी संतोषजनक नहीं रही है. कोलहान प्रमंडल में छींटा से धान की खेती होने के कारण करीब 37 फीसदी खेतों में धान लगा हुआ बताया जा रहा है. चाईबासा में अधिकतर किसान छींटा से धान लगाते हैं.
241 मिमी ही बारिश : गौरतलब है कि इस साल झारखंड में लगभग 12 दिनों देर से माॅनसून आया है. आंकड़े बताते हैं कि 23 जुलाई तक राज्य में सामान्य से 45 फीसदी कम बारिश हुई है. एक जून से 23 जुलाई तक 441 मिमी बारिश की तुलना में 241.4 मिमी ही बारिश हुई है.
40 किलो हाइब्रिड का बिचड़ा बेकार हो रहा है
गुमला जिले के बसिया के किसान फूलचंद झोरा बताते हैं कि 40 किलो हाइब्रिड धान का बिचड़ा लगाया है. लेकिन बारिश नहीं होने के कारण बिचड़ा बेकार हो गया.
क्योंकि बिचड़ा तैयार होने के बाद 14 से 21 दिन के अंदर गीले खेत में उसे रोप देना था. परंतु बारिश नहीं होने के कारण खेत सूखे हैं. जिस कारण बिचड़ा को रोप नहीं सका और सब बेकार हो गया. खेत में दरारें भी पड़ने लगी हैं. यहीं के जामटोली के किसान पच्चू प्रधान बताते हैं कि पहले जुलाई माह तक अच्छी बारिश होती थी और किसान बिचड़ा तैयार कर धान की फसल लगा देते थे. लेकिन इस वर्ष बारिश बहुत कम हुई. जिससे बिचड़ा तक नष्ट हो गया. अब चिंता इस बात कि है की परिवार कैसे चलायेंगे. काम के लिए दूसरे राज्य जाना होगा.
सुखाड़ की स्थिति
2001 में 11 जिलों के 57 प्रखंडों में सूखा
2003 में 11 जिलों के 67 प्रखंडों में सूखा
2006 में पलामू, बोकारो सूखा
2008 में पलामू में जबरदस्त बर्बादी
2002, 2004, 2009, 2010 में संपूर्ण झारखंड सूखाग्रस्त घोषित
2015 में सुखाड़ झेल चुका है झारखंड
2018 में राज्य के 129 प्रखंडों में सूखा
धान का बिचड़ा तैयार हो गया है. पानी नहीं होने के कारण रोपा नहीं हो पा रहा है. बिचड़ा पीला पड़ने लगा है.
विदेशी उरांव, कैरो, लोहरदगा
10 एकड़ में धान लगाना है. मौसम की बेरुखी के कारण रोपा नहीं हो पा रहा है. बिचड़ा सूख रहा है. आगे क्या होगा पता नहीं.
कालिका प्रसाद सिंह, भवनाथपुर, गढ़वा
महंगे बीज खरीद कर खेती शुरू की थी, लेकिन बारिश ने धोखा दे दिया. दो-तीन दिन और यही हालत रही तो सब बर्बाद हो जायेगा.
गोपाल यादव, चंदवा
पहले से ही कम जमीन है, जिस पर खेती करते हैं़ पर इस वर्ष लगता है कि धान का रोपा नहीं हो पायेगा. बिचड़े तक सही से तैयार नही हो सका है़
बालेश्वर राणा, कोडरमा
भगवान ने सुन ली है, अब किसानों का भला होगा : मंत्री
रांची : राजधानी में बुधवार को झमाझम बारिश हुई़ बारिश के वक्त विधानसभा में मंत्री-विधायक मौजूद थे़ भोजनावकाश के समय जब मंत्री व विधायक बाहर निकले तो बारिश हो रही थी, जिससे बचने के लिए मंत्री-विधायक इधर-उधर भागते नजर आये. लेकिन कृषि मंत्री रणधीर सिंह बारिश से बचने की जगह समर्थकों के साथ भींगने लगे़ उन्होंने कहा : भगवान ने सुन ली है़ अब राज्य के किसानों का भला होगा़ बारिश नहीं होने से सब परेशान थे़
नहीं मिल रहा फसल बीमा का फॉर्म, िकसान परेशान
रांची : राजधानी रांची जिले के मात्र 50 फीसदी किसानों को ही अब तक बीमा प्रतिवेदन फॉर्म मिल पाया है. जबकि, प्रखंडवार 1,59,960 किसानों का बीमा कराने का लक्ष्य रखा गया है. बीमा प्रतिवेदन फॉर्म नहीं मिलने से किसान परेशान हैं. फॉर्म जमा करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई है. फॉर्म उपलब्ध कराने की जिम्मेवारी मेसर्स एचडीएफसी एग्रो, जीआइसी लि को दी गयी थी. लेकिन कंपनी ने फॉर्म उपलब्ध नहीं कराया. जिसे गंभीरता से लेते हुए जिला सहकारिता पदाधिकारी मनोज कुमार ने उक्त कंपनी के प्रबंधक को शो-कॉज किया है. उन्हें निर्देश दिया है कि 24 घंटे के अंदर किसानों को फॉर्म उपलब्ध करा दें.
तमाड़ : बीमा फॉर्म नहीं मिलने पर हुआ हंगामा
तमाड़. बीमा प्रतिवेदन फाॅर्म नहीं मिलने से बुधवार को किसानों ने तमाड़ प्रखंड कार्यालय परिसर स्थित कृषि तकनीकी सूचना कार्यालय में हंगामा किया. किसान फॉर्म लेने कार्यालय पहुंचे तो कर्मचारियों ने कहा कि अभी तक फॉर्म नहीं आया है. आयेगा तो मिलेगा.
इतना सुनते ही किसानों ने हंगामा शुरू कर दिया. हंगामा बढ़ता देख कर्मचारियों ने अधिकारियों को सूचना दी. जिला सहकारिता पदाधिकारी मनोज कुमार दल-बल के साथ पहुंचे. उन्होंने अधिकारियों से बात की. फिर किसानों की बातों को सुना. उन्होंने तत्काल मेसर्स एचडीएफसी एग्रो, जीआइसी लि के अधिकारियों को तलब किया. उन्होंने निर्देश दिया कि जल्द से जल्द किसानों को फॉर्म उपलब्ध करायें.
सूखा घोषित करने को लेकर धरना देंगे बंघु
रांची : राज्य को सूखा घोषित करने की मांग को लेकर पूर्व मंत्री बंधु तिर्की 3 अगस्त को राजभवन के समक्ष धरना देंगे. उन्होंने कहा कि 23 जुलाई तक राज्य में 18 लाख हेक्टेयर में धान बोआइ का लक्ष्य था.
लेकिन मात्र दो लाख हेक्टेयर ही बोआइ हो सकी है. मकई के लिये तीन लाख हेक्टेयर में से मात्र 60 हजार हेक्टेयर में ही बोआइ हो सकी है. यही नहीं राज्य सरकार किसानों को बीज भी उपलब्ध नहीं करा सकी है. किसानों को फसल बीमा योजना की राशि का भुगतान नहीं किया गया है. उन्होंने सरकार से पूछा है कि किसानों को पिछले वर्ष हुई क्षति की भरपाई के लिये बीमा राशि का भुगतान कब तक किया जायेगा.

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