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संगीत नाटक अकादमी ने लोकगायिका चंदन तिवारी को बिस्मिल्ला खान पुरस्कार देने की घोषणा की

रांची : झारखंड – बिहार की जानी-मानी लोकगायिका चंदन तिवारी को संगीत नाटक अकादमी के बिस्मिल्ला खान पुरस्कार के लिए चुना गया है. चंदन भोजपुरी, मगही, मैथली, अवधी सहित कई लोकभाषाओं में गायन के लिए पहचानी जाती हैं. विन्ध्यवासिनी देवी, भरत शर्मा व्यास और शारदा सिन्हा की परंपरा को आगे बढ़ाने वाली चंदन शानदार काम […]

रांची : झारखंड – बिहार की जानी-मानी लोकगायिका चंदन तिवारी को संगीत नाटक अकादमी के बिस्मिल्ला खान पुरस्कार के लिए चुना गया है. चंदन भोजपुरी, मगही, मैथली, अवधी सहित कई लोकभाषाओं में गायन के लिए पहचानी जाती हैं. विन्ध्यवासिनी देवी, भरत शर्मा व्यास और शारदा सिन्हा की परंपरा को आगे बढ़ाने वाली चंदन शानदार काम कर रही हैं.

चंदन की मेहनत और लगन को संगीत नाटक अकादमी ने सराहा है. चंदन तिवारी के साथ- साथ लोकगायन, संगीत, नृत्य, सहित अन्य विधाओं में योगदान के लिए इस वर्ग में 8 लोगों को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. इस सम्मान के साथ विजेताओं को 25 हजार रुपये प्रोत्साहन राशि भी दी जायेगी. यह पुरस्कार 40 साल से कम आयु के लोगों को दिया जाता है.
चंदन को इससे पहले भी कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है जिनमें, लोक रत्न सम्मान, लोक रंग सम्मान, आखर सम्मान, भिखारी ठाकुर सम्मान, गांधी दर्शन स्मृति सम्मान , गंगा सम्मान सहित कई पुरस्कारो से नवाजा गया है. बोकारो में पली-बढ़ी हैं चंदन तिवारी मूलरूप से बिहार के भोजपुर जिले की रहने वाली हैं. चंदन संगीत की पहली गुरू अपनी मां रेखा तिवारी को मानती हैं.
चंदन ने प्रयागराज संगीत समिति इलाहाबाद से शास्त्रीय संगीत की विधिवत शिक्षा हासिल की है. चंदन को बचपन से ही संगीत का शौक रहा. चंदन मंदिरों में भजन गाया करती थीं. महुआ टीवी के सुर संग्राम और जिला टॉप कार्यक्रम में अपनी गायकी का जलवा बिखेरने वाली बोकारो की चंदन तिवारी ने कम समय में अपनी अलग पहचान बना ली. देश ही नहीं विदेशों में भी चंदन ने लोकगायन से लोगों का मन मोहा है.

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