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न्यूक्लियस मॉल में लगे एस्केलेटर का नहीं था लाइसेंस, सरकार ने बनायी 4 सदस्यीय कमेटी आज एस्केलेटर की करेगी जांच

रांची : न्यूक्लियस मॉल में लगे एस्केलेटर हादसे के बाद यह पाया गया है कि एस्केलेटर का लाइसेंस नहीं लिया गया था. अब इस मामले की जांच के लिए सरकार ने चार सदस्यीय कमेटी गठित की है. ऊर्जा विभाग द्वारा गठित चार सदस्यीय कमेटी में मुख्य विद्युत अभियंता विजय कुमार, विद्युत निरीक्षक प्रमोद कुमार, सहायक […]

रांची : न्यूक्लियस मॉल में लगे एस्केलेटर हादसे के बाद यह पाया गया है कि एस्केलेटर का लाइसेंस नहीं लिया गया था. अब इस मामले की जांच के लिए सरकार ने चार सदस्यीय कमेटी गठित की है. ऊर्जा विभाग द्वारा गठित चार सदस्यीय कमेटी में मुख्य विद्युत अभियंता विजय कुमार, विद्युत निरीक्षक प्रमोद कुमार, सहायक विद्युत निरीक्षक जयकांत कुमार व कनीय विद्युत निरीक्षक प्रीतम कुमार को रखा गया है.
यह टीम शुक्रवार को न्यूक्लियस मॉल में जाकर एस्केलेटर और लिफ्ट की जांच करेगी. बताया गया कि टीम सुरक्षा मानकों की जांच करेगी. साथ ही यह भी पता लगायेगी कि किन परिस्थितियों में हादसा हुआ. यह टीम भी सीसीटीवी फुटेज की जांच करेगी. मॉल में लगे लिफ्ट की जांच भी की जायेगी कि सुरक्षा मानकों के अनुरूप है या नहीं.
झारखंड लिफ्ट एंड एस्केलेटर रूल्स 2018 के तहत नहीं लिया गया लाइसेंस : गौरतलब है कि झारखंड सरकार ने द झारखंड लिफ्ट एंड एस्कलेटर एक्ट 2017 के तहत द झारखंड लिफ्ट एंड एस्कलेटर रूल्स 2018 की अधिसूचना 19 जून 2018 को ही लागू कर दी थी.
इसके तहत राज्य के जिन भवनों में लिफ्ट व एस्केलेटर लगा हुआ है, उन्हें निबंधन कराकर लाइसेंस लेना होगा. ऊर्जा विभाग के सूत्रों ने बताया कि अब तक न तो किसी भवन ने और न ही किसी मॉल में लगे लिफ्ट व एस्केलेटर के लिए लाइसेंस लिया गया है, न ही किसी ने लाइसेंस के लिए आवेदन दिया है.
क्या है रूल में : द झारखंड लिफ्ट एंड एस्कलेटर रूल्स 2018 के तहत लिफ्ट के तमाम सुरक्षा मानकों को पूरा करना होगा. इसके बाद ऊर्जा विभाग में निबंधन कराना होगा. निबंधन शुल्क 2000 रुपये है.
सुरक्षा मानक के तहत लिफ्ट के लिए वैकल्पिक बिजली आपूर्ति प्रणाली सुनिश्चित करना है. यानी बिजली कटने पर कम से कम इतना बैकअप हो कि जिस फ्लोर पर बिजली कटी है. लिफ्ट उसके ठीक नीचे आकर रुके और उसका गेट भी खुले. भवन मालिक को लिफ्ट लगाने के दो माह की अवधि भीतर ही निबंधन के लिए आवेदन देना होगा.
मालिक द्वारा वार्षिक रखरखाव एवं अन्य व्यवस्था की जानकारी प्रत्येक वर्ष निरीक्षक को देना होगा. मालिक को अॉटोमेटिक रेस्क्यू डिवाइस की व्यवस्था करनी होगी ताकि आपात स्थित में लिफ्ट में फंसे लोगों को निकाला जा सके. रुल के उल्लंघन पर कार्रवाई के लिए ऊर्जा विभाग को अधिकृत किया गया है. ऊर्जा विभाग के निरीक्षक तीन साल में एक बार लिफ्ट का सेफ्टी निरीक्षण करेंगे. इसके एवज में एक हजार रुपये का शुल्क लिया जायेगा.

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