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कैशलेस इकोनॉमी में झारखंड की बड़ी छलांग, रांची के अधिकांश एटीएम कैशलेस

तमाम सुविधाएं देने के नाम पर विभिन्न बैंकों द्वारा सर्विस चार्ज के रूप में ग्राहकों से बड़ी रकम वसूली जाती है. जबकि, सच्चाई इससे एकदम जुदा है. मिसाल के तौर पर एटीएम को ही ले लें. फिलहाल राजधानी रांची के ज्यादातर एटीएम कैश की किल्लत से जूझ रहे हैं. ऐसे में लोगों को मांग के […]

तमाम सुविधाएं देने के नाम पर विभिन्न बैंकों द्वारा सर्विस चार्ज के रूप में ग्राहकों से बड़ी रकम वसूली जाती है. जबकि, सच्चाई इससे एकदम जुदा है. मिसाल के तौर पर एटीएम को ही ले लें. फिलहाल राजधानी रांची के ज्यादातर एटीएम कैश की किल्लत से जूझ रहे हैं. ऐसे में लोगों को मांग के हिसाब से नकदी नहीं मिल पा रही है.
यह स्थिति पिछले एक महीने से बरकरार है. नये एटीएम को छोड़ दें, तो अधिकांश में एसी भी ठीक से काम नहीं करता है. रात में कई एटीएम के शटर गिरा दिये जाते हैं. हाल के दिनों में एटीएम में पर्याप्त सुरक्षा के न होने के चलते साइबर फ्रॉड की घटनाएं भी बढ़ी हैं. इसके अलावा लिंक की समस्या से भी ग्राहकों को परेशानी होती है. प्रस्तुत है ऐसी ही समस्याओं पर रोशनी डालती बिपिन सिंह की रिपोर्ट.
प्रभात खबर की टीम ने रात के वक्त किया राजधानी के कई एटीएम का मुआयना
प्रभात खबर की टीम ने रात में शहर के अलग-अलग हिस्सों में मौजूद विभिन्न बैंकों के एटीएम का जायजा लिया. इसमें से अधिकांश में कैश की समस्या थी. केवल प्रमुख इलाकों जैसे- रेलवे स्टेशन, मेन रोड, अलबर्ट एक्का चौक, कांटाटोली और मुख्य चौक-चौराहों पर स्थित एटीएम से ही कैश निकल रहा था. सबसे खराब स्थिति स्टेट बैंक ऑफर इंडिया (एसबीआइ) के एटीएम की है. एसबीआइ ने रांची डिवीजन के 167 एटीएम को रात में बंद कर दिया है. इनमें 70 ऑफ साइट एटीएम को बंद किया गया है. बैंक की मानें, तो उक्त एटीएम को बंद करने से साइबर अपराध पर नकेल कसने में कामयाबी मिली है.
एसबीआइ का हाल सबसे बुरा
राजधानी में एसबीआइ के ज्यादातर एटीएम के शटर बंद थे. कचहरी मेन ब्रांच, डोरंडा एसएमइ ब्रांच जैसे ऑन साइट एटीएम को ही चालू रखा गया है.
अधिकांश एटीएम में या तो ‘कैश नहीं है’ या फिर ‘एटीएम अस्थायी रूप से काम नहीं कर रहा है’ का बोर्ड लगा मिला. कुछ एटीएम से सिर्फ पांच सौ व दो हजार के नोट निकल रहे थे. एक्सिस बैंक, सेंट्रल बैंक, पीएनबी, आइसीआसीआइ, एचडीएफस, उज्जीवन, बंधन, टाटा इंडीकैश- पेटीएम, यूनियन बैंक सहित कई बैंकों के एटीएम में से 20 प्रतिशत में कैश की किल्लत दिखी.
100 और 200 के नोटों का टोटा
नोटबंदी के फैसले के बाद अभी तक आम लोगों की परेशानी पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है. पीएनबी और आइसीआइसीआइ बैंक को छोड़ कर नये नोट देने के लिहाज से अभी भी ज्यादातर एटीएम पूरी तरह से तैयार नहीं हुए हैं.
अब तक महज 30 फीसदी एटीएम ही 200 रुपये को लेकर कैलीब्रेट हो सके हैं. यानी 70 फीसदी एटीएम 200 का नोट देने में सक्षम ही नहीं हैं. एटीएम में पहले 1000, 500, 100 और 50 के नोट के लिए चार ट्रे होते थे. अब सिर्फ ज्यादातर में 500 और 2000 का ही ट्रे हैं. एटीएम में फोटो सेंसर के जरिये ही नोटों की डिलिवरी होती है. मशीनों के कैसेट में महज कुछ मशीनों के अंदर आइसीआइसीआइ ने 100 रुपये के, जबकि पीएनबी ने 200 के नोटों का अतिरिक्त कन्फीग्रेशन किया है.
एटीएम पर निर्भरता बढ़ी
पर्व व त्योहारों के मौके पर ज्यादातर एटीएम में नकदी खत्म हो जाती है. यही हाल प्रत्येक महीने की शुरुआत में रहता है. जेब खर्च से लेकर 10-40 हजार रुपये तक की निकासी के लिए ग्राहक एटीएम पर पूरी तरह से निर्भर हो गये हैं. ऐसे में यह समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. सामान्य बैंकिंग परिस्थितियों में देश के 78 प्रतिशत ट्रांजेक्शन एटीएम के जरिये हो रहे हैं. अकेले राजधानी में एक मशीन से औसतन 220 बार, जबकि 150 से ज्यादा कैश डिपोजिट मशीन का लेन-देन के तौर पर इस्तेमाल हो रहा है.
रात के वक्त कैश रिफिल नहीं
एटीएम में रात के वक्त कैश न मिलना, उपभोक्ताओं के अधिकार का हनन है. ऑन साइट एटीएम से 24 घंटे पैसे की निकासी की सुविधा होती है. कैश रिफिल करने का काम सेकेंड या थर्ड पर्टी द्वारा किया जाता है. वहीं नियमों के कारण करेंसी चेस्ट को भी रात के समय खोलने का प्रावधान नहीं है. इस कारण एटीएम में रात में नोट नहीं डाले जा सकते.
झारखंड में एटीएम की संख्या
राज्य में सार्वजनिक और निजी बैंकों के कुल 3,402 एटीएम हैं. इनमें 1790 ऑनसाइट (बैंक शाखा के अंदर या बाहर) व 1587 ऑफ साइट (बाहरी इलाके) में हैं. राज्य के अंदर ग्रामीण क्षेत्र में 1479, अर्द्ध शहरी क्षेत्र में 750 और शहरी क्षेत्र के अंदर 37 बैंकों के कुल 718 एटीएम हैं.
रांची में एटीएम की स्थिति
राजधानी में 332 एटीएम ऑन साइट व 386 एटीएम ऑफ साइट में हैं. ग्रामीण क्षेत्र में 131, अर्द्ध शहरी क्षेत्र में 39 और शहरी क्षेत्र के अंदर 456 एटीएम हैं. कहीं जल्दी कैश खत्म हो जाता है, तो कहीं पर्याप्त कैश रहता है.
कैश किल्लत के संभावित कारण
सर्कुलेशन में पर्याप्त मात्रा में नकदी होने के बावजूद एटीएम में कैश नहीं होने के कुछ संभावित कारण होते हैं. कुछ लोगों द्वारा बड़ी संख्या में नकदी की जमाखोरी करना, मतलब उन्होंने बैंकों से पैसा निकालने के बाद अपने पास रोक कर रख लिया. जितना पैसा लोग बैंकों से निकाल रहे हैं, उतना फिर बैंक में वापस नहीं आ रहा है. मतलब लोग पैसा रोककर रख रहे हैं. कैश की कमी नये वित्तीय वर्ष, फसलों की कटाई, किसानों को भुगतान और चुनाव के कारण भी संभव है.
मोबाइल एटीएम से मिल सकती है राहत
आरबीआइ की रिपोर्ट में यह बात सामने आ चुकी है कि देश में औसतन 30 फीसदी एटीएम किसी न किसी वजह से खराब रहते हैं. एेसे में ज्यादा कैश निकासी वाली जगहों पर मोबाइल एटीएम लगा कर लोगों को नकदी की सुविधा प्रदान की जा सकती है. मुख्य चौक-चौराहों पर अस्थायी रूप से एटीएम वैन लगाया जा सकता है.
कैशलेस इकोनॉमी में झारखंड की बड़ी छलांग
रांची : नोटबंदी के बाद डिजिटल लेन-देन के मामले में झारखंड ने लंबी छलांग लगायी है. नोटबंदी की घोषणा के बाद बैंक प्रबंधकों ने मिशन मोड में इस काम को आगे बढ़ाया, जिसका नतीजा है कि यहां 24 लाख ग्राहक नेट बैंकिंग सुविधा का प्रयोग कर रहे हैं. यह इतनी तेज गति से चलन में शामिल हो रहा है कि पिछले साल की तुलना में इस संख्या में पांच लाख का इजाफा हुआ है.
प्लास्टिक मनी के तौर पर कार्ड का चलन बढ़ा
नोटबंदी के बाद लोगों में जागरूकता आयी. बड़े पैमाने पर लोगों ने डिजिटल पेमेंट को अपनाना शुरू कर दिया है. लोग आदतन कैश के तौर पर नकदी के प्रयोग काफी कम दिया है. इसके बदले लोगों ने धीरे-धीरे खुद को डेबिट और क्रेडिट कार्ड पर शिफ्ट कर लिया. साथ ही पेटीएम, रूपे जैसे अन्य माध्यमों का भी प्रयोग कर रहे हैं.
राज्य में 1.61 करोड़ रूपे एक्टिव कार्ड
नोटबंदी के बाद हजारों दुकानदारों ने बैंकिंग सिस्टम में प्वाइंट ऑफ सेल (पॉस) मशीन को अपनाया है. राज्य में 1.61 करोड़ एक्टिव कार्ड से लोग अपना लेन-देन कर रहे हैं. इनमें 1.56 करोड़ लोग डेबिट, एटीएम व रूपे कार्ड का इस्तेमाल करते हैं, जबकि क्रेडिट कार्ड ग्राहकों की संख्या 4.20 लाख है.
23.42 लाख नेट बैंकिंग ट्रांजेक्शन
आंकड़ों के मुताबिक इस साल आरटीजीएस-एनइएफटी के जरिये 23.42 लाख नेट बैंकिंग ट्रांजेक्शन हुए. ऑनलाइन बैंकिंग पर आरबीआइ के फंड ट्रांसफर पर शुल्क खत्म करने के बाद यह संख्या और बढ़ेगी. रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट सिस्टम (आरटीजीएस) के तहत दो लाख रुपये या अधिक की राशि ट्रांसफर की जा सकती है. वहीं, बड़े मामलों में नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड्स ट्रांसफर (एनइएफटी) के जरिये राशि ट्रांसफर करने के लिए न्यूनतम सीमा तय नहीं है.
राज्य में चल पड़ा है डिजिटल क्रांति का दौर
राज्य में ज्यादातर दुकानदार ग्राहकों से कैश नहीं लेकर पॉस मशीन का ही उपयोग कर रहे हैं.नोटबंदी लागू होने तक झारखंड में महज 6,399 मशीनों से ही कैश लेन-देन किया जा रहा था. पॉस मशीन बैंकिंग के मामले में सबसे आगे भारतीय स्टेट बैंक है. इससे दुकानदारों को तो सहूलियत होती ही है, साथ ही ग्राहकों को भी एटीएम की लाइन से निजात मिली है.
ग्राहकों को भी किया जा रहा है जागरूक
कैश बैंकिंग को दूर करने के लिए लोगों को साक्षरता के माध्यम से जागरूक किया जा रहा है. डेबिट कार्ड, प्री-पेड कार्ड, यूनिफाइड, पेमेंट इंटरफेस, ई-वॉलेट एवं पॉस को बढ़ावा दिया जा रहा है. नये-नये बैंकिंग सॉल्यूशंस और ई-वॉलेट के साथ ही पेमेंट गेटवे की मांग बढ़ रही है, जो छोटी-से-छोटी दुकान पर पारंपरिक गल्ले या कैश बॉक्स की जगह ले सके.
ट्रांजेक्शन शुल्क से बैंक कर रहे मोटी कमाई
कई बैंक एटीएम से महीने में पहले तीन ट्रांजेक्शन पर कोई शुल्क नहीं लेते हैं. कुछ बैंकों में पांच ट्रांजेक्शन फ्री है. इसके बाद प्रति ट्रांजेक्शन 20 रुपये काटे जाते हैं. नॉन-फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन पर यह 8.50 रुपये है, जो समय-समय पर आपके खाते से काट लिया जाता है. दूसरे बैंक का एटीएम उपयोग में लाने पर भी चार्ज वसूला जाता है.
रांची में नाइट लाइफ नहीं रहने से कैश का ट्रांजेक्शन कम
रांची : राजधानी में नाइट लाइफ नहीं होने के कारण कैश का ट्रांजेक्शन कम है.भले ही रात के वक्त बड़ी संख्या में एटीएम के शटर गिरा दिये जाते हों, पर राजधानी का कड़वा सच यह भी है कि ज्यादातर एटीएम खुले रहने के बाद भी इक्का-दुक्का लोग ही पैसे की निकासी करते नजर आते हैं. झारखंड चेंबर का कहना है कि नाइट लाइफ के लिए एक टीम वर्क करना होगा. इसमें व्यापारी, सरकार और प्रशासन तीनाें की भूमिका अहम है.
बदलते वक्त के साथ नाइट लाइफ के लिए मशहूर होने वाले शहरों में बी ग्रेड सिटीज का नाम भी तेजी से जुड़ रहा है, पर रांची में रात दस बजे के बाद शहर की सड़कों पर उपभोक्ता वर्ग दिखायी नहीं देता. नाइट लाइफ कल्चर बढ़ने से अर्थव्यवस्था में निश्चित तौर पर गति मिलेगी. एटीएम को रोटेशन सिस्टम के तहत रन किया जाना चाहिए, इससे परिचालन लागत भी कम होगी और लोगों को असुविधा भी नहीं होगी.
दीपक कुमार मारू, अध्यक्ष, झारखंड चेंबर
वीकेंड पर कैश की किल्लत नहीं रहनी चाहिए. जल्दी में हों तो इंतजार करना कभी-कभी बड़ी समस्या बन जाती है. सुरक्षा कारणों से एटीएम का दरवाजा अपने आप लॉक हो जाना चाहिए.
रेवा
कई बैंकों के एटीएम बहुत स्लो हैं. लगातार उपयोग होने से कई बार मशीनें काम करना बंद कर देती हैं. कई एटीएम में छोटे नोट नहीं रहने से स्टूडेंट के लिए मुसीबत बन जाती है.
मानवी
राजधानी के किसी खास जगह पर एटीएम में लोगों की भीड़ कुछ ज्यादा ही रहती है. एटीएम से पैसे निकालने के लिए लाइन में लोग इंतजार नहीं करना चाहते हैं.
सोनी
एटीएम मशीनों ने कई स्थानों पर धोखा दिया है. बहुत सारे एटीएम महज शो पीस बन कर रह गये हैं. यह कई बार ऑपरेशनल नहीं रहते. इस पर ध्यान देने की जरूरत है.
अभय कुमार सिंह
कई बार एटीएम में कैश नहीं होता है. मिनी स्टेटमेंट भी नहीं निकलता है. इससे काफी परेशानी होती है. इस पर ध्यान देने की जरूरत है.
जयंत कुमार
तकनीक ने लोगों के जीवन को काफी सुविधा दी है, मगर जब तकनीक फेल हो जाती है तो बड़ी समस्या भी बन जाती है. एटीएम के लिंक अक्सर फेल रहने से दिक्कत होती है.
हीराराम तिवारी
त्योहारों के दिनों में एटीएम मशीनों पर भीड़ आम बात है. मगर शुरुआती सप्ताह में राशन से लेकर किराया देने का समय होता है. ऐसे में पैसा न निकलना बहुत तकलीफदेह है.
पीरो देवी
Prabhat Khabar Digital Desk
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यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

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