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हिंडाल्को हादसा : दो साल भी नहीं टिक सका 40 करोड़ का डंपिंग प्रोजेक्ट

मुरी : रेड मड को सुरक्षित रखरखाव के लिए रेड मड पॉन्ड के चारों ओर करीब तीस फीट चौड़ी ग्रेबियल वाॅल बनायी गयी थी. इसपर 40 करोड़ रुपये खर्च किये गये हैं. इटली की मेकाफेरी कंपनी ने इसे 2017 के सितंबर में ही पूरा कर लिया था. इस परियोजना की पांच साल की गांरटी थी. […]

मुरी : रेड मड को सुरक्षित रखरखाव के लिए रेड मड पॉन्ड के चारों ओर करीब तीस फीट चौड़ी ग्रेबियल वाॅल बनायी गयी थी. इसपर 40 करोड़ रुपये खर्च किये गये हैं. इटली की मेकाफेरी कंपनी ने इसे 2017 के सितंबर में ही पूरा कर लिया था. इस परियोजना की पांच साल की गांरटी थी. लेकिन, इस परियोजना के गांरटी पीरियड में ही फेल होने से यह घटना घटी है.
जानकारी के मुताबिक इस ग्रेबियल वाॅल का डिजाइन सीबीआरआइ रुड़की ने तैयार किया था तथा आइआइटी मुंबई ने इसे अप्रूव किया था. इस परियोजना को इटली की एक नामी कंपनी मेकाफारी ने तैयार किया था. लेकिन, मात्र डेढ़ साल में ही यह दीवार रेड मड के दबाव को सह नहीं सकी. नतीजा इतनी बड़ी घटना घटी. इससे डिजाइन, अप्रुवल व काम करने के तरीकों पर भी प्रश्न उठाये जा रहे हैं.
हिंडाल्को की लापरवाही के कारण हुआ हादसा : आयुक्त
रांची/मुरी : मुरी स्थित हिंडाल्को में रेड मड घटना के बाद राज्य सरकार की जांच अधिकारी शुभ्रा वर्मा बुधवार को दिन भर राहत कार्य शुरू करवाने के लिए परेशान रहीं. 100 एकड़ में फैले काॅस्टिक रेड मड डंपिग स्थल के पहले पश्चिमी छोर पर गयीं, पर वहां आगे जाने का रास्ता नहीं था. उन्होंने ग्रामीणों से बात की और कहा कि रास्ता बनाने के लिए आपलोग राजी हो जायें. हम जिंदा हैं, आप जिंदा हैं पर उनकी सोचिए जो मलबे में दबे हुए हैं. आपलोगों की जो भी क्षति हुई है उसकी पूर्ति की जायेगी. इसके बाद वह अपनी टीम के साथ करीब 2.30 बजे डंपिंग स्थल के पूर्वी छोर पर आयीं. यहां एनडीआरएफ के अधिकारियों से बात की.
इसके बाद हिंडाल्कों का एक असिस्टेंट मैनेजर प्रसून घोष उनसे बात करने आया. उन्हें देखते ही वह बरस पड़ीं. उन्होंने कहा कि आपका आइडी कार्ड कहां है, तो वह इधर-उधर ताकने लगा. श्रीमती वर्मा ने कहा कि सस्टेनबिलिटी टेस्ट किसने किया था और आपने पास कैसे कर दिया. आपकी एक गलती से राष्ट्र को इतना बड़ा नुकसान हो गया है.
जो लोग दबे हुए हैं, उनकी आपलोगों को कोई चिंता नहीं है. डिजास्टर कैसे हुआ आप बताओ. मड में केमिकल कंपोजिशन क्या था. क्या कोई केमिकल रिएक्शन की वजह से हादसा हुआ है. अभियंता कहना लगा कि वह सिविल इंजीनियर है. केमिकल की जानकारी नहीं है. उन्हें रेस्क्यू के काम के लिए प्रभारी बनाया गया है.
तब श्रीमती वर्मा ने कहा कि मलबा आप कैसे हटाओगे और कहां ले जाओगे. इस पर अभियंता ने कहा कि बड़ी कंपनी से बातचीत चल रही है. एलएंडटी जैसी कंपनी से भी बात हो रही है कि सीमेंट प्लांट को मलबा भेजा जाये. इस पर जांच अधिकारी ने कहा कि तब 30 वर्षों से यहां मलबा कैसे जमा होता रहा, पहले क्यों नहीं सीमेंट प्लांट में भेजा. आपलोगों ने जानबूझ कर हादसे को आमंत्रण दिया है. लोग दबे हुए हैं. कितने लोग हैं यह भी कंपनी नहीं बता रही है. आप तुरंत रजिस्टर लेकर आयें. पर अभियंता बगले झांकने लगा. जांच अधिकारी ने कहा कि जानबूझ कर रजिस्टर नहीं दिया जा रहा है.
कंपनी लोगों को दबे होने की बात छिपा रही है. इसके बाद उन्होंने एनडीआरएफ के अधिकारी पीटर पाल डुंगडुंग से बात की. उन्होंने पूछा कि क्या कोई ऐसी तकनीक नहीं है कि जिससे पता चल सके कि कोई दबा हुआ है या नहीं.उन्होंने कहा कि कम से कम जो लोग दबे हुए हैं उन्हें किसी तरह से निकाला जाये. एनडीआरएफ के अधिकारी ने कहा कि ऊपर चढ़ने पर मिट्टी धंसने का खतरा है. इसलिए रास्ता बनाया जा रहा है. ललमटिया खदान हादसे में भी ऐसा ही रेस्क्यू अॉपरेशन चलाया गया था. इसके बाद जांच अधिकारी वहां से चली गयीं.
सहमति बनने पर ग्रामीणों ने काम करने की इजाजत दी
मुरी : रेड मड घटना के चौबीस घंटे बाद भी एनडीआरएफ की टीम रेस्क्यू का काम शुरू नहीं कर सकी.दिन के नौ बजे एसडीओ गरिमा सिंह आ चुकी थीं. उनकी देखरेख में हिंडाल्को के अधिकारियों के साथ एनडीआरएफ की रेस्क्यू टीम ने घटनास्थल का सर्वे किया. इस बीच दिन के साढ़े नौ बजे एनडीआरएफ की टीम को काम करने से ग्रामीणों ने रोक दिया. ग्रामीण व सुदेश महतो के साथ बैठकों का दौर करीब एक बजे तक चला. प्रबंधन के साथ सहमति बनने पर ग्रामीणों ने काम करने की इजाजत दी. दिन के एक बजे दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल के आयुक्त शुभ्रा वर्मा सिल्ली प्रखंड कार्यालय पहुंची.
वहां उन्होंने एसडीओ गरिमा सिंह. एनडीआरएफ की टीम, ग्रामीण एसपी, डीएसपी, बीडीओ व सीओ के साथ बैठक की. घटनास्थल का निरीक्षण किया. एनडीआरएफ व हिंडाल्को के अधिकारियों से बातचीत करके पूरी योजना की जानकारी ली.
हिंडाल्को को नोटिस, 48 घंटे के अंदर डीसी ने मांगी रिपोर्ट
रांची : हिंडाल्को हादसा मामले को जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकार ने गंभीरता से लेते हुए हिंडालको प्रबंधन को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. प्राधिकार के अध्यक्ष एवं उपायुक्त राय महिमापत रे ने प्रबंधन को 48 घंटे के भीतर जवाब देने को कहा है. नोटिस के जरिये प्रबंधन से पूछा गया है कि लापरवाही बरतने के कारण क्यों नहीं कानूनी कार्रवाई की जाये. उपायुक्त ने कई बिंदुओं पर हिंडाल्को प्रबंधन से जवाब मांगा है. साथ ही उस क्षेत्र में कितने मोबाइल फोन बंद हैं उसकी डंप रिपोर्ट भी मांगी है. उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने शिकायत की है कि कुआं का पानी भी खराब हो गया है.
इसे गंभीरता से लेते हुए डीसी ने प्रदूषण व पेयजल विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया कि कुआें के पानी की जांच करायें. डीसी ने कहा है कि आवश्यकता पड़ने पर कंपनी प्रबंधन को आसपास की आबादी को सुरक्षित स्थान पर ले जाने और पर्यावरण को बचाने के लिए उचित कदम उठाने चाहिए.
अभी तक एक की ही मौत की पुष्टि हुई : डीके तिवारी
मुख्य सचिव डीके तिवारी ने बताया कि अब तक एक की मौत की ही पुष्टि हो पायी है. शाम के समय मुख्य सचिव ने सभी विभागों के पदाधिकारियों से बात कर रिपोर्ट ली. अभी जांच चल ही रही है. मलबे में यदि और लोग दबे हैं, तो इसके लिए कॉल डंपिंग तकनीक का इस्तेमाल कर पता किया जायेगा. ग्रामीणों को घरों के आसपास से मलबे हटाने का काम शुरू होने जा रहा है. मुख्य सचिव ने कहा कि मामले में जो भी दोषी हैं, वे बख्शे नहीं जायेगी.
बातचीत
कास्टिक तालाब दुर्घटना के दोषियों पर होगी कार्रवाई
रांची : मुख्य सचिव डॉ डीके तिवारी के निर्देश पर मुरी स्थित हिंडाल्को कंपनी में हुए कास्टिक तालाब दुर्घटना की जांच करने दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल की आयुक्त शुभ्रा वर्मा बुधवार को मौके पर पहुंची थीं. उन्होंने प्रभात खबर से कहा कि पूरे घटनाक्रम में हिंडाल्को कंपनी के स्तर से निश्चित तौर पर गलती हुई है. कोई भी दुर्घटना बिना किसी कमी के नहीं होती. इससे कोई इंकार नहीं कर सकता. घटना में कंपनी का जो कोई भी दोषी होगा, उस पर निश्चित तौर पर कार्रवाई होगी.
Q. घटना के 30 घंटे से ज्यादा का वक्त गुजर गया है, क्या देखा आपने?
मामले की जानकारी ली है. बचाव राहत कार्य के तहत कनेक्टिव रोड बनाने का काम शुरू किया गया है, ताकि स्पॉट पर पहुंचा जा सके और मलबे की जांच की जा सके. जो लोग या गाड़ियां वहां फंसे हैं, उन्हें निकाला जा सके.
Q.क्या यह पता चल पाया कि घटना के वक्त कौन लोग काम कर रहे थे?
कंपनी से रजिस्टर मंगवा रही हूं. कल कौन-कौन काम कर रहे थे. कल कुछ लोग घायल हुए थे. उनका इलाज भी हुआ है. उन सबसे मिलने जा रही हूं.
Q.रेस्क्यू ऑपरेशन अभी तक शुरू नहीं हो पाया है. क्या लग रहा है आपको, क्या प्रशासन इतना कमजोर है. इतना बड़ा हादसा हो गया, जो सक्रियता होनी चाहिए, वह दिख नहीं रही?
देखिए, काम शुरू हो गया है. रास्ता मिल गया है, कार्रवाई चालू हो गयी है. जो भी समस्या है, उसका समाधान किया जायेगा.
Q.राज्य सरकार के पास ट्रेंड फोर्स है, लेकिन उसकी मदद नहीं ली जा रही. हेलीकॉप्टर या ड्रोन से काफी सहायता ली जा सकती है वह भी नहीं की जा रही, ऐसा क्यों?
ड्रोन को लेकर बात हुई है. लेकिन इससे ऊपर का चीज दिखेगा, नीचे का नहीं.
Q.अभी तक कंपनी के स्तर से रेस्क्यू की दिशा में जो कार्रवाई होनी चाहिए वह नहीं हो रही?
यह सही बात है. कंपनी के स्तर पर जो कार्रवाई होनी चाहिए थी, उसमें कोताही बरती जा रही है.
Q.आपने कई बार कामगारों का रजिस्टर मांगा, लेकिन वह नहीं मिला. फिर आप किस बात का इंतजार कर रही हैं, कंपनी के खिलाफ प्रशासन कोई एक्शन क्यों नहीं ले रहा?
कंपनी के लोग चीजों को नहीं समझ रहे हैं, तो वे गलती कर रहे हैं. कुछ पेपर आ रहा है. उसको देखा जायेगा.
Q.घटना स्थल पर जाने को लेकर चीजें क्लियर नहीं है, क्या पॉलिटिकल प्रेशर जैसा कुछ है क्या?
पॉलिटिकल प्रेशर मेरे पर नहीं है. काम किया जा रहा है.
मलबा हटाने में लगेगा एक माह
मुरी : घटना के बाद रेड मड पाॅन्ड का मलबा काफी दूर तक पसर गया है. करीब एक सौ एकड़ में फैले इस रेड मड पॉन्ड की मिट्टी आसपास के गांवों के घरों तक फैल गयी है. हिंडाल्को के एक अधिकारी ने बताया कि मलबा को हटाने में करीब एक महीने का समय लग जायेगा. काम शुरू कर दिया गया है. इधर, महुआडीह गांव की एक महिला ने बताया कि घटना के बाद मलबा उसके घर तक आ गया है.
उसके खेत भी प्रभावित हो गये हैं. मामले की गंभीरता को देखते हुए कई विभागों को जांच के सरकारी आदेश दिये गये हैं. एसडीओ गरिमा सिंह ने मौके पर बताया कि किसी भी हाल में रेड मड का पानी व गंदगी स्वर्णरेखा नदी में नहीं जाये यह सबसे बड़ी चुनौती है. इसके लिए भी कंपनी को सख्त निर्देश दिये गये हैं. वहीं, सरकार के पीएचइडी विभाग को प्रभावित गांवों के कुओं, तालाब व अन्य वाटर बॉडीज के पानी के सैंपल जांच करने के आदेश दिये हैं.
डॉग स्क्वाॅयड की मदद ली जायेगी
रांची : मुरी स्थित हिंडाल्को के कास्टिक तालाब दुर्घटना में फंसे लोगों तक पहुंचने की हिम्मत एनडीआरएफ की टीम भी नहीं जुटा पायी. मंगलवार को घटना के करीब छह घंटे बाद मौके वारदात के समीप रांची से एनडीआरएफ की टीम पहुंच गयी थी. लेकिन, अगले दिन बुधवार को शाम तक एनडीआरएफ टीम उस स्थान पर नहीं पहुंच पायी, जहां पर लोगों और वाहनों के फंसे होने की आशंका है.
इस संबंध में दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल के आयुक्त शुभ्रा वर्मा ने एनडीआरएफ टीम के अधिकारी से बात की. इस पर अधिकारी ने आयुक्त को बताया कि मौके वारदात पर जाने का रास्ता अभी तक नहीं बन पाया है. जहां पर घटना हुई है, उसके पास जाने पर केमिकल की तेज दुर्गंध आ रही है. यह भी अंदाजा नहीं लग पा रही है कि कहां पर जमीन सही है और कहां पर नहीं. ऐसे में आगे बढ़ने पर काफी खतरा है. इस पर आयुक्त ने कहा कि आपलोग कुछ ऐसा करें कि कम से कम जो लोग फंसे है, उन्हें बचाया जा सका.
टीम को स्थानीय लोगों ने रोका
हिंडाल्को घटना पर गंभीर हो सरकार
जहरीले केमिकल से हो रही है परेशानी
रांची. दूर तक फैले मलबे से लोगों को परेशानी हो रही है. इसके बावजूद प्रशासन के स्तर से कोई व्यवस्था नहीं की गयी है. संभव है कि घटनास्थल के आसपास के तालाब में भी केमिकल पहुंच गया है. अगर गलती से कोई उसकी चपेट में आ जाये तो उसे बचाना मुश्किल हो जायेगा. वहीं आसपास के इलाकों में भी केमिकल का दुर्गंध तेजी से फैल रहा है. इससे कई तरह की बीमारियां होने की संभावना है.

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