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चिरुडीह गोलीकांड : डीसी सहित 24 लोगों को पुलिस ने दिया क्लीन चिट

प्रणव, रांची : एक अक्तूबर 2016 को हुए चर्चित चिरुडीह गोलीकांड में हत्या समेत अन्य संगीन आरोपों से हजारीबाग डीसी रविशंकर शुक्ला सहित 24 लोगों को पुलिस ने क्लीन चिट दे दिया है. साथ ही पुलिस ने तथ्यों की भूल करार देकर सभी नामजद आरोपियों को मामले से बरी किये जाने को लेकर कोर्ट में […]

प्रणव, रांची : एक अक्तूबर 2016 को हुए चर्चित चिरुडीह गोलीकांड में हत्या समेत अन्य संगीन आरोपों से हजारीबाग डीसी रविशंकर शुक्ला सहित 24 लोगों को पुलिस ने क्लीन चिट दे दिया है. साथ ही पुलिस ने तथ्यों की भूल करार देकर सभी नामजद आरोपियों को मामले से बरी किये जाने को लेकर कोर्ट में आवेदन दिया है.

बड़कागांव की विधायक निर्मला देवी द्वारा कोर्ट में दायर परिवादवाद के बाद हजारीबाग डीसी रविशंकर शुक्ला समेत 24 लोगों पर हत्या सहित कई अन्य धाराओं में बड़कागांव थाना में कांड संख्या 141/18 दर्ज किया गया था. इस मामले में जांच के दौरान पुलिस ने चार लोगों की मौत की बात स्वीकार की थी. लेकिन केस डायरी में मृतक के परिजनों का बयान यह लिखा है कि वो लोग नहीं जानते कि किसकी गोली से मौत हुई है.

जबकि मृतक के परिजनों द्वारा पुलिस पर केस किया गया था. ऐसे में सवाल उठता है कि पुलिस ने जांच पूरी कर ली. प्रशासनिक अफसरों समेत अन्य को क्लीन चिट दे दिया. लेकिन किसकी गोली से चार लोग अभिषेक राय, रंजन दास, महताब आलम व पवन साव की मौत हुई. इसका गुनाहगार कौन है इसका जवाब पुलिस क्यों नहीं खोज पायी.

सूत्रों के मुताबिक दो फरवरी को अनुसंधानकर्ता सुरेश टुडू के साथ एसडीपीओ अनिल सिंह ने रांची आवास में विधायक निर्मला देवी से दोबारा बयान लिया था. अगले दिन भी आइओ ने कुछ लोगों का बयान लिया. चार तारीख को एसडीपीओ अनिल सिंह ने एक ही दिन में केस का सुपरविजन कर दिया.
उसी दिन हजारीबाग एसपी के स्तर से भी सुपरविजन में आरोपियों को बरी करते हुए केस बंद करने का निर्देश केस के अनुसंधानकर्ता को दिया गया. उल्लेखनीय है कि एसडीपीओ अनिल सिंह और एसपी द्वारा ढेंगा गोलीकांड में अधिकारियों पर दर्ज मामला कांड संख्या 214/16 में भी चार फरवरी को ही पर्यवेक्षण रिपोर्ट जारी कर तथ्य की भूल बतायी गयी थी.
क्या है चिरुडीह कांड
एनटीपीसी और भूमि अधिग्रहण कानून 2013 लागू करने, वनाधिकार कानून का पालन और ग्रामीण रैयतों पर कंपनी के लिए प्रशासनिक अत्याचार की एसआइटी जांच की मांग को लेकर कफन सत्याग्रह चलाया जा रहा था, जिसमें पुलिस और ग्रामीणों के बीच झड़प हो गयी थी. इसमें गोली से अभिषेक राय, रंजन दास, महताब आलम,पवन साव की मौत हो गयी थी.
जबकि दर्जनों लोग घायल हुए थे. मामले में बड़कागांव थाना में हजारीबाग उपायुक्त रविशंकर शुक्ला सहित 24 लोगों पर हत्या, अपहरण व आर्म्स एक्ट के आरोप में हाइकोर्ट के निर्देश पर बड़कागांव थाना में कांड संख्या 141/2018 दर्ज किया गया था. इनमें उपायुक्त रविशंकर शुक्ला, एनटीपीसी के जीएम टी गोपाल कृष्णा, त्रिवेणी सैनिक माइनिंग कंपनी के ए सुब्रमण्यम, तत्कालीन एएसपी कुलदीप कुमार, दंडाधिकारी नारायण विज्ञान प्रभाकर, सीओ शैलेश कुमार, प्रदीप पाल कच्छप, इंस्पेक्टर अखिलेश कुमार सिंह, सब इंस्पेक्टर अकील अहमद, सुदामा दास, परमानंद मेहरा सहित चौबीस लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया गया था.
विधायक निर्मला देवी के परिवाद व हाइकोर्ट के निर्देश पर बड़कागांव थाने में दर्ज हुआ था मामला
एक ही दिन में एसडीपीओ और पुलिस कप्तान के स्तर से पर्यवेक्षण रिपोर्ट जारी की गयी
चार लोगों की मौत की बात पुलिस ने जांच में स्वीकारी, लेकिन किसने मारा खुलासा नहीं कर सकी

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