संजय
एफएसएसएआइ ने दिया निर्देश, एक मार्च से व्यवस्था लागू करें
रांची : भारतीय खाद्य सुरक्षा व मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआइ) ने राज्यों को खाद्य तेल (एडिबल अॉयल) के उपयोग संबंधी निर्देश जारी किये हैं.
खाद्य सुरक्षा व मानक अधिनियम-2006 के तहत निर्देश में कहा गया है कि होटलों व ढाबों सहित वैसे सभी खाद्य कारोबारी, जिनकी खाद्य तेल की खपत हर रोज 50 लीटर या अधिक है, उन्हें खाद्य तेल का हिसाब रखना होगा. इसके लिए बाकायदा एक फॉरमेट जारी किया गया है. इसमें तारीख के साथ खाद्य तेल का नाम (जैसे मूंगफली, सरसों, सूर्यमुखी, नारियल या अन्य तेल), इसकी मात्रा, उपयोग के बाद तेल की बची मात्रा, बचे तेल के निष्पादन (डिस्पोज) का तरीका व तारीख तथा डिस्पोज करने के लिए तेल किस एजेंसी को दिया गया, उसका नाम देना होगा. एफएसएसएआइ ने सूचित किया है कि खाद्य तेल को डिस्पोज करने के लिए समय-समय पर उसके या फिर राज्यों के खाद्य सुरक्षा आयुक्तों की अोर से एजेंसी का निर्धारण किया जायेगा,जिसे बचा तेल सौंप देना होगा.
सभी राज्यों के खाद्य सुरक्षा आयुक्तों (स्वास्थ्य सचिव) से कहा गया है कि वे अपने राज्य में एक मार्च से यह पूरी व्यवस्था सुनिश्चित कराने की दिशा में प्रयास शुरू करें.
क्यों दिया गया है निर्देश : एफएसएसएआइ के मुताबिक खाद्य तेल जब खौलता है, तो इसके सीसियोकेमिकल, न्यूट्रिशनल (पोषण संबंधी) तथा सेनसरी (तैलीय संवेदनशीलता) गुणों में बदलाव होता है. किसी चीज को फ्राइ करने (तलने) के दौरान तेल में टोटल पोलर कंपाउंड (टीपीसी) बनता है, जिसका स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है. इस संदर्भ में एफएसएसएआइ ने खाद्य सुरक्षा अधिनियम में 24 अक्तूबर 2017 को एक संशोधन किया था. इसके तहत टीपीसी की अधिकतम सीमा 25 फीसदी निर्धारित की गयी थी.
इससे अधिक टीपीसी वाला वेजिटेबल अॉयल खाने योग्य नहीं होता. इस तरह का उपयोग किया गया तेल न तो सीधे किसी खाद्य में मिलाया जाना चाहिए अौर न ही इसे फूड चेन में दोबारा शामिल किया जाना चाहिए. एफएसएसएआइ ने इस तरह का खाद्य तेल, जो अखाद्य हो चुका हो, उसे फ्रेश तेल में मिलाने से भी मना किया है.