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ढेंगा गोलीकांड : तथ्य की भूल बता पुलिस ने किया केस बंद,अफसरों को किया बरी
प्रणव 14 अगस्त 2015 को किसान अधिकार महारैली के दौरान छह लोगों को लगी थी गोली रांची : किसान अधिकारी महारैली के दौरान घटित ढेंगा गोलीकांड से जुड़े केस (बड़कागांव थाना कांड 214/16) को तथ्य की भूल बताते हुए हजारीबाग जिले की बड़कागांव पुलिस ने केस को बंद कर दिया है. वहीं, केस को फाइनल […]
प्रणव
14 अगस्त 2015 को किसान अधिकार महारैली के दौरान छह लोगों को लगी थी गोली
रांची : किसान अधिकारी महारैली के दौरान घटित ढेंगा गोलीकांड से जुड़े केस (बड़कागांव थाना कांड 214/16) को तथ्य की भूल बताते हुए हजारीबाग जिले की बड़कागांव पुलिस ने केस को बंद कर दिया है. वहीं, केस को फाइनल करने के लिए अनुसंधानकर्ता अरुण हेम्ब्रम ने हजारीबाग एसडीजेएम की अदालत में पांच फरवरी 2019 को आवेदन दिया है. बड़कागांव एसडीपीओ अनिल कुमार सिंह का सुपरविजन और एसपी की रिपोर्ट-2 के आधार पर केस को तथ्य की भूल करार दिया गया है.
वहीं, मामले में नामजद अफसरों सहित कुल 17 लोगों को केस से बरी कर दिया गया है. इस मामले में प्रशासन और ग्रामीण दोनों तरफ से केस दर्ज किये गये थे. प्रशासन की तरफ से एसडीओ अनुज प्रसाद के बयान पर बड़कागांव थाना में कांड संख्या 167/17 में कुल 67 नामजद के अलावा सैकड़ों अज्ञात लोगों को आरोपी बनाया गया था. इस केस में एडीजे 14 के यहां ट्रायल चल रहा है. जबकि पुलिस गोली के शिकार पीड़ितों ने कोर्ट में कुल 17 लोगों को नामजद करते हुए जेल से कोर्ट में परिवाद दर्ज कराया था.
इसके बाद कोर्ट के आदेश पर बड़कागांव थाना में कांड संख्या 211/16, 212/16, 213/16 और 214/16 दर्ज किया गया था.कांड संख्या 214/16 में इन्हें किया गया बरी : बड़कागांव थाना कांड संख्या 214/16 के नामजद हजारीबाग के तत्कालीन एसडीओ अनुज कुमार, बड़कागांव के सर्किल ऑफिसर प्यारेलाल, डीएसपी दिनेश कुमार, दंडाधिकारी अनंत कुमार, बड़कागांव बीडीओ अशोक चोपड़ा, बड़कागांव के दारोगा रामदयाल मुंडा, हवलदार जयप्रकाश, आरक्षी दिलीप कुमार तिवारी, हरिशंकर तिवारी, एनटीपीसी के मैनेजर एसके तिवारी, जीएम रविंद्र सिंह राठी, कांट्रेक्टर कविंद्र सिंह, अमन महतो, दीपू साव, उरीमारी थाना प्रभारी विजय केरकेट्टा, केरेडारी थाना प्रभारी पंकज भूषण और शिवदयाल महतो को पुलिस ने केस से बरी कर दिया है.
किसान अधिकार रैली के दौरान छह लोगों को लगी थी पुलिस की गोली : 14 अगस्त 2015 को ढेंगा में किसान अधिकार महारैली के दौरान ग्रामीण और पुलिस के बीच झड़प हुई थी. इस दौरान पुलिस की ओर से आत्मरक्षा की बात कहते हुए फायरिंग की गयी थी. इसमें छह लोगों को गोली लगी थी. घायलों का बड़कागांव प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में प्राथमिक इलाज के बाद हजारीबाग सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया था .
इसके बाद सदर अस्पताल प्रबंधन ने पुलिस केस की इंट्री करते हुए पुलिस को सूचित किया था. इसके बाद हजारीबाग पुलिस ने घायलों का बयान लिया. सभी ने अपने बयान में उस दिन कहा था कि पुलिस ने जानबूझ कर हम लोगों पर गोलियां चलायी. प्रशासन की ओर से तत्कालीन एसडीओ अनुज प्रसाद के बयान पर घायलों सहित कुल 67 लोगों पर बड़कागांव थाना में कांड संख्या 167/15 दर्ज किया गया था. केस में पुलिस द्वारा इंसास रायफल से 22 राउंड फायरिंग किये जाने की बात भी कही गयी थी. जबकि सभी घायलों को घायलावस्था में सदर अस्पताल से 17 अगस्त को हजारीबाग जेल भेज दिया गया था.
सदर अस्पताल और जेल अस्पताल की इंज्यूरी िरपोर्ट
पुलिस की कार्रवाई पर उठ रहे सवाल
घटना में घायल मंटू सोनी को सीने में बांयी ओर और बायें हाथ, श्रीचंद राम को सीने, संजय राम को जांघ, संतोष राम को बाजू और जुबैदा खातून को कमर (पीछे) में कैसे लगी गोली
अनुसंधानकर्ता ने इलाजरत लोगों की भर्ती स्लिप को क्यों नहीं देखा. जिसमें पुलिस केस की बात बताते हुए सदर थाना को सूचित किया गया था
क्या हजारीबाग सदर थाने की पुलिस ने घायलों का लिया बयान के बारे में बड़कागांव पुलिस को नहीं दी सूचना या केस के आइओ इन तथ्यों को छिपा गये?
पुलिस की कार्रवाई पर उठ रहे सवाल
अगर पुलिस के अनुसार, केस मिस्टेक ऑफ फैक्टस है, तो पीड़ितों की तरफ से जिन 17 लोगों को नामजद बनाया गया था. उसके 17वें अभियुक्त शिवदयाल महतो के आपराधिक इतिहास में ढेंगा गोलीकांड मामले में दर्ज 211,212,213 और 214/16 का जिक्र दो फरवरी 2019 को सीजेएम की अदालत में क्यों किया?
सभी घायलों को जेल भेजने के बाद केस के अनुसंधानकर्ता इंस्पेक्टर जो उस घटना में घायल भी हुए, उसने केस डायरी के पेज 70 में यह लिखा है कि 17 अगस्त को 10 बजे दिन में वह सदर अस्पताल पहुंचते हैं, जहां उन्हें घटना में नामजद छह लोग इलाज कराते मिलते हैं.
उन लोगों को मामले की जानकारी देकर गिरफ्तार कर लिया जाता है. वहीं चार लोगों को अस्पताल से छुट्टी मिलने पर उन्हें जेल भेज दिया जाता है. अनुसंधानकर्ता ने डायरी में यह नहीं बताया कि उक्त लोग किस बीमारी का और कब से इलाज करा रहे थे
ढेंग गोलीकांड में दर्ज कांड संख्या 214/16 जिसे पुलिस ने मिस्टेक आॅफ फैक्टस करार दिया है, उसमें अभियुक्त शिवदयाल महतो को 23 जनवरी को पुलिस ने रिमांड पर क्यों लिया?
रिमांड पर लेने के बाद पुलिस ने उसी कोर्ट में केस मिस्टेक ऑफ फैक्टस का रिपोर्ट क्यों दिया?
पुलिस ने जिन तर्कों के सहारे गोलीकांड के पीड़ितों द्वारा दर्ज मुकदमे को मिस्टेक ऑफ फैक्टस करार दिया, उन्हीं बिंदुओं को प्रशासन द्वारा किये केस डायरी में जिक्र क्यों नहीं किया?
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