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रांची बीएयू में वीसी नियुक्ति : सर्च कमेटी की अनुशंसित पैनल में छेड़छाड़, जानें पूरा मामला
शकील अख्तर रांची : बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्त के लिए न्यायमूर्ति डीएन पटेल की अध्यक्षतावाली सर्च कमेटी द्वारा तैयार पैनल में छेड़छाड़ की गयी. नियुक्ति के लिए राज्यपाल के समक्ष पैनल पेश करते समय सर्च कमेटी के पैनल में पांचवें नंबर पर रहे डॉ परविंदर कौशल का नाम दूसरे नंबर पर लिख […]
शकील अख्तर
रांची : बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्त के लिए न्यायमूर्ति डीएन पटेल की अध्यक्षतावाली सर्च कमेटी द्वारा तैयार पैनल में छेड़छाड़ की गयी. नियुक्ति के लिए राज्यपाल के समक्ष पैनल पेश करते समय सर्च कमेटी के पैनल में पांचवें नंबर पर रहे डॉ परविंदर कौशल का नाम दूसरे नंबर पर लिख दिया गया.
सूची में किये गये इस बदलाव के बाद उन्हें कुलपति के रूप में नियुक्त कर दिया गया. कुलपति की नियुक्त को चुनौती देनेेवाली याचिका पर चल रही सुनवाई के दौरान दायर किये गये शपथ पत्रों से सूची में बदलाव का मामला प्रकाश में आया है.
सितंबर 2016 में प्रकाशित किया गया था विज्ञापन : बीएयू में कुलपति की नियुक्ति के लिए सितंबर 2016 में विज्ञापन प्रकाशित किया गया था. इसमें 59 लोगों ने आवेदन दिया था. इनमें से 56 आवेदन निर्धारित समय पर और तीन आवेदन निर्धारित समय सीमा के बाद मिले थे.
आवेदकों में से योग्य व्यक्ति को चुन कर कुलपति के पद नियुक्ति की अनुशंसा करने के लिए न्यायमूर्ति डीएन पटेल की अध्यक्षता में सर्च कमेटी की गठन किया गया था.
इस कमेटी में यूजीसी चेयरमैन के नॉमनी के रूप मे प्रोफेसर एसबी होसामनी को शामिल किया गया था. इसके अलावा तत्कालीन कृषि सहकारिता सचिन नितिन मदन कुलकर्णी के अलावा डॉ त्रिलोचन को भी कमेटी में सदस्य के रूप में शामिल किया गया था.
पांचवें नंबर पर था डॉ परविंदर कौशल का नाम
नियुक्ति के लिए मिले आवेदनों पर विचार करने के लिए दिल्ली स्थित झारखंड भवन में सर्च कमेटी की बैठक 17 दिसंबर 2016 को हुई.
समिति ने आवेदनों पर विचार के बाद पांच आवेदकों की सूची बनायी और वीसी की नियुक्ति के लिए राज्यपाल सह कुलाधिपति को अनुशंसा भेजी.कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि आवेदकों की शैक्षिक, वैज्ञानिक उपलब्धि, मान्यता, प्रशासनिक क्षमता और कृषि व अनुसंधान के क्षेत्र में स्थापित नेतृत्व क्षमता के आधार पर वरीयता क्रम (इन ऑर्डर ऑफ प्रिफरेंस) के अनुसार पांच आवेदकों की सूची भेजी जा रही है. कमेटी द्वारा अनुशंसित इस सूची में सबसे पहला नाम डॉ राम कृष्णा पाल का और पांचवें नंबर पर डॉ परविंदर कौशल का नाम था.
लेकिन जब कुलाधिपति के समक्ष जो सूची पेश की गयी, उसमें डॉ परविंदर कौशल का नाम पांचवें नंबर के बदले दूसरे नंबर पर लिखा गया. कुलाधिपति ने बदली सूची पर विचार के बाद डॉ परविंदर कौशल को नियुक्त करने का फैसला किया. 15 फरवरी 2017 को नियुक्ति से संबंधित अधिसूचना जारी कर दी गयी.
न्यायमूर्ति डीएन पटेल की अध्यक्षता में बनी थी सर्च कमेटी
क्या है नियुक्ति पर विवाद
कुलपति की नियुक्त के मामले में शैक्षणिक योग्यता पर विवाद है. रिट याचिका मेें कहा गया है कि नियुक्ति के लिए प्रकाशित विज्ञापन में इस बात का उल्लेख था कि आवेदक के पास प्रोफेसर या इसके समकक्ष पद पर कम से कम 10 साल तक काम करने का अनुभव होना चाहिए. कहा गया है कि डॉ परविंदर इस शर्त को पूरा नहीं करते हैं, इसलिए उनकी नियुक्ति सही नहीं है.
सरकार ने मांगी थी विधि विभाग से राय
दूसरी तरफ परविंदर कौशल की ओर से भी न्यायालय में शपथ पत्र दायर कर यह दावा किया गया है कि उनके पास प्रोफेसर के समकक्ष पद पर काम करने का अनुभव है. नियुक्ति के इस मामले में प्रधानमंत्री कार्यालय को भी शिकायत की गयी थी, जिसे राज्य सरकार को अग्रसारित कर दिया गया था.
राज्य सरकार ने शिकायतों की जांच पड़ताल के बाद विधि विभाग की राय मांगी थी. विधि विभाग की राय के बाद इस मामले को राज्यपाल के पास भेज दिया गया. राज्यपाल सचिवालय ने इस पर विचार विमर्श करने के बाद मुख्य सचिव को यह सूचित किया कि मामला न्यायालय में लंबित होने की वजह से इस मामले में फिलहाल किसी तरह की कार्रवाई नहीं की जी सकती है. कार्रवाई के लिए न्यायालय के फैसले तक प्रतीक्षा करना उचित होगा.
सर्च कमेटी की सूची
डॉ राम कृष्णा पाल
प्रो अनिल कुमार सिंह
जीतेंद्र एस चौहान
कृष्ण कुमार सिंह
डॉ परविंदर कौशल
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