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जानिये मंडल डैम का पूरा इतिहास, कब हुई शुरुआत, कितनों को मिलेगा लाभ

।।मनोज सिंह।। रांची : झारखंड और बिहार के खेतों को पानी देने के उद्देश्य से संचालित मंडल डैम (नाॅर्थ कोयल प्रोजेक्ट) की वर्षों से बंद पड़ी योजना का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पांच जनवरी को पलामू से करेंगे. इस परियोजना को केंद्र सरकार ने अधिग्रहित कर लिया है. इसका निर्माण भी केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय […]

।।मनोज सिंह।।
रांची : झारखंड और बिहार के खेतों को पानी देने के उद्देश्य से संचालित मंडल डैम (नाॅर्थ कोयल प्रोजेक्ट) की वर्षों से बंद पड़ी योजना का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पांच जनवरी को पलामू से करेंगे. इस परियोजना को केंद्र सरकार ने अधिग्रहित कर लिया है. इसका निर्माण भी केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय द्वारा कराया जायेगा. इसके लिए वैपकॉस को नोडल एजेंसी बनाया गया है.
परियोजना का करीब-करीब पूरा खर्च केंद्र सरकार उठा रही है. इस परियोजना से झारखंड की 19,604 हेक्टेयर भूमि तथा बिहार की 91,917 हेक्टेयर भूमि में खेती होगी. इस परियोजना से कुल 1,11,521 हेक्टेयर भूमि में खेती की संभावना है. इस योजना को 2020 में पूरा कर लेने का लक्ष्य रखा गया है.
वैसे, केंद्रीय जल संसाधन विभाग के मंत्री नितिन गडकरी इसको 2019 में ही पूरा कर लेने का दावा कर रहे हैं. इस योजना को पूरा करने में कुल 1622 करोड़ रुपये की लागत आयेगी. इसमें भारत सरकार 1378.61 करोड़ रुपये खर्च करेगी. बिहार सरकार को 213 तथा झारखंड सरकार को मात्र 31 करोड़ रुपये खर्च करना है.
बिहार को सिंचाई की सुविधा मिल सके इसके लिए राज्य और केंद्र सरकार मिल कर 531 करोड़ रुपये खर्च करेगी. इसी तरह झारखंड में सिंचाई सुविधा पहुंचाने के लिए 78 करोड़ रुपये खर्च किये जाने हैं. अन्य काम के लिए केंद्र सरकार को कुल 1013 करोड़ रुपये खर्च करने हैं. इसके लिए राशि की व्यवस्था प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत नाबार्ड कर रहा है.
क्या है इतिहास
नाॅर्थ कोयल प्रोजेक्ट पलामू प्रक्षेत्र की महत्वाकांक्षी योजना है. 1972 में संयुक्त बिहार के समय 30 करोड़ रुपये की लागत से परियोजना शुरू की गयी थी. इससे पलाम, गढ़वा और औरंगाबाद (अब बिहार) को पानी मिलना है.
इसके लिए कुटकू गांव (बरवाडीह ब्लॉक) के नाॅर्थ कोयल से पानी मिलना है. इससे सिंचाई के लिए 109 किलोमीटर का राइट कनाल और 11.81 किलोमीटर का लेफ्ट कनाल बनाया जाना है. यह परियोजना 1993 में लगभग पूरी हो गयी थी. डैम के लिए गेट का निर्माण नहीं हो पाया था. इस कारण पानी नहीं रोका जा रहा था. गेट निर्माण के लिए वन विभाग का अनापत्ति प्रमाण पत्र चाहिए था, जो पलामू टाइगर रिजर्व एरिया में पड़ता था. करीब 20 साल तक इस पर काम रुका रहा.
क्या है वर्तमान स्थिति
वर्तमान में इस परियोजना के तहत आने वाले मोहम्मदगंज बराज का काम पूरा हो गया है. लेफ्ट कनाल का करीब 90 फीसदी काम हो गया है. राइट कनाल का काम भी पूरा हो गया है. राइट मेन कनाल के लिए वितरण व्यवस्था का काम 90 फीसदी और लेफ्ट कनाल का करीब 40 फीसदी काम पूरा हो गया है.
इससे सिंचाई की व्यवस्था डैम में पड़ने वाले नौ गेट का निर्माण नहीं होने के कारण शुरू नहीं हो सकी है. गेट निर्माण नहीं होने के कारण रबी और खरीफ में सिंचाई का पूरा उपयोग नहीं हो पाता है. वर्तमान में 56,045 हेक्टेयर जमीन पर ही सिंचाई हो पा रही है. इसमें करीब 50 हजार हेक्टेयर बिहार और छह हजार हेक्टेयर झारखंड का हिस्सा है.
1007.29 हेक्टेयर का होना है फॉरेस्ट क्लीयरेंस
इसके लिए 1007. 29 हेक्टेयर वन भूमि का स्टेज-2 क्लीयरेंस होना है. इसके लिए जो 24 शर्तें रखी गयी थीं, उसे पूरा किया जा रहा है. इसके तहत पलामू टाइगर रिजर्व के आठ गांवों को हटाया जाना है. इसके लिए प्रति परिवार को 15 लाख रुपये का एक मुश्त पैकेज दिया जाना है.
इसके लिए राशि की मांग केंद्र सरकार से की गयी है. पूर्व में भारत सरकार ने झारखंड सरकार को इस राशि को वहन करने का आग्रह किया था. राज्य के मुख्य सचिव ने भारत सरकार को पत्र लिखकर पुनर्वास और विस्थापित नीति के तहत पड़ने वाले आर्थिक बोझ का वहन करने का आग्रह केंद्र सरकार से किया है. इस पर करीब 117 करोड़ रुपये खर्च होने हैं.
डैम की मुख्य बातें
डैम की ऊंचाई : 67.80 मीटर डैम की लंबाई : 408 मीटर रिजरवायर का स्तर : 341 (संशोधित) संग्रहण क्षमता : 330.10 मीटर कुल संग्रहण क्षमता : 190 एमसीएम 341 मीटर पर बराज की लंबाई : 819.60 मीटर राइट कनाल की लंबाई : 109 किमी ( 31 किमी झारखंड में, 78 किमी बिहार में) लेफ्ट कनाल की लंबाई : 11.81 किलोमीटर ( केवल झारखंड में) वन भूमि : 1007.29 हेक्टेयर कुल प्रभावित गांव : आठ
Prabhat Khabar Digital Desk
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