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रांची : लक्ष्य से अधिक हैं बैंक, फिर भी नहीं मिल रहा है लोन

प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत वर्ष 2018-19 में 2477 लोगों को लोन देने का लक्ष्य रखा गया है यदि एनपीए बढ़ा है तो इसके लिए बैंक भी जिम्मेदार हैं: विंसेंट लकड़ा रांची : प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमइजीपी) के तहत वर्ष 2018-19 में 2477 लोगों को लोन देने का लक्ष्य रखा गया है. झारखंड […]

प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत वर्ष 2018-19 में 2477 लोगों को लोन देने का लक्ष्य रखा गया है
यदि एनपीए बढ़ा है तो इसके लिए बैंक भी जिम्मेदार हैं: विंसेंट लकड़ा
रांची : प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमइजीपी) के तहत वर्ष 2018-19 में 2477 लोगों को लोन देने का लक्ष्य रखा गया है. झारखंड में इस समय कुल बैंकों की संख्या 2787 है.यानी एक बैंक पर एक व्यक्ति को लोन देना है. इसके बावजूद जरूरतमंदों को लोन नहीं मिल रहा है. इस बात पर बैंक को चिंतन करना चाहिए. यह बात उद्योग विभाग के उपनिदेशक पी दास ने खादी और ग्रामोद्योग आयोग द्वारा होटल कैपिटोल हिल में पीएमइजीपी पर आयोजित कार्यशाला में कही.
बैंक केवल एक व्यक्ति की जिम्मेदारी ले : कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे झारखंड खादी बोर्ड के अध्यक्ष संजय सेठ ने कहा कि एक बैंक केवल एक व्यक्ति की जिम्मेदारी ले ले तो समस्या नहीं रहेगी. उन्होंने कहा कि बैंक झारखंड के हुनरमंदों को विकास की राह पर चलने में मदद करें.
सरकारें जॉब नहीं दे सकती. छोटे रोजगार में लोन देकर बेरोजगार को रोजगार दिया जा सकता है. उन्होंने बैंकों से देश के विकास की दौड़ में शामिल होने का आह्वान किया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पदमश्री अशोक भगत ने कहा कि खादी आयोग में एसटी-एससी के पैसे डायवर्ट हो गये हैं.
यह चिंता की बात है. एक तरफ बेरोजगारी के कारण गांव के एसटी-एससी हथियार उठा ले रहे हैं और दूसरी तरफ हमारे पास साधन रहते हुए भी हम सहायता नहीं कर पा रहे हैं. उन्होंने बैंकों से एसटी-एससी लोगों को पीएमइजीपी से जोड़ने की सलाह दी, ताकि वे स्वावलंबी बन सकें.
एसएलबीसी के डीजीएम विंसेंट लकड़ा ने कहा कि बैंक एनपीए के डर से लोन नहीं देती. यदि एनपीए बढ़ा है तो इसके लिए बैंक भी जिम्मेदार हैं.
उन्होंंने कहा कि जिन्हें आप लोन देते हैं उनके अभिभावक बनें, उन्हें गाइड करें ताकि लोन एनपीए न हो सके. आरबीआइ के डीजीएम क्लामेंट एक्का ने कहा कि यह ईश्वर का दिया अवसर है कि गरीबों के उत्थान में बैंक कर्मी काम करें. लोन देकर वे रोजगार सृजन कर सकते हैं. स्वागत भाषण केवीआइसी के निदेशक जेके गुप्ता ने दिया और धन्यवाद ज्ञापन सहायक निदेशक प्रवीर कुमार ने किया. कार्यक्रम में बैंक के कई अधिकारी भी उपस्थित थे.
10 वर्षों में 15700 यूनिट को मिला लोन
कार्यक्रम में बताया गया कि वर्ष 2008-09 में योजना आरंभ हुई. तब से लेकर अब तक 15700 यूनिटों को लोन दिया गया है. जिसमें 270.27 करोड़ रुपये मार्जिन मनी के रूप में निर्गत किया गया है. इन यूनिटों से एक लाख 10 हजार 151 लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है.

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