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जब्त आर्म्स से फंसा रही है पुलिस, झारखंड हाइकोर्ट ने मांगा ब्योरा
रांची : झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस कैलाश प्रसाद देव की अदालत में मंगलवार को आर्म्स एक्ट में सजायाफ्ता की अोर से दायर क्रिमिनल अपील याचिका पर सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई के दाैरान अदालत को प्रतीत हुआ कि पुलिस ने फर्जी तरीके से हथियार जब्त दिखाकर फंसाने का काम किया है. अदालत ने जब्त हथियारों […]
रांची : झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस कैलाश प्रसाद देव की अदालत में मंगलवार को आर्म्स एक्ट में सजायाफ्ता की अोर से दायर क्रिमिनल अपील याचिका पर सुनवाई हुई.
मामले की सुनवाई के दाैरान अदालत को प्रतीत हुआ कि पुलिस ने फर्जी तरीके से हथियार जब्त दिखाकर फंसाने का काम किया है. अदालत ने जब्त हथियारों का पुलिस द्वारा दुरुपयोग करने के मामले को गंभीरता से लेते हुए राज्य के गृह विभाग के प्रधान सचिव और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को सशरीर हाजिर होने का निर्देश दिया है.
अदालत ने पूछा कि सभी जिलों के थाने में पुलिस द्वारा जब्त किये गये हथियारों की क्या स्थिति है. कितने हथियार नष्ट किये गये हैं, उसकी भी जानकारी दी जाये. मामले की अगली सुनवाई के लिए अदालत ने एक नवंबर की तिथि निर्धारित की.
पुलिस ने साजिश के तहत फंसाया : इससे पूर्व प्रार्थी की अोर से अधिवक्ता निलेश कुमार ने पक्ष रखते हुए अदालत को बताया कि उनके खिलाफ कोई सीजर विटनेस नहीं है. उन पर कोई सीधा आरोप भी नहीं है.
पुलिस ने साजिश के तहत उन्हें फंसाया है. उन्होंने निचली अदालत के आदेश को निरस्त करने का आग्रह किया. उल्लेखनीय है कि रांची निवासी प्रार्थी मो इश्तियाक अहमद ने अपील याचिका दायर की है. उन्होंने निचली अदालत द्वारा वर्ष 2004 में सुनाये गये फैसले को चुनाैती देते हुए निरस्त करने की मांग की है. अदालत ने आर्म्स एक्ट के तहत दोषी पाने के बाद पांच साल की सजा सुनायी थी. यह मामला लोअर बाजार थाना क्षेत्र का है.
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