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रांची : दर्शक कभी हंसे, तो कभी भावुक हुए
रांची : डॉ भूपेंद्र नारायण सिंह के निर्देशन में मणि मधुकर द्वारा लिखित नाटक दुलारीबाई का मंचन रविवार को आर्यभट्ट सभागार में किया गया. नाटक के लेखक ने दुलारी के बहाने अथश्री कंजूस कथा के बारे में दिखाया है. कलाकारों ने इंसानी सपने व उसकी इच्छाओं को बड़े ही गुदगुदाते अंदाज में प्रस्तुत किया. नाटकीय […]
रांची : डॉ भूपेंद्र नारायण सिंह के निर्देशन में मणि मधुकर द्वारा लिखित नाटक दुलारीबाई का मंचन रविवार को आर्यभट्ट सभागार में किया गया. नाटक के लेखक ने दुलारी के बहाने अथश्री कंजूस कथा के बारे में दिखाया है. कलाकारों ने इंसानी सपने व उसकी इच्छाओं को बड़े ही गुदगुदाते अंदाज में प्रस्तुत किया. नाटकीय प्रस्तुति अवश्य ही हंसानेवाली थी, पर वह दर्शकों को भावुक भी कर देती है.
नाटक की पूरी कहानी के केंद्र बिंदु में गांव की एक आम लड़की दुलारीबाई है, जिसकी मां बचपन में ही गुजर जाती है. पिता रहते हैं, पर उनका भी साया दुलारी के युवा होते ही दूर हो जाता है. पिता की ओर से उसे कुछ मिला न मिला, कंजूसी जरूर मिली. कहानी के अनुसार, चार दिनों तक खाना भी नहीं बनाने वाली लड़की को कल्लू भाड़ (नाटक का एक पात्र) की चतुराई उसे मूर्ख बना देती है. विभिन्न किरदारों से गुजरता नाटक अंत में कल्लू भाड़ से दुलारी के विवाह पर आकर खत्म होता है. इस नाटक के मंचन में रांची विवि के परफॉरमिंग फाइन आर्ट विभाग व संस्कार भारती ने सहयोग प्रदान किया.
दो घंटे के इस नाटक के दौरान स्पीकर डॉ दिनेश उरांव, भाजपा के प्रदेश महामंत्री दीपक प्रकाश, अजय मलकानी, उमेश मिश्र, डॉ अशोक प्रियदर्शी, डॉ अनिल ठाकुर, दिनेश सिंह, एस मृदुला, ऋषिकेश, विनोद जायसवाल, संतोष चंचल, शंकर पाठक आदि कला प्रेमियों की उपस्थिति रही. नाटक में प्रमुख भूमिका डॉ सुशील अंकन, प्रसन्नजीत सिंह, जयदीप सहाय, राकेश रमण, अवधेश कुमार, सुकुमार, विनय कुमार, देवपूजन ठाकुर, ओम प्रकाश और उदय शंकर मिश्र आदि की रही.
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