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PLFI का इनामी कारगिल ने किया सरेंडर, कहा- खूंटी के गैंग रेप में था पीएलएफआइ का हाथ

रांची : 10 लाख रुपये के इनामी हार्डकोर उग्रवादी धनेश्वर यादव उर्फ कारगिल यादव ने शुक्रवार को रांची के डीआइजी एवी होमकर, सीआरपीएफ डीआइजी मनीष सच्चर और रांची एसएसपी अनीश गुप्ता के समक्ष सरेंडर किया. कारगिल पहले भाकपा माओवादी संगठन में था. फिर वह उग्रवादी संगठन पीएलएफआइ में शामिल हुआ था. बतौर जोनल कमांडर वह […]

रांची : 10 लाख रुपये के इनामी हार्डकोर उग्रवादी धनेश्वर यादव उर्फ कारगिल यादव ने शुक्रवार को रांची के डीआइजी एवी होमकर, सीआरपीएफ डीआइजी मनीष सच्चर और रांची एसएसपी अनीश गुप्ता के समक्ष सरेंडर किया. कारगिल पहले भाकपा माओवादी संगठन में था. फिर वह उग्रवादी संगठन पीएलएफआइ में शामिल हुआ था. बतौर जोनल कमांडर वह संगठन में सक्रिय था.

दक्षिणी छोटानागपुर रेंज में अप्रैल 2017 से मार्च 2018 तक 24 शीर्ष नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है, जबकि 11 नक्सली मारे गये हैं. कारगिल लातेहार जिले के बालूमाथ थाना अंतर्गत जिपुवा का रहने वाला है. इसके खिलाफ कुल 14 केस विभिन्न जिलों में दर्ज है. इनमें रांची में आठ, लोहरदगा में एक, सिमडेगा में दो, लातेहार में दो और पलामू में एक मामले दर्ज है. इसका कार्य क्षेत्र मुख्य रूप से रांची, लोहरदगा, सिमडेगा, लातेहार व पलामू जिला रहा है.

सरेंडर के बाद हार्डकोर उग्रवादी को इस पर घोषित इनाम की राशि 10 लाख रुपये का चेक दिया गया. इसके अलावा ऑपरेशन नयी दिशा के तहत मिलने वाला लाभ भी इसे दिया जायेगा.

कारगिल युद्ध के समय माओवादी दस्ते में हुआ शामिल

1999 में मई से जुलाई तक पाकिस्तान के साथ कारगिल युद्ध चला था. इसी समय धनेश्वर उर्फ कारगिल यादव प्रतिबंधित संगठन भाकपा माओवादी के मुरारी गंझू व जगन्नाथ गंझू के दस्ते में शामिल हुआ था. उस वक्त इसकी उम्र महज 14-15 साल थी. कम समय में ही इसने संगठन में अपनी पहचान बना ली थी. इसी वर्ष बालूमाथ थाना के मुरपा गांव में तत्कालीन प्रमुख मदन मोहन भगत की जनअदालत लगाकर हत्या कर दी थी. वर्ष 2003 में पहली बार उसे गिरफ्तार किया गया था. उस वक्त संगठन में गंझू और यादवों में दरार पड़ चुकी थी. गंझू अलग होकर टीपीसी का गठन कर चुके थे. वहीं जेल से छूटने के बाद इससे अपने क्षेत्र में उभरे उग्रवादी संगठन टीपीसी से बदला लेने के लिए लोरिक सेना का गठन किया था. लेकिन टीपीसी की बढ़ती सक्रियता से खाैफजदा कारगिल ने 2006 में प्रतिबंधित संगठन पीएलएफआइ सुप्रीमो दिनेश गोप से संपर्क कर उसके संगठन का दामन थाम लिया.
तीन बार पुलिस कर चुकी थी गिरफ्तार
पीएलएफआइ में रहते हुए 2008 में रांची पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था. उसकी निशानदेही पर तब हथियारों का जखीरा बरामद किया गया था. 2011 में जेल से निकलने के बाद वह फिर से पीएलएफअाइ में शामिल हो गया. 2012 में रांची के मांडर थाना क्षेत्र में अन्य उग्रवादियों के साथ पुलिस के हत्थे चढ़ गया. 2013 में जेल से छूटने के बाद दिनेश गोप के संगठन में सक्रिय हो गया. 2017 में दिनेश गोप की टीम के साथ गिरदा ओपी क्षेत्र में हुई मुठभेड़ में भी शामिल था. इसमें लालू लोहरा, राधा नायक, सुरीन टाइटल का लड़का मारे गये थे.
इनसेट :
खूंटी के गैंग रेप में था पीएलएफआइ का हाथ : कारगिल
कारगिल यादव ने कहा कि खूंटी गैंगरेप में पीएलएफआइ के लोगों का हाथ था. इसमें पांच महिलाओं के साथ गैंग रेप किया गया था. नक्सली या उग्रवादी संगठन में शामिल रहने से किसी का भला होने वाला नहीं है. इसलिए आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में शामिल होने का निर्णय लिया. माओवादी व पीएल
एफआइ में सबका शोषण किया जाता है. ठेकेदार, कंपनी आदि से फोन कर लेवी की वसूली होती है.
रांची के आसपास क्षेत्र में है दिनेश गोप
पीएलएफआइ सुप्रीमो दिनेश गोप कहां है, इस पर कारगिल यादव ने बताया कि वह रांची के आसपास के क्षेत्रों में ही सक्रिय है. संगठन में रहते हुए इससे किसी बात को लेकर इसका अनबन चल रहा था.
ऑपरेशन नयी दिशा

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