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रांची : कार्यपालिका, न्यायपालिका, विधायिका और मीडिया के समन्वय से होगा राज्य का विकास : मुख्यमंत्री

आदर्श ग्राम बड़ाम के जरा टोली में मुख्यमंत्री ने समावेशी न्याय सदन का किया उद्घाटन, कहा रांची : लोकतंत्र की सफलता इस बात में है कि कार्यपालिका, न्यायपालिका, विधायिका व मीडिया एक दूसरे का सम्मान करें, अपनी सीमा जाने. ये सब समन्वय बना कर कार्य करें, तभी विकास होगा तथा सबको न्याय भी मिलेगा. मुख्यमंत्री […]

आदर्श ग्राम बड़ाम के जरा टोली में मुख्यमंत्री ने समावेशी न्याय सदन का किया उद्घाटन, कहा
रांची : लोकतंत्र की सफलता इस बात में है कि कार्यपालिका, न्यायपालिका, विधायिका व मीडिया एक दूसरे का सम्मान करें, अपनी सीमा जाने. ये सब समन्वय बना कर कार्य करें, तभी विकास होगा तथा सबको न्याय भी मिलेगा.
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने यह बातें कही. वह रविवार को आदर्श ग्राम बड़ाम के जरा टोली में समावेशी न्याय सदन का उद्घाटन कर लोगों को संबोधित कर रहे थे. रघुवर ने कहा कि कोई भी सरकार लोक कल्याणकारी होती है. पर इसके कल्याणकारी योजनाअों की पूरी जानकारी लोगों को नहीं होती.
इससे उनके लिए निर्धारित राशि लैप्स कर जाती है. इस न्याय सदन से विधि सहायता के अलावा सबको सरकारी योजनाअों की जानकारी भी मिलेगी. शिलान्यास के करीब 21 माह बाद इस न्याय सदन का उद्घाटन हो गया. इसका श्रेय राज्यसभा सांसद परिमल नथवाणी को जाता है, जिन्होंने बड़ाम को आदर्श गांव बनाने के लिए गोद लिया है. मुखयमंत्री न कहा कि आज भी झारखंड में 30 फीसदी लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं. अभी भी गरीबों को गरिमा के साथ जीने का अधिकार नहीं मिला है.
राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश ने कहा कि गांधी के शब्दों में सरकार या गवर्नेंस का लाभ सबसे अंतिम व्यक्ति तक पहुंचना चाहिए. ग्रासरूट पर काम करने वाले इस समावेशी न्याय सदन का लाभ भी हर किसी को मिलेगा. भगवान को उसके मूर्त रूप में तो किसी ने नहीं देखा, पर कानून का न्याय धरती पर भगवान का प्रतीक ही है.
यह सबको शिक्षा व सबका विकास से भी ज्यादा जरूरी है. राज्य व जिला विधिक सेवा प्राधिकार का यह विधिक सेवा सह सशक्तीकरण शिविर एक बड़ा अभियान है. इसके जरिये लोगों को विभिन्न योजनाअों का प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा. ऐसे काम बढ़ेंगे, तो देश का भला होगा.
झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अनिरुद्ध बोस ने कहा कि समावेशी न्याय सदन में कानूनी सहायता, जागरूकता व सुविधा मिलेगी. कोर्ट में मुकदमों की अधिकता के कारण समय पर न्याय नहीं होता, इसलिए विधिक सेवा प्राधिकार की कल्पना की गयी. झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकार देश के बेहतर प्राधिकारों में शामिल है.
कानून का संरक्षण सबको मिल रहा है. प्राधिकार की इसमें बड़ी भूमिका है. पहले न्याय के लिए लोगों को कोर्ट बुलाया जाता था. अब कोर्ट लोगों तक पहुंच रहा है. हम अदालतों के बोझ लोक अदालत व मध्यस्थता की सहायता से कम करना चाहते हैं. सरकार की कल्याणकारी योजनाअों के कारण भी सिविल मुकदमों में कमी आयी है.
कार्यक्रम में सांसद परिमल नथवाणी तथा जस्टिस डीएन पटेल ने भी अपनी बातें कही. कार्यक्रम का संचालन मीनाक्षी शर्मा तथा धन्यवाद ज्ञापन आइटीडीए के परियोजना निदेशक एके पांडेय ने किया. इस अवसर पर जस्टिस एचसी मिश्रा, जस्टिस रत्नाकर भेंगरा, जस्टिस एबी सिंह, जस्टिस एसएन पाठक, जस्टिस अनुभा रावत चौधरी, बीएयू के कुलपति परविंदर कौशल, उपायुक्त व एसएसपी सहित जिला प्रशासन के तमाम पदाधिकारी, बड़ाम व अासपास के ग्रामीण व विधिक जागरूकता कैंप के लाभुक उपस्थित थे.
नथवाणी की शिकायत, सीएम ने किया समाधान
बड़ाम को आदर्श गांव बनाने के लिए गोद लेने वाले राज्यसभा सांसद परिमल नथवाणी ने कहा कि बड़ाम में समावेशी न्याय सदन, स्वास्थ्य केंद्र व पुलिस स्टेशन के अलावा स्कूल भी बनाया गया है. उन्होंने शिकायत की कि गत तीन वर्षों में भी यह स्कूल पूरी तरह नहीं बना अौर न ही यहां पढ़ाई शुरू हुई है. इसके बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि अगले छह माह के अंदर यह स्कूल बन भी जायेगा तथा यहां पढ़ाई भी शुरू हो जायेगी.
सर्वोदय की जमीन का पता लगायें : हरिवंश
राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश ने हर तबके को न्याय की बात करते हुए सर्वोदय यानी विनोबा भावे को भूदान में मिली जमीन की चर्चा की तथा राज्य विधिक सेवा प्राधिकार से इस जमीन का मामला सुलझाने की गुजारिश की. विनोबा को मिली यह जमीन भूमिहीनों को दी गयी, पर उन्हें आज तक नहीं मिल सकी है. हरिवंश ने कहा कि यह जमीन सचमुच बंटी होती, तो शायद नक्सल व दूसरी अन्य सामाजिक समस्याएं नहीं होती.
क्या है समावेशी न्याय सदन
नालसा के संरक्षक जस्टिस डीएन पटेल ने समावेशी न्याय सदन के बारे में विस्तार से बताया. कहा कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकार (नालसा) के तत्वावधान में झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकार (झालसा) द्वारा स्थापित यह समावेशी न्याय सदन जिला विधिक सेवा प्राधिकार (डालसा) का विस्तारित केंद्र है.
यहां कानूनी सलाह व जानकारी के लिए एक पूछताछ काउंटर (फ्रंट अॉफिस), नि:शुल्क विधिक सहायता केंद्र, लोगों की समस्या हर रोज सुनने के लिए मुखिया का कार्यालय, कानूनी जानकारी व जागरूकता के लिए विधिक जागरूकता पुस्तकालय तथा विधिक कार्यकर्ताअों व अन्य के कानूनी प्रशिक्षण, कार्यशाला, संगोष्ठी, समीक्षा व बैठक के लिए प्रशिक्षण सभागार है.
यहां विशेष लोक अदालत (हर मंगलवार) तथा सप्ताह में दो दिन (सोमवार व गुरुवार) स्थायी लोक अदालत भी लगेगा. इसके अलावा अॉनलाइन सेवाअों के लिए प्रज्ञा केंद्र भी स्थापित किया गया है. न्याय सदन में वेब कांफ्रेंसिंग की सुविधा भी मिलेगी. लोग अधिकतम 10 रु देकर जेल में अपने परिजनों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये बात कर सकेंगे. न्याय सदन का एक समर्पित ई-मेल आइडी भी होगा.
20 लाख लाभुकों के बीच बंटी 70 करोड़ की संपत्ति
न्याय सदन के उदघाटन के बाद विधिक सेवा सह सशक्तीकरण शिविर के माध्यम से करीब 20 लाख लोगों के बीच लगभग 70 करोड़ की परिसंपत्ति व लाभ का वितरण हुआ. कुल 160598 छात्रों को कल्याण विभाग की छात्रवृत्ति के रूप में करीब 18.86 करोड़ की रकम भी इसमें शामिल है, जो कार्यक्रम स्थल से ही डीबीटी के माध्यम से संबंधित विद्यार्थियों को भेज दी गयी.
इसके अलावा नक्सल हिंसा में मारे गये लोगों के दो आश्रितों को तृतीय श्रेणी की नौकरी का नियुक्ति पत्र, जरूरतमंद योग्य लोगों को अनुदान राशि, दिव्यांग जनों को ह्विलचेयर, विद्यार्थियों को साइकिल, किसानों को गाय व अन्य परिसंपत्तियां बांटी गयी. राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के स्टॉल भी शिविर में लगाये गये थे.

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