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रांची : सौभाग्य योजना से रोशन होंगे नौ जिलों के 3738 घर

रांची : झारखंड सरकार सौभाग्य योजना के तहत राज्य के नौ जिलों के 3738 घरों को रोशन करेगी. योजना के तहत चार पैकेजों में इन घरों में 220 वाट की सौर ऊर्जा आधारित बिजली पहुंचायी जायेगी. इससे इन घरों में प्रतिदिन पांच एलइडी बल्ब, एक टीवी और एक पंखा चल (लगातार पांच से छह घंटे […]

रांची : झारखंड सरकार सौभाग्य योजना के तहत राज्य के नौ जिलों के 3738 घरों को रोशन करेगी. योजना के तहत चार पैकेजों में इन घरों में 220 वाट की सौर ऊर्जा आधारित बिजली पहुंचायी जायेगी. इससे इन घरों में प्रतिदिन पांच एलइडी बल्ब, एक टीवी और एक पंखा चल (लगातार पांच से छह घंटे तक ) सकेगा. सरकार की इस योजना के तहत 20 अगस्त तक आवेदकों से आवेदन देने का आग्रह किया गया है. हालांकि निविदा की शर्तों में बदलाव नहीं होने से असमंजस की स्थिति बनी हुई है.
इस योजना को दिसंबर 2018 तक हर हाल में पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है. झारखंड रिन्युएबल एनर्जी डेवलपमेंट अथॉरिटी (ज्रेडा) इस योजना को क्रियान्वित कर रहा है.
220 वाट के पैकेज में सरकार की तरफ से 35 वाट के पांच बल्ब, 20 वाट के एक पंखा व 25 वाट के टीवी का कनेक्शन दिया जायेगा. इसके अलावा एक चार्जिंग प्वाइंट दिया जायेगा. सरकार की तरफ से आवेदक कंपनियों के लिए 32 लाख रुपये की बैंक गारंटी भी मांगी गयी है. सबसे अधिक पैकेज-1 में चतरा जिले के 2044 घरों तक बिजली पहुंचायी जायेगी. पैकेज-2 में हजारीबाग, लातेहार, गुमला और सिमडेगा के 325 घरों में बिजली पहुंचायी जायेगी.
पैकेज-3 में पश्चिमी सिंहभूम और सरायकेला जिले के 1108 घरों को लिया गया है. पैकेज-4 में पाकुड़ के 205 और साहेबगंज के 50 ग्रामीण घरों को लिया गया है. सभी घरों में स्टैंडर्ड पैकेज के तहत 12.6 वोल्ट की लिथियम बैटरी भी देना जरूरी किया गया है. इससे ही एलइडी लाइट, टीवी और पंखे चलेंगे.
ज्रेडा की शर्तों में अनिश्चितता
सौभाग्य योजना में दूसरे राज्यों में काम कर चुकी कंपनियों के प्रमाण पत्र को नहीं माना जा रहा है. सरकार छत्तीसगढ़ गैर परंपरागत ऊर्जा एजेंसी, केरल गैर परंपरागत ऊर्जा एजेंसी और अन्य राज्यों में इस योजना के तहत काम कर चुकी कंपनियों को तवज्जो नहीं दे रही है. ज्रेडा के अधिकारियों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कंपनियों को जो भी प्रमाण पत्र दूसरे जगह मिले हैं, वे झारखंड में मान्य नहीं होंगे.
यदि कंपनियों ने झारखंड में योजना के तहत काम किया है, तो उन्हें प्राथमिकता मिल सकती है. योजना की दूसरी तय शर्तें भी उलझानेवाली हैं. यह कहा गया है कि आवेदकों को पूरी सामग्री की आपूर्ति करने पर 60 फीसदी की राशि का भुगतान कर दिया जायेगा. पर 30 प्रतिशत राशि योजना के सफल क्रियान्वयन पर ही मिल सकेगी.
लघु और मंझोले स्तर के उद्योगों को क्या रियायत दी जायेगी, यह भी स्पष्ट नहीं है. कई कंपनियों ने सरकार से यह आग्रह किया कि नमूना जांच (प्री डिस्पैच इंस्पेक्शन) के लिए केंद्र से संबद्ध प्रयोगशाला में एक महीने का समय रिपोर्ट लेने में लगता है. अत: एक स्वीकारोक्ति पत्र देकर आवेदन देने का मार्ग प्रशस्त करें. इस पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गयी.

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