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रांची : मानव तस्करों को मिलेगी 10 वर्ष की सजा

मानव तस्करी रोकने के लिए केंद्र सरकार ने बनाया कानून रांची : केंद्र ने मानव तस्करी रोकने के लिए नया कानून बनाया है. ट्रैफिकिंग ऑफ पर्सन्स (प्रिवेंशन, प्रोटेक्शन एंड रिहैबिलिटेशन) बिल-2018 सदन में पारित कर दिया गया है. केंद्रीय महिला और बाल विकास विभाग की ओर से बिल सदन में लाया गया था. केंद्र सरकार […]

मानव तस्करी रोकने के लिए केंद्र सरकार ने बनाया कानून
रांची : केंद्र ने मानव तस्करी रोकने के लिए नया कानून बनाया है. ट्रैफिकिंग ऑफ पर्सन्स (प्रिवेंशन, प्रोटेक्शन एंड रिहैबिलिटेशन) बिल-2018 सदन में पारित कर दिया गया है. केंद्रीय महिला और बाल विकास विभाग की ओर से बिल सदन में लाया गया था. केंद्र सरकार ने इसके लिए नेशनल एक्शन ऑफ कोआॅर्डिनेशन ग्रुप (नैग) का भी गठन किया है.
मानव तस्करों के लिए 10 वर्ष की सश्रम कारावास की सजा देने का प्रावधान किया गया है. मानव तस्करी से संबंधित मामलों की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में करने का प्रावधान किया गया है, ताकि दोषियों को त्वरित सजा दी जा सके.
नैग के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष संजय मिश्र ने बताया कि राष्ट्रपति के अनुमोदन के बाद जल्द ही इसे देश भर में लागू कर दिया जायेगा. नये कानून में कहा गया है कि देश की 130 करोड़ की आबादी में 1.8 करोड़ से अधिक लोग मजदूर की तरह काम कर रहे हैं.
नये कानून में राष्ट्रीय स्तर की जांच एजेंसी का गठन किया जायेगा. यह एजेंसी सभी राज्यों में भ्रमण कर मानव तस्करी में संलिप्त लोगों को गिरफ्तार करेगी. नये कानून में सभी तरह की ट्रैफिकिंग की गतिविधियां शामिल की गयी हैं. इसमें मानव व्यापार, ड्रग्स की खरीद-बिक्री, मजदूरों की तस्करी, तस्करी किये गये बच्चों के साथ यौन शोषण, मानव अंगों का व्यापार व बाल विवाह जैसी कुरितियों को शामिल किया गया है.
मानव तस्करी से छुड़ाये गये बच्चों, बच्चियों के उचित पुनर्वास को लेकर पुनर्वास फंड गठित करने की बात भी कही गयी है. बिल में राज्य सरकारों को संबद्ध अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति करने का अधिकार होगा. प्रतिनियुक्त अधिकारी अपने दायित्व का निर्वह्न नहीं करेंगे, तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी.
झारखंड से सालाना 12 हजार से अधिक बच्चों की तस्करी
संजय मिश्रा ने बताया कि सालाना 12 हजार बच्चे व बच्चियों की तस्करी झारखंड से होती है. झारखंड में मानव तस्करी को रोकने के लिए एटसेक, साउथ एशिया वायलेशन इंडिंग चिल्ड्रेन (साइवाग) की तरफ से कई वर्षों से काम किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि बच्चों की तस्करी रोकने के लिए नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी बचपन बचाओ आंदोलन के तहत कार्य कर रहे हैं. उन्होंने कोडरमा, पलामू और अन्य जिलों में बाल मजदूरी उन्मूलन अभियान भी चलाया है. एटसेक के झारखंड प्रदेश के अध्यक्ष प्रशांत करण ने नये कानून का स्वागत किया है.

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