13.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

रांची : अफसरों की लापरवाही पर हाइकोर्ट ने कहा, गुस्ताख अफसर न तो आदेश मानते हैं, न सीएम की सुनते हैं

रांची : झारखंड हाइकोर्ट में मंगलवार को जंगलों व बाघों की संख्या में कमी काे लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के अधिकारियों की कार्यशैली पर नाराजगी जतायी. कोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं होने पर […]

रांची : झारखंड हाइकोर्ट में मंगलवार को जंगलों व बाघों की संख्या में कमी काे लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के अधिकारियों की कार्यशैली पर नाराजगी जतायी.
कोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं होने पर खंडपीठ ने अधिकारियों को फटकार लगाते हुए माैखिक रूप से कहा कि आदेश का अनुपालन नहीं होने के लिए काैन-काैन अधिकारी जिम्मेवार है, उसकी जानकारी दी जाये. खंडपीठ ने कहा कि यह काफी गंभीर मामला है. यह अवमानना का मामला बन सकता है.
बाघों के संरक्षण को बढ़ावा देने से संबंधित कई आदेश पारित किये गये, लेकिन आदेश का अनुपालन नहीं किया गया. आदेश नहीं माननेवाले गुस्ताख अधिकारी न तो मुख्यमंत्री का सम्मान करते हैं आैर न ही हाइकोर्ट का. खंडपीठ ने कहा कि कर्तव्य के प्रति इस तरह के व्यवहार को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है.
वन्यजीव संरक्षण के बारे में कोई भी चिंतित नहीं है. इस तरह के गैर जिम्मेवार अधिकारियों के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की जा सकती है. खंडपीठ ने संबंधित विभागों के अधिकारियों को शो कॉज कर पूछा, क्यों नहीं आपने कोर्ट के आदेश का अनुपालन किया. अगली सुनवाई के पूर्व स्पष्टीकरण का जवाब देने का निर्देश दिया.
राज्य सरकार को विस्तृत जवाब दाखिल करने को कहा गया. आदेश का अनुपालन क्यों नहीं किया गया. इसके लिए काैन जिम्मेवार है. उसकी भी जानकारी देने को कहा. मामले की अगली सुनवाई 30 अगस्त को होगी. इससे पहले मामले की सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने पिछले वर्ष 28 फरवरी को पारित आदेश का हवाला दिया. कहा कि मुख्यमंत्री ने फरवरी -2018 में उच्चस्तरीय बैठक की थी, जिसमें हाइकोर्ट के निर्देशों का अनुपालन करने को कहा था.
वन्य जीव संरक्षण व बाघ संरक्षण को बेहतर बनाने के लिए अंतर विभागीय समन्वय के लिए विभागीय कार्यशाला आयोजित करने को कहा था. जून में कार्यशाला आयोजित की गयी, जिसमें कृषि व ऊर्जा विभाग के प्रतिनिधि उपस्थित थे.
वन, आवास, वित्त, सामाजिक कल्याण विभाग जैसे प्रमुख विभागों के अधिकारी शामिल नहीं हुए. बिना ठोस कारण के अधिकारी अनुपस्थित रहे. बजटीय प्रावधान रहने के बावजूद टाइगर प्रोजेक्ट को फंड रिलीज नहीं किया गया. इससे पूर्व जल संसाधन विभाग की अोर से सूचित किया गया कि पलामू टाइगर रिजर्व क्षेत्र में मंडल डैम की प्रारंभिक योजना को संशोधित करने की जरूरत है. योजना अब बदल दी गयी है. कुछ शर्तें पूरी हो गयी है, कई शर्तों पर छूट के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा जाना है.
एमीकस क्यूरी अधिवक्ता वंदना सिंह ने खंडपीठ से कहा कि टाइगर प्रोजेक्ट क्षेत्र के वन्य जीव असुरक्षित हैं. केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण द्वारा स्वीकृत बजट को राज्य द्वारा प्राप्त किया गया है, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई प्रभावी कार्य नहीं किया गया है. काम सिर्फ कागजों पर दिखाया गया है. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी विकास महतो ने जनहित याचिका दायर की है. उन्होंने पलामू टाइगर रिजर्व क्षेत्र के वन्य जीवों, बाघों की संख्या में कमी का मामला उठाया है.
Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel