रांची : आदिवासी सरना महासभा के मुख्य संयोजक सह पूर्व मंत्री देव कुमार धान झारखंड के सरना आदिवासियों को धर्म के नाम पर दिग्भ्रमित कर रहे हैं. यह बातें अखिल भारतीय आदिवासी महासभा के उपाध्यक्ष मुकेश बिरुवा ने कही. उन्होंने कहा कि सरना की उत्पत्ति मुंडा लोकोक्तियों से होती है, जो एक सांस्कृतिक अनुष्ठान है.
1936 में जयपाल सिंह मुंडा जब दुमकुड़िया के अध्यक्ष थे, तब पंडित रघुनाथ मुर्मू के साथ चर्चा में सरना की बात उठी थी़ 1959 में सभी आदिवासी समाज के अगुवों ने सभा कर सरना शब्द पर मुहर लगायी थी़ उस बैठक में जयपाल सिंह मुंडा, रघुनाथ मुर्मू, लको बोदरा, शुभनाथ देवगम, मंगल सोरेन जैसे सामाजिक अगुवे मौजूद थे. जैन को कम संख्या में भी कोड मिल सकता है, तो सरना को क्यों नहीं?