मनोज सिंह
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फर्जी व्यक्ति के खाते में जा रही है केंदू पत्ते की मजदूरी
मनोज सिंह रांची : वन विकास निगम के कई प्रमंडलों में केंदू पत्ता चुननेवाले मजदूरों की मजदूरी फर्जी लोगों के खाते में भेजे जाने की सूचना मिली है. हजारीबाग के लघु वन पदार्थ परियोजना अंचल के महाप्रबंधक ने वन विकास निगम हजारीबाग के प्रमंडलीय प्रबंधक को पत्र लिख कर इसकी जांच कराने का आग्रह किया […]
रांची : वन विकास निगम के कई प्रमंडलों में केंदू पत्ता चुननेवाले मजदूरों की मजदूरी फर्जी लोगों के खाते में भेजे जाने की सूचना मिली है. हजारीबाग के लघु वन पदार्थ परियोजना अंचल के महाप्रबंधक ने वन विकास निगम हजारीबाग के प्रमंडलीय प्रबंधक को पत्र लिख कर इसकी जांच कराने का आग्रह किया है. इसके बाद वन विकास निगम मुख्यालय ने जहां आरोप लगा है, वहां के पदाधिकारियों को मामले की जांच के लिए लिख दिया है. वन निगम को लिखे पत्र में कहा गया है कि 24 एवं 25 मई को इटखोरी, घंघरी आदि इलाकों का संयुक्त पर्यवेक्षण किया गया.
वन समिति के अध्यक्षों, सदस्यों तथा ग्रामीणों के साथ बैठक हुई. इसमें हजारीबाग प्रमंडल में गंभीर तथ्य सामने आये. इसकी विस्तृत जांच कर दोषी व्यक्ति और कर्मचारियों पर शीघ्र कार्रवाई करने की सलाह दी गयी है. अधिकारियों ने पाया कि केंदू पत्ता प्राथमिक संग्रहकर्ताओं को सरकार के निर्धारित दर से कम दर पर मजदूरी का भुगतान किया जा रहा है. कई अवैध बैंक खाते खोल कर क्रेताओं और ठेकेदारों के छद्म व्यक्ति को भुगतान किया जा रहा है. मजदूरों को केंदू पत्ती नीति-2015 के प्रावधानों के विपरीत भुगतान किया जा रहा है. वन संरक्षक ने लिखा है कि समय-समय पर ऐसी चीजों से अवगत कराया जाता रहा है. इसके बावजूद इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. इससे स्पष्ट होता है कि आपके स्तर से इस मामले में शिथिलता और लापरवाही बरती गयी है. महाप्रबंधक ने इसकी विस्तृत जांच कराने को कहा है.
वन संरक्षक ने भी की थी शिकायत
चतरा के वन संरक्षक ने पूर्व में लघु वन पदार्थ परियोजना अंचल हजारीबाग को पत्र लिखकर केंदू पत्ता मजदूरों की वास्तविक मजदूरी भुगतान में बरती जा रही अनियमितता का जिक्र किया है. इसमें उन्होंने मई माह में वन समितियों एवं ग्रामीणों के साथ हुई बैठक का जिक्र किया था. इसमें लिखा है कि इस बैठक में हजारीबाग के क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षक, वन संरक्षक, प्रादेशिक अंचल चतरा, वन प्रमंडल पदाधिकारी चतरा, उत्तरी वन प्रमंडल के अधिकारी भी मौजूद थे. इसमें मजदूरों को वास्तविक मजदूरी नहीं दिये जाने का मामला उठाया गया था. इसमें मजदूरों को 100 रुपये प्रति सैकड़ा पोला दिये जाने की बाद उठी थी. जबकि राज्य सरकार ने 117.50 रुपये प्रति सैकड़ा पोला तय किया है. पैसे का भुगतान भी खाते में होना था. लेकिन यह भी नकद भुगतान किया जा रहा था. प्रोत्साहन राशि भी केंदू पत्ता ठेकेदारों के अपने लोगों के खाते में जमा होने की शिकायत मिली थी. इसके बाद पूरे मामले की जांच करने का आग्रह किया गया था.
करीब 80 करोड़ होता है मजदूरों का भुगतान
करीब साढ़े सात लाख मानक बोरा केंदू पत्ते की पैदावार झारखंड में हर साल होती है. इससे करीब 80 करोड़ रुपये मजदूरों का भुगतान होता है. मजदूरी के अतिरिक्त करीब रॉयल्टी का 20 फीसदी बोनस मजदूरों को दिया जाता है. लेकिन इस फर्जीवाड़े से असली केंदू पत्ता मजदूरों के बोनस से वंचित रह जाने की संभावना है.
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