आइएमए के आह्वान पर डॉक्टर रहे हड़ताल पर, मरीजों को हुई परेशानी
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हड़ताल : सदर अस्पताल में ओपीडी ठप, 300 मरीज लौटे, रिम्स ने संभाला मोर्चा
आइएमए के आह्वान पर डॉक्टर रहे हड़ताल पर, मरीजों को हुई परेशानी नेशनल मेडिकल काउंसिल (एनएमसी), एग्जिट एग्जाम व ब्रिज कोर्स के विरोध में शनिवार को राष्ट्रीय आइएमए के अाह्वान पर राज्य भर में 11,000 से ज्यादा डॉक्टर 12 घंटे हड़ताल पर रहे. इसमें सरकारी व गैरसरकारी डॉक्टर शामिल हुए. हड़ताल के कारण अस्पतालों में […]
नेशनल मेडिकल काउंसिल (एनएमसी), एग्जिट एग्जाम व ब्रिज कोर्स के विरोध में शनिवार को राष्ट्रीय आइएमए के अाह्वान पर राज्य भर में 11,000 से ज्यादा डॉक्टर 12 घंटे हड़ताल पर रहे. इसमें सरकारी व गैरसरकारी डॉक्टर शामिल हुए. हड़ताल के कारण अस्पतालों में इलाज कराने पहुंचे मरीजों को काफी परेशानी हुई. सदर अस्पताल, पीएचसी व सीएचसी में इलाज कराने पहुंचे मरीजों को निराश होकर लौटना पड़ा. हालांकि राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में मरीजों को परामर्श मिला, इसलिए ज्यादा परेशानी नहीं हुई. शाम छह बजे के बाद निजी अस्पतालों व क्लिनिक में डॉक्टरों ने परामर्श दिया. राज्य आइएमए ने हड़ताल को पूरी तरह सफल बताया.
रांची : रिम्स में हड़ताल का असर नहीं दिखा. ओपीडी में सीनियर व जूनियर डॉक्टर सामान्य दिनों की तरह परामर्श देते दिखे. ओपीडी के अलावा रूटीन ऑपरेशन, रेडियोलॉजी जांच व ब्लड जांच भी की गयी. यहां दोपहर 12 बजे तक सामान्य रूप से ओपीडी का संचालन हो रहा था. इसके बाद आइएमए के कुछ पदाधिकारी ओपीडी बंद कराने पहुंचे. उन्होंने ओपीडी में इलाज कर रहे सीनियर व जूनियर डॉक्टरों से बाहर निकलने का अनुरोध किया, लेकिन डॉक्टर ओपीडी से बाहर नहीं निकले. इधर, सदर अस्पताल में ओपीडी पूरी तरह ठप रहा. इस कारण वहां से करीब 300 मरीजों को निराश होकर लौटना पड़ा. वहां के मरीज भी परामर्श लेने रिम्स के ओपीडी पहुंचे.
सूत्रों के अनुसार, रिम्स के चिकित्सक हड़ताल में इसलिए भी शामिल नहीं हुए, क्योंकि दो दिन पहले ही मुख्यमंत्री रघुवर दास ने एक कार्यक्रम में स्पष्ट निर्देश दिया था कि चिकित्सक, नर्स व कर्मचारी हड़ताल पर नहीं जायें. जिनको काम नहीं करना है, वह रिम्स छोड़कर जा सकते हैं. उन्होंने कहा था कि अगर किसी प्रकार की मांग है, तो निदेशक को अवगत करायें. रिम्स में मुख्यमंत्री के सख्त निर्देश का असर दिखा.
सदर अस्पताल की इमरजेंसी में 235 मरीजों का हुआ इलाज
सदर अस्पताल में ओपीडी सेवा पूरी तरह ठप रही. डॉक्टर अस्पताल तो आये थे, लेकिन ओपीडी में बैठे नहीं. एक्सरे रूम के बाहर भी मरीजों की लाइन लगी थी. यहां मरीजों का अल्ट्रासाउंड व एक्सरे हो रहा था, लेकिन जांच के बाद रिपोर्ट देखने के लिए कोई डॉक्टर ओपीडी में नहीं मिला. शाम छह बजे तक इमरजेंसी में 235 मरीजों का इलाज हुआ. ओपीडी में इलाज कराने आये करीब 300 मरीजों को लौटना पड़ा. सदर अस्पताल में रोजाना करीब 600 मरीजों का इलाज ओपीडी में होता है.
क्या कहते हैं मरीज
आइटीआइ से सदर अस्पताल पहुंची महिला साहिदा ने बताया कि वह सुबह ही अस्पताल पहुंच गयी थी, लेकिन हड़ताल के कारण डॉक्टर नहीं मिले. नेत्र विभाग व मेडिसिन विभाग में दिखाना था. बरियातू से आयी बुखार से पीड़ित बच्ची का भी इलाज नहीं हो पाया. इमरजेंसी में डॉक्टर ने कहा कि आज दवा लेकर जाओ. सोमवार को आना, तो जांच लिख देंगे.
निजी अस्पताल व क्लिनिक में भी नहीं मिला परामर्श
राजधानी के निजी अस्पतालों व क्लिनिकों में भी मरीजों को परामर्श नहीं मिला. दूर-दराज से आये मरीज अस्पताल व क्लिनिक के बाहर बैठे रहे. डाॅक्टरों के नहीं होने के कारण उनका इलाज नहीं हुआ. मरीजों को कहा जा रहा था कि शाम छह बजे के बाद ही परामर्श मिला पायेगा.
नेशनल मेडिकल कमीशन बिल के समर्थन में चिकित्सकों ने 12 घंटे की हड़ताल की. इस कारण ओपीडी सेवाएं बाधित रहीं. इमरजेंसी में मरीजों का इलाज किया गया.
डॉ एके झा, उपाधीक्षक, सदर
नेशनल आइएमए के आह्वान पर राज्य में हड़ताल सफल रही. यह हड़ताल मरीज के हित भी थी. अगर हम अन्य पद्धति के डॉक्टरों को ब्रिज कोर्स करा कर इलाज के लिए छोड़ देते हैं, तो जनता ही हमसे पूछेगी कि आप लोगों ने पहले विरोध क्यों नहीं किया.
डॉ प्रदीप सिंह, सचिव, राज्य आइएमए
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