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रांची : जेपी उद्यान की घेराबंदी कर किया जा रहा निर्माण कार्य

जांच के लिए सीएम को पत्र रांची : इटकी रोड में कटहल मोड़ के पहले स्थित जेपी उद्यान को घेर लिया गया है, जिसकी वजह से यहां उद्यान का नामोनिशान नहीं दिख रहा है. इस जमीन पर निर्माण कार्य भी शुरू हो गया है. बड़े-बड़े पिलर खड़े कर दिये गये हैं, जिसके ऊपर बड़े गोदाम […]

जांच के लिए सीएम को पत्र
रांची : इटकी रोड में कटहल मोड़ के पहले स्थित जेपी उद्यान को घेर लिया गया है, जिसकी वजह से यहां उद्यान का नामोनिशान नहीं दिख रहा है. इस जमीन पर निर्माण कार्य भी शुरू हो गया है. बड़े-बड़े पिलर खड़े कर दिये गये हैं, जिसके ऊपर बड़े गोदाम जैसी संरचना तैयार की जा रही है. इसके सामने के हिस्से में कतार से दुकान बनाने की योजना है.
तीन हिस्सों में बांट कर उद्यान की जमीन की घेराबंदी हो गयी है. इस जमीन को लेकर लोकतंत्र सेनानी संघ झारखंड प्रदेश ने आवाज उठायी है. संघ के प्रदेश सचिव अशोक वर्मा ने मुख्यमंत्री रघुवर दास को इस संबंध में पत्र लिखा है. साथ ही उनसे पूरे मामले की जांच का आग्रह किया है. संघ का आरोप है कि अवैध जमाबंदी के माध्यम से जमीन पर कब्जा किया गया है.
क्या लिखा है पत्र में
संघ के पत्र में लिखा गया है कि जेपी की स्मृति में इस उद्यान की स्थापना एकीकृत बिहार के समय की गयी थी. वन विभाग ने गैर मजरुआ जमीन जमीन को उद्यान के रूप में विकसित किया था. जेपी के आदमकद प्रतिमा की स्थापना हुई थी. यहां लोगों के टहलने, मनोरंजन और आराम के प्रबंध किये गये. कई पौधे लगाकर उसे सुंदर उद्यान का रूप दिया गया था. कुछ साल बाद इस उद्यान को उजाड़ने कोशिश शुरू हो गयी. यहां बैठने के लिए बनी कुर्सियां तोड़ी गयीं.
जेपी की आदमकद प्रतिमा को तोड़ दिया गया. धीरे-धीरे कर पूरे उद्यान को तहस-नहस कर दिया गया. फिर घेराबंदी शुरू की गयी, लेकिन 2001 में तत्कालीन उपायुक्त सुखदेव सिंह की पहल पर घेराबंदी नहीं होने दी. लेकिन, बाद में फिर कब्जा शुरू हो गया. संघ ने लिखा है कि बाद में मूरत कुमारी सिन्हा और सुनील कुमार सिंह के नाम जमाबंदी की बातें सामने आयीं. इस जमाबंदी को रद्द करने का भी प्रस्ताव बढ़ा, लेकिन इस पर आगे की कार्रवाई नहीं हुई.
कैसा था उद्यान
जेपी उद्यान 7.80 एकड़ में फैला हुआ था. इसे देखने के लिए दूर-दराज से लोग आते थे. चारों सुंदर व आकर्षक पेड़-पौधे लगे हुए थे. उद्यान के अंदर चिड़ियां भरी हुई थी. लोग घंटों आकर यहां बैठते और समय गुजारते थे. सुबह में लोग यहां टहलने भी आते थे. यहां तक कि कई दुर्लभ पौधे भी लगाये गये थे. लोग यहां पिकनिक भी मनाने आते थे.

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