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एजी की आपत्ति : अडानी पावर के करार से 294 करोड़ का नुकसान, सरकार ने कहा, कोई नुकसान नहीं होगा
II शकील अख्तर II रांची : ऊर्जा नीति में बदलाव कर अडानी पावर लिमिटेड (एपीएल) के साथ एमओयू करने से राज्य सरकार को सालाना 294 करोड़ रुपये का नुकसान होगा. कंपनी के अनुरोध पर ही राज्य सरकार ने ऊर्जा नीति में बदलाव किया था. महालेखाकार (एजी ) ने इस पर आपत्ति जताते हुए अडानी पावर […]
II शकील अख्तर II
रांची : ऊर्जा नीति में बदलाव कर अडानी पावर लिमिटेड (एपीएल) के साथ एमओयू करने से राज्य सरकार को सालाना 294 करोड़ रुपये का नुकसान होगा. कंपनी के अनुरोध पर ही राज्य सरकार ने ऊर्जा नीति में बदलाव किया था.
महालेखाकार (एजी ) ने इस पर आपत्ति जताते हुए अडानी पावर को तरजीह देनेवाली कार्रवाई करार देते हुए सरकार का पक्ष जानना चाहा था. हालांकि सरकार ने एजी को भेजे गये जवाब में कहा कि एमओयू से कोई नुकसान नहीं होगा.
एपीएल ने थर्मल पावर प्लांट लगाने का दिया था प्रस्ताव : एजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि अडानी पावर लिमिटेड(एपीएल) ने 26 अक्तूबर 2015 को प्रस्ताव देकर थर्मल पावर प्लांट( 800 मेगावाट की दो यूनिट) लगाने का प्रस्ताव राज्य सरकार को दिया था. इसमें कहा गया था कि पीएम मोदी की बांग्लादेश यात्रा के दौरान करार हुआ था कि उसे 1600 मेगावाट बिजली दी जायेगी.
इस करार के आलोक मे एपीएल ने पहली बार ऊर्जा नीति में छूट की मांग की और कुल उत्पादन के 25 प्रतिशत यानी 400 मेगावाट बिजली राज्य को दूसरे स्रोत से देने की बात कही, क्योंकि बांग्लादेश के साथ एमओयू में पूरी बिजली उसे ही देने की बात कही गयी थी. राज्य सरकार ने एपीएल के इस अनुरोध को स्वीकार करते हुए 17 फरवरी 2016 को एमओयू(स्टेज-1) किया. इसमें उसे प्रस्तावित प्लांट के बदले किसी दूसरे प्लांट से 25 फीसदी बिजली झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग (जेएसइआरसी) द्वारा निर्धारित दर पर राज्य को देने का प्रावधान कर दिया.
राज्य विद्युत नियामक आयोग ने एमओयू स्टेज-1 में किये गये इस प्रावधान पर आपत्ति जतायी. आयोग ने कहा कि ऊर्जा नीति 2012 में 25 प्रतिशत बिजली में से 13 प्रतिशत फिक्स्ड कॉस्ट व वैरिएबल कास्ट और 12 प्रतिशत बिजली वैरिएबल कास्ट पर लेने का प्रावधान है.
आधुनिक पावर एंड नेचुरल रिसोर्सेज लिमिटेड और इनलैंड पावर लिमिटेड के साथ किये गये एमओयू में ऊर्जा नीति के तहत यह किया गया है. इसलिए सभी एमओयू में समानता होनी चाहिए.
कैप्टिव कोल ब्लॉक आवंटन रद्द : भारत सरकार ने मार्च 2015 में ही सभी कैप्टिव कोल ब्लॉक के आवंटन को रद्द कर दिया था. अडानी पावर ने एमओयू स्टेज-1 के समय कोयले का मुद्दा नहीं उठाया.
हालांकि एमओयू स्टेज- 2 के पहले सरकार को पत्र लिखा. 13 जुलाई 2016 को अडानी पावर की ओर से सरकार को पत्र( एपीजेएल/जीओजे/पीएस-इ/बीडी/14072016) लिखा गया. इसमें सरकार से अनुरोध किया गया कि ऊर्जा मंत्रालय ने कोल ब्लॉक रद्द कर दिया है. इसलिए एमओयू में उसी के अनुरूप बदलाव किया जाना चाहिए.
कंपनी की ओर से 10 अगस्त 2016 को दूसरा पत्र लिखा गया. इसमें सरकार से यह अनुरोध किया गया कि वह एमओयू में 13 प्रतिशत बिजली आयोग द्वारा निर्धारित दर और 12 प्रतिशत बिजली कोल ब्लॉक या कोल लिंकेज मिलने पर ही वेरिएबल रेट पर देने का प्रावधान करे.सरकार ने अडानी के इस अनुरोध को स्वीकार करते हुए ऊर्जा नीति में बदलाव कर कंपनी के साथ 21 अक्तूबर 2016 को स्टेज-2 का एमओयू किया. इसके बाद सरकार की ओर से झारखंड खनिज विकास निगम को पत्र लिख कर कहा गया कि वह अडानी पावर को कोल लिंकेज दे.
हालांकि निगम ने यह कहते हुए अडानी पावर को कोल लिंकेज देने से इनकार कर दिया कि लिंकेज सिर्फ इ-ऑक्शन से ही मिल सकता है.
इस तरह अडानी को कोल लिंकेज नहीं मिलने की वजह से 12 प्रतिशत बिजली वेरिएबल कॉस्ट के बदले फिक्स्ड कॉस्ट व वैरिएबल कॉस्ट पर लेना पड़ेगा. इससे सरकार को सालाना 294 करोड़ रुपये का नुकसान होगा.
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