सिल्ली से अमलेश नंदन सिन्हा, पंकज कुमार पाठक
झारखंड विधानसभा की सिल्ली सीट पर हो रहे उपचुनाव को जीतने के लिए सभी प्रत्याशियों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. देर रात तक प्रचार चल रहा है. तड़के तीन बजे तक प्रत्याशी गांवों का दौरा कर रहे हैं. धुआंधार प्रचार के बीच लोग अपनी समस्याओं के साथ खड़े हैं. मतदाताओं का कहना है कि उप-चुनाव में राष्ट्रीय या क्षेत्रीय पार्टी कोई मुद्दा नहीं है. प्रत्याशी की छवि और उसका ट्रैक रिकॉर्ड ही उसे जिता सकता है.
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सिल्ली उपचुनाव में सबसे बड़े मुद्दे क्या हैं, यह पूछने पर अमरूद बगान से लेकर सिल्ली के मुख्य चौराहे तक के लोगों ने जो समस्याएं गिनायीं, उसमें कोई अंतर नहीं है. हर जगह शिक्षा, स्वास्थ्यऔर रोजगार ही सबसे बड़ी समस्या है. यही चुनावी मुद्दा भी है. सिल्ली में झारखंडमुक्ति मोर्चा (झामुमो) प्रत्याशी सीमा महतो और ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू)पार्टी के मुखिया सुदेश महतो जमकर प्रचार कर रहे हैं. सिल्ली में कुल 10 प्रत्याशी मैदान में हैं. सभीनेसिल्ली सीट को जीतने के लिएपूराजोर लगा रखा है.
लाइव कार्यक्रम में बोली सिल्ली की जनता
prabhatkhabar.com के फेसबुक लाइव कार्यक्रम में स्थानीय युवक सुनील ने सिल्ली की एक–एक समस्या के बारे में विस्तार से बताया. कहा कि सिल्ली में बिजली की समस्या सबसे बड़ी है. दो घंटे से ज्यादा बिजली नहीं रहती. साहेब बांध तालाब, जो सिल्ली के मुख्य चौराहे के पास है, उसके पास की सड़कें चौड़ी करने की योजना है. सुनील ने बताया कि सड़कें चौड़ी हो, हम सभी चाहते हैं, लेकिन यहां के दुकानदारों का क्या होगा? सरकार को इस पर विचार करना चाहिए. पहले छोटे दुकानदारों को जगह दी जाये, उसके बाद उन्हें हटाया जाये.
पलायन है बड़ा मुद्दा
सिल्ली से लोगों का पलायन भी खूब होता है. यहां के लोग बताते हैं कि सालों हम बाहर काम करके लौटे हैं. बाहर से कमाकर जो पैसे लाते हैं, घर में देकर फिर से बड़े शहर लौट जाते हैं. अभी भी यहां के ज्यादातर लोग रांची में मजदूरी, ड्राइवरी सहित कई छोटे-छोटे काम करते हैं. ग्रामीण बताते हैं कि यहां शिक्षा की व्यवस्था भी बेहद लचर है. सिल्ली में चार प्रखंड हैं. अनगड़ा, सिल्ली, राहे और सोनाहातू. सिर्फ सिल्ली में एक डिग्री कॉलेज है. दूसरे प्रखंडों में हाई स्कूल को अपग्रेड कर प्लस टू का दर्जा दिया गया है, लेकिन यहां शिक्षकों की कमी है. इसलिए प्लस टू की पढ़ाई नहीं होती. उच्च शिक्षा के लिए बच्चों को रांची जाना पड़ता है.
सरकारी अस्पताल गर्भवती महिलाओं को करता है रांची रेफर
सिल्ली में सरकारी अस्पताल है, लेकिन गर्भवती महिलाओं को सीधे रांची रेफर कर दिया जाता है. ग्रामीण बताते हैं कि ज्यादातर महिलाओं को डराकर उनकी नाॅर्मल डिलिवरी से बचने की कोशिश होती है. कमीशन की लालच में उन्हें दूसरी जगह भेज दिया जाता है.
सरकार द्वारा तय की गयी मजदूरी तक नहीं मिलती
सिल्ली में हिंडाल्को जैसी बड़ी कंपनियां हैं, लेकिन मजदूरों का हाल बुरा है. कई लोग नौकरी के लिए तरह रहे हैं. लाइव कार्यक्रम में लोगों ने बताया कि जिनकी पहुंच स्थानीय नेताओं तक है, वही नौकरी कर सकते हैं. आम लोगों को वहां नौकरी नहीं मिलती. जिन्हें नौकरी मिल गयी है, उनकी स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है. उन्हें तय मजदूरी से कम वेतन मिलता है. शिकायत करने पर हटाने की धमकी दी जाती है.