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हैप्पी मदर्स डे : बोले मुख्यमंत्री रघुवर दास- बहुत याद आती है मां

रघुवर दासमुख्यमंत्री, झारखंडरविवार 13 मई काे दुनिया मदर्स डे मनायेगी. मां काे याद करेगी. मैं भी उनमें से एक हूं. मां की याद आते ही अतीत में खाे गया. याद आ गयी मां के संघर्ष की कहानी. मेरे लिए मां खुद तकलीफ झेल जाती थी, लेकिन आह तक नहीं करती थी. याद आ गयीं अतीत […]

रघुवर दास
मुख्यमंत्री, झारखंड

रविवार 13 मई काे दुनिया मदर्स डे मनायेगी. मां काे याद करेगी. मैं भी उनमें से एक हूं. मां की याद आते ही अतीत में खाे गया. याद आ गयी मां के संघर्ष की कहानी. मेरे लिए मां खुद तकलीफ झेल जाती थी, लेकिन आह तक नहीं करती थी. याद आ गयीं अतीत की यादें. कैसे मैं मां की गाेद में सिर रख कर चैन की नींद साे जाता था. न काेई चिंता, न फिक्र. ऐसी थी मेरी मां. हर मां ऐसी ही हाेती है. मुझे याद है, जब बचपन में मैं बीमार पड़ता था, रात-रात भर जाग कर मां मेरी देख रेख करती थी.

नींद पूरी नहीं हाेती थी मां की, लेकिन वह कभी झल्लाती नहीं थी. मां ने गरीबी देखी थी, लेकिन मुझे कभी गरीबी का अहसास नहीं हाेने दिया. आज मुझे जनता ने राज्य के मुख्यमंत्री की जिम्मेवारी साैंपी है. दिन-रात राज्य की चिंता में रहता हूं. रात में कई बार नींद टूटती है, ताे यही साेचता हूं कि कैसे लाेगाें के चेहरे पर खुशी ही खुशी दिखाई दे. कैसे जनता के विश्वास पर खरा उतरूं. यह साेच कर कई बार चिंता में डूब जाता हूं. तब मां की याद आती है. बचपन में जब पढ़ाई का तनाव हाेता था या किसी आैर कारण से रात की नींद खुल जाती थी, मां सिर थपथपा देती थी आैर मैं फिर से चैन से साे जाता था. आज मां की वही कमी खलती है. काश, आज मेरी मां मेरे पास हाेती, ताे अपने काे दुनिया का सबसे खुशनसीब व्यक्ति महसूस करता. मां रहती, ताे शायद मां से बात कर, मां की गाेद में सिर रख कर अपने बाेझ काे हल्का कर लेता.

बचपन काे मैं भूलता नहीं. मैं ताे जमशेदपुर में टीएमएच में पैदा हुआ था. पिताजी टिस्काे में मामूली नाैकरी करते थे. गरीब परिवार था. अार्थिक परेशानी कई बार आड़े आयी. मेरे कई सपने पैसे के अभाव में पूरे नहीं हुए, लेकिन मां ने कभी हिम्मत नहीं हारी. मुझे याद है बचपन से मां ने मुझे समझाया-खूब मन लगाकर पढ़ना आैर बड़ा आदमी बनना. दरअसल मां ने गरीबी देखी थी आैर वह नहीं चाहती थी कि बड़ा हाेकर मुझे भी उसी गरीबी में जीना पड़े. मां भले ही बहुत ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं थी, लेकिन मां का व्यावहारिक ज्ञान गजब का था. दुनिया काे समझती थी. शिक्षा के महत्व काे समझती थी. ईमानदारी की कीमत जानती थी. बचपन में ही मां ने बार-बार समझाया था कि दाे पैसा कम भले ही कमाना, लेकिन ईमान से काेई समझाैता नहीं करना, आत्मसम्मान से काेई समझाैता नहीं करना. महिलाआें आैर बड़ाें की इज्जत हमेशा करना. आज मैं जाे कुछ भी कर पा रहा हूं, वह मां द्वारा दी गयी शिक्षा आैर मां के आशीर्वाद से ही.

स्कूली पढ़ाई के बाद मैं कॉलेज में गया. इसी दाैरान जेपी आंदाेलन आरंभ हाे गया. मैं भी आंदाेलन में कूद पड़ा था. इमरजेंसी लगने के एक माह के अंदर मैं गिरफ्तार हाे गया. पहले ताे डेढ़ माह तक मुझे जमशेदपुर जेल में रखा गया, उसके बाद गया जेल भेज दिया गया. जब तक मैं जमशेदपुर जेल में रहा, सप्ताह में तीन दिन मां आैर पिताजी जेल में मिलने आते थे. पिताजी बहुत ही सरल स्वभाव के थे. मुझे जेल में देखते ही राेने लगते थे, लेकिन मां उन्हें आैर मुझे भी हिम्मत देती थी.

मां कहती थी-बेटा काेई चाेरी-डकैती में थाेड़े ही जेल गया है. वह गलत चीजाें का विराेध करने में जेल गया है. वह बहादुर है. वह जिम्मेवारी निभा रहा है. यह ताे देश की सेवा है. मां की बाताें का पिताजी पर असर हाेता था. जेल गेट पर मां के हाथ का बना खाना जब मिलता था, सारा दुख-दर्द दूर हाे जाता था. समय बदलता गया. एक दिन मैंने मां काे खाे दिया. वह मेरे जीवन का सबसे दुखदाई पल था. तब मैं विधायक भी नहीं बना था. जिस दिन 1995 में मैं जमशेदपुर से विधायक बना, मुझे मां की कमी बहुत खली. पिताजी उन दिनाें मेरे साथ थे, लेकिन मां नहीं थी. जाे मां मुझे देखने, अपने हाथ का खाना लेकर मुझसे मिलने जेल आती थी, वह मां तब मेरे पास नहीं थी, जब मैं कुछ बन गया था. मैं मंत्री बना, मुख्यमंत्री बना, लेकिन इस खुशी काे सामने से देखने के लिए मेरी मां मेरे पास नहीं थी. हर बार शपथ लेने के पहले मां की याद आती आैर आंखाें में आंसू आ जाता था. यह साेच कर संताेष करता रहा कि मां जहां भी हाेगी, वहीं से आशीर्वाद देती हाेगी. तभी ताे मैं कुछ हासिल कर पाया,कुछ बन पाया.

आज मुझे झारखंड की जनता ने बहुत बड़ी जिम्मेवारी दी है. मैं प्रयास करता हूं कि मां ने जाे शिक्षा दी थी, उसी रास्ते पर आगे बढ़ूं. इसलिए जब किसी मां-किसी बहन की पीड़ा को देखता हूं, मां को याद करते हुए उनकी पीड़ा को कम करने का प्रयास करता हूं. मुझे लगा कि हर मां, हर बहन और हर बेटी ताकतवर बने, उनका सम्मान बढ़े, वे आत्मनिर्भर बनें. यही सोच कर मैंने एक रुपये में जमीन की रजिस्ट्री की योजना लागू की. आगे भी मां के आशीर्वाद से बहुत कुछ करना है. आज मदर्स डे के मौके पर मां समेत तमाम मातृशक्ति को याद करते हुए ईश्वर से यही प्रार्थना करता हूं कि झारखंड का हर परिवार खुशहाल रहे, हर मां, बहन, बेटी सुरक्षित रहे, आगे बढ़े. उनका काेई भी सपना अधूरा नहीं रहे. मुझे विश्वास है कि यह सब पूरा हाेगा मां के आशीर्वाद से.

सभी मां को मेरा प्रणाम.

Prabhat Khabar Digital Desk
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