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झारखंड : खतियानी रैयत को ही मानें स्थानीय, 20 साल के लिए आरक्षित हो नौकरी : बाबूलाल मरांडी

राज्य में झारखंडी कौन है, इसकी परिभाषा पर विचार करना होगा: बाबूलाल रांची : झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि कैबिनेट द्वारा 11 गैर अनुसूचित जिलों के लिए स्थानीय व नियोजन नीति को दी गयी मंजूरी के निर्णय से पार्टी सहमत नहीं है. यह झारखंडी नौजवानों के साथ छलावा है. राज्य में झारखंडी […]

राज्य में झारखंडी कौन है, इसकी परिभाषा पर विचार करना होगा: बाबूलाल
रांची : झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि कैबिनेट द्वारा 11 गैर अनुसूचित जिलों के लिए स्थानीय व नियोजन नीति को दी गयी मंजूरी के निर्णय से पार्टी सहमत नहीं है. यह झारखंडी नौजवानों के साथ छलावा है.
राज्य में झारखंडी कौन है, इसकी परिभाषा पर विचार करना होगा. खतियानी रैयत यानी अंतिम सर्वे सेटलमेंट के रैयत को ही झारखंडी यानी स्थानीय मानने का प्रावधान बनाना चाहिए. संविधान के अनुच्छेद 16 (3) के तहत द्वितीय, तृतीय व चतुर्थ वर्ग की सभी नौकरियों को अगले 20 वर्षों तक के लिए आरक्षित कर संसद से इस प्रस्ताव पर मुहर लगानी चाहिए. साथ ही इस नियम को नौवीं अनुसूची में डालना चाहिए, ताकि न्यायालय के क्षेत्राधिकार के बाहर रहे. न्यायालय का कोई हस्तक्षेप नहीं हो. जब तक कानून नहीं बन जाये, तब तक सभी नियुक्तियों पर रोक लगानी चाहिए. श्री मरांडी बुधवार को पार्टी कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे.
मूलवासियों के साथ छलावा कर रही सरकार
श्री मरांडी ने कहा कि भाजपा सरकार यहां के मूलवासियों के साथ छलावा कर रही है. सरकार ने सोची समझी साजिश के तहत झारखंडी जनता के आक्रोश को दबाने के लिए अपरिपक्व निर्णय लिया है.
मूलवासियों को लाभ मिलने से पहले ही कोर्ट इस फैसले को निरस्त कर देगी और सरकार कोर्ट के बहाने बचने का प्रयास करेगी. उन्होंने कहा कि पहले तो राज्य की भाजपा सरकार ने झारखंड को ही 13 व 11 जिलों में बांट कर दो फाड़ करने का प्रयास किया. इसके बाद 2019 में होने वाले चुनाव की दस्तक और अपने ही दर्जनों विधायकों की बगावत के कारण मंत्री अमर बाउरी की अध्यक्षता में सरकार को आनन-फानन में कमेटी का गठन करना पड़ा.भाजपा विधायकों व कमेटी ने भी खतियानी रैयत को नियुक्ति में आरक्षण देने की बात कही थी.
पूर्व मंत्रियों के अावास खाली कराने के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये आदेश के सवाल पर श्री मरांडी ने कहा कि मेरे लिए छह बाइ छह का कमरा काफी है. इसमें सिर्फ एक चौकी लगनी चाहिए. मेरा परिवार अभी भी किराये के मकान में रह रहा है. जो निर्णय होगा, उसे मानेंगे.
Prabhat Khabar Digital Desk
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