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Ranchi News : एआइ युग में साहस, नैतिकता और स्पष्टता की जरूरत

कार्यक्रम का विषय ‘एन एरा ऑफ एआई’ रखा गया था, जिसमें एआइ युग में प्रासंगिक बने रहने के व्यावहारिक तरीकों पर चर्चा हुई.

होटल हॉलिडे होम में आयोजित कार्यक्रम में 14 वक्ताओं ने रखे विचारस्वास्थ्य, शिक्षा, नेतृत्व और नैतिकता में एआइ की भूमिका पर चर्चा

लाइफ रिपोर्टर @ रांचीहोटल हॉलिडे होम, रांची में टेडएक्स कांके का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का विषय ‘एन एरा ऑफ एआई’ रखा गया था, जिसमें एआइ युग में प्रासंगिक बने रहने के व्यावहारिक तरीकों पर चर्चा हुई. 14 वक्ताओं ने भाग लिया. यह कार्यक्रम इंडिया एआइ इम्पैक्ट समिट 2026 का आधिकारिक प्री-समिट इवेंट रहा. टेडएक्स कांके के क्यूरेटर राजीव गुप्ता ने कहा कि एआइ केवल एक उपकरण नहीं है, बल्कि एक दर्पण है, जो यह दर्शाता है कि हम कौन हैं हमारा साहस और हमारे डर, हमारी उदारता और हमारी सीमाएं. पूर्व डीजीपी, कर्नाटक डॉ अमर कुमार पांडे ने कहा कि मानवीय अंतर्ज्ञान और मशीनी बुद्धिमत्ता के बीच संतुलन बनाकर ही प्रभावी निर्णय प्रणाली विकसित की जा सकती है. उन्होंने जोर दिया कि एआइ का अंतिम उद्देश्य मानवीय निर्णय क्षमता को पूरक बनाना होना चाहिए, न कि उसका स्थान लेना. क्लैरिटीएक्स की सह-संस्थापक राखी प्रसाद ने कहा कि स्वयं की स्पष्टता के बिना डेटा का कोई वास्तविक मूल्य नहीं है. उन्होंने इस दौर को ऑगमेंटेड इंटेलिजेंस का युग बताते हुए कहा कि भविष्य उन्हीं नेताओं का है, जो साहस और नैतिकता के साथ एआइ का उपयोग करेंगे.

एआइ ने दुनिया को योग्यता के युग से साहस के युग में पहुंचाया

सीइओ, नेशनल हेल्थ अथॉरिटी और आइएएस अधिकारी डॉ सुनील कुमार बर्नवाल ने अपने सत्र में भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र को एआइ-सक्षम इंटेलिजेंट सिस्टम में रूपांतरित करने की रूपरेखा पर चर्चा की. उन्होंने आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन जैसे मजबूत डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर को एआइ आधारित स्वास्थ्य सेवाओं की नींव बताया और 50 करोड़ से अधिक नागरिकों तक सटीक व समावेशी स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने की आवश्यकता पर बल दिया. गोलीप 360 के फाउंडर शौर्य गायकवाड़ ने कहा कि एआइ ने दुनिया को योग्यता के युग से साहस के युग में पहुंचा दिया है, जहां डिग्री से अधिक महत्व सीखने की गति, अनुकूलन क्षमता और जोखिम उठाने के साहस का है.

एआइ और मशीन लर्निंग से बच्चों के विकास की निगरानी संभव

कंसल्टेंट हेल्थ एंड न्यूट्रीशन डॉ देवाजी पाटिल ने बच्चों में कुपोषण की चुनौती पर चर्चा की. उन्होंने बताया कि एआइ और मशीन लर्निंग के माध्यम से बच्चों के विकास की निगरानी कर लाखों शिशुओं के स्वास्थ्य परिणामों में सुधार संभव है. एनआइटी राउरकेला के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ अनूप नंदी ने डॉक्टरों की कमी और निदान संबंधी त्रुटियों को कम करने में एआइ की भूमिका पर चर्चा की.

एआइ मानवीय चेतना का स्थान नहीं ले सकता

भक्तिवेदांत विद्याभवन गुरुकुल के संस्थापक दास गदाधर दास ने प्रौद्योगिकी की दार्शनिक सीमाओं पर चर्चा करते हुए कहा कि एआइ तार्किक कार्यों की नकल कर सकता है, लेकिन मानवीय चेतना, भावनाओं और आध्यात्मिक गहराई का स्थान नहीं ले सकता. उद्यमी विकास हिरानी ने एआइ के दोहरे प्रभाव पर अपने विचार रखते हुए कहा कि जहां एआइ का पर्यावरण पर ऊर्जा और जल खपत के रूप में नकारात्मक प्रभाव है, वहीं स्मार्ट ग्रिड और संसाधन अनुकूलन के जरिए पृथ्वी को बचाने की क्षमता भी इसमें मौजूद है. माइक्रोसॉफ्ट एआइ का प्रतिनिधित्व करते हुए हरिहरन रघुनाथन ने कहा कि इस युग में इंसानों के लिए सबसे महत्वपूर्ण कौशल विचारों की स्पष्टता है.

आइआइएम रांची की नाट्य प्रस्तुति रही आकर्षक

कृत्रिम पैर के साथ दुनिया के सबसे युवा सोलो स्काइडाइवर श्याम कुमार एएएस ने अपनी प्रेरक जीवन यात्रा साझा की. उन्होंने ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस और डिजिटल ट्विन जैसी तकनीकों के माध्यम से न्यूरो-बायोनिक भविष्य की संभावनाओं पर चर्चा की, जो शारीरिक सीमाओं को पार कर मानवीय क्षमताओं को नया आयाम दे सकती हैं. कार्यक्रम का संचालन आइआइएम रांची के एमबीए छात्रों प्रीतिका पॉल और हरेकृष्ण ने किया. विशेष आकर्षण आइआइएम रांची की टीम द्वारा प्रस्तुत नाट्य प्रस्तुति रही, जिसमें एआइ के विकास और मानव-मशीन संबंधों को भावनात्मक, नैतिक और दार्शनिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया गया.

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