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शशिनाथ झा हत्याकांड में शिबू सोरेन सुप्रीम कोर्ट से भी बरी, जानें क्‍या था मामला

सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली हाइकोर्ट के फैसले पर लगायी मुहर रांची : सुप्रीम कोर्ट ने झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन को अपने निजी सचिव शशि नाथ झा की हत्या में बरी कर दिया है. सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में दिल्ली हाइकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है. न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति आरएफ नरिमन […]

सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली हाइकोर्ट के फैसले पर लगायी मुहर
रांची : सुप्रीम कोर्ट ने झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन को अपने निजी सचिव शशि नाथ झा की हत्या में बरी कर दिया है. सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में दिल्ली हाइकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है. न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति आरएफ नरिमन की पीठ ने दिल्ली हाइकोर्ट के 22 अगस्त 2007 के फैसले में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया.
दिल्ली हाइकोर्ट ने शिबू सोरेन को हत्याकांड में दोषी करार देने के निचली अदालत के फैसले को निरस्त कर दिया था. मामले में चार अन्य लोगों नंद किशोर मेहता, शैलेंद्र भट्टाचार्य, पशुपति नाथ मेहता और अजय कुमार मेहता को भी बरी कर दिया था. सीबीआइ और शशि नाथ झा परिजनों ने हाइकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
पांच दिसंबर 2006 को निचली अदालत
ने दी थी उम्र कैद की सजा : दिल्ली की निचली अदालत ने पांच दिसंबर 2006 को मामले में शिबू सहित चार लोगों को उम्र कैद की सजा दी थी. शशि नाथ झा के दोनों बच्चों को पांच लाख व एक लाख उनकी मां को देने का आदेश भी दिया था. सभी को तिहाड़ जेल भेज दिया गया था. बाद में सभी ने दिल्ली हाइकोर्ट में अपील की थी.
कब क्या हुआ
जुलाई 1993 : शिबू सोरेन सहित दूसरे सांसदों पर केंद्र सरकार को बचाने के लिए कथित तौर पर रिश्वत लेने का आरोप लगा
20 मई 1994 : शशि नाथ झा के परिजनों ने इस मामले में जान से मार देने की धमकी मिलने की जानकारी दी
22 मई 1994 : दिल्ली के धौल कुआं इलाके से शशि नाथ झा अपहरण
23 मई 1994 : शशि नाथ झा को अंतिम बार पिस्का नगड़ी में नंदकिशोर मेहता के घर देखा गया
18 जून 1994 : शशि नाथ झा के भाई अमरनाथ झा ने थाने मेें शिकायत की
01 अगस्त 1996 : सीबीआइ को जांच दी गयी
13 अगस्त 1996 : पिस्का नगड़ी में नंदकिशोर मेहता के ईंट भट्ठा परिसर से शशि नाथ झा का कंकाल बरामद होने की बात आयी
22 अगस्त 2007 को हाइकोर्ट ने किया था बरी : दिल्ली हाइकोर्ट ने फैसले में कहा था कि जांच एजेंसी शिबू के खिलाफ साक्ष्य जुटाने में विफल रही है. हाइकोर्ट ने इस आधार पर शिबू सहित नंद किशोर मेहता , शैलेंद्र भट्टाचार्य, पशुपति नाथ मेहता और अजय कुमार मेहता को बरी कर दिया था.

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