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लालू के सेवकों पर केस निकला फर्जी, अब सुमित यादव की खैर नहीं

रांची: फर्जी केस के सहारे लालू के मदन यादव और लक्ष्मण कुमार रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा गये थे. दोनों के खिलाफ सुमित यादव ने 23 दिसंबर 2017 को रांची के लोअर बाजार थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी थी. जब पुलिस ने जांच की, तो केस पूरी तरह से फर्जी पाया गया. अनुसंधान में […]

रांची: फर्जी केस के सहारे लालू के मदन यादव और लक्ष्मण कुमार रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा गये थे. दोनों के खिलाफ सुमित यादव ने 23 दिसंबर 2017 को रांची के लोअर बाजार थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी थी. जब पुलिस ने जांच की, तो केस पूरी तरह से फर्जी पाया गया. अनुसंधान में पुलिस ने सुमित के मोबाइल संख्या 9708679992 का सीडीआर निकाला. इसमें पाया गया कि 23 दिसंबर 2017 को समय 7:50:49 सेकेंड पर सुमित के मोबाइल का लोकेशन हिनू चौक पर पाया गया. जबकि घटना के समय 8:19:55 सेकेंड पर मोबाइल लोकेशन चंद्रावती अस्पताल, हरमू का है.

मो सलीम के मोबाइल नंबर 9431580352, 9334438377 का लोकेशन 9:04:46 सेकेंड पर मून फर्मा, कोनका रोड नीयर, अंजुमन अस्पताल है. घटना के पूर्व या बाद में कभी भी सुमित का लोकेशन घटनास्थल या उसके आसपास नहीं है. सुमित के साथ घटना घटित होने का समय 23 दिसंबर को सुबह 8:15 बजे बताया गया है, जबकि उस समय उसका मोबाइल लोकेशन हरमू मार्केट के पास है. उसके द्वारा घटना घटित होने के बाद किसी पीसीआर, माइक या कांटा टोली चौक पर मौजूद ट्रैफिक पुलिस को सूचना नहीं दी गयी, जबकि कांटा टोली चौक पर ट्रैफिक पुलिस और अन्य अफसर सुबह 8 बजे से रात 9 बजे तक मौजूद रहते हैं.

घटनास्थल के निरीक्षण, शिकायतकर्ता व गवाहों के बयान, सीडीआर का अवलोकन से यह कांड धारा 341, 323,504, 379, 34 के तहत पुलिस ने केस को असत्य पाया है. जांच में आया है कि शिकायतकर्ता सुमित वाहन चलाने का काम करता है. 23 दिसंबर 2017 को सुबह आठ बजे कांटा टोली चौक पर हिनू निवासी मदन यादव से मिलकर सुमित ने अपना बकाया पैसा मांगा था. इसी कारण अभियुक्त मदन यादव एक अन्य सहयोगी अभियुक्त लक्ष्मण के साथ मिलकर सुमित काे गंदी गाली देते पिटाई करने लगा. सुमित वहां से भागा और लोअर बाजार थाना आकर लिखित शिकायत की. पर घटना की पुष्टि किसी स्वतंत्र गवाह द्वारा नहीं की गयी है. इस कांड में अनुसंधानकर्ता को अंतिम प्रतिवेदन असत्य समर्पित करते हुए वादी सुमित के विरुद्ध धारा 182, 211 आइपीसी के तहत अभियोजन प्रस्ताव समर्पित करने का आदेश दिया जाता है. इस मामले में जेल से निकलने पर मदन यादव व लक्ष्मण के खिलाफ भी पुलिस कार्रवाई करेगी.

उल्लेखनीय है कि मीडिया में यह चर्चा हुई थी कि मदन और लक्ष्मण केस में कोर्ट में सरेंडर कर बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा गया था, ताकि दोनों राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के लिए खाना बना सकें.

एक गवाह ने समर्थन में जबकि तीन ने खिलाफ में दी गवाही

इस केस में पुलिस के समक्ष हिनू निवासी राजू सिंह नामक गवाह ने सुमित के केस का समर्थन किया है. जबकि कांटा टोली चौक के चाय दुकानदार मो मुन्ना, सिटी राइड बस का टाइम कीपर मो शोएब खान और एएसआइ देवेंद्र कुमार सिंह ने अपने बयान में कहा है कि तीनों घटनास्थल से कुछ ही दूरी पर थे. लेकिन न तो किसी से इस घटना के बारे में इन लाेगों ने सुना और न ही पीड़ित पक्ष ने पुलिस को शिकायत ही की. बता दें कि सुमित ने घटनास्थल लोअर बाजार थाना से करीब तीन किमी पर कांटा टोली चौक स्थित हजारीबाग रोड में श्रीराम शॉ मिल के सामने बताया है.

जांच में केस झूठा होने पर कार्रवाई के लिए तैयार : : सुमित यादव ने कहा कि उसने 23 दिसंबर को एक बजे मारपीट की प्राथमिकी दर्ज करायी थी. उसने बताया कि वह अपने चाचा मदन यादव की कार चलाता था. उसका 17 हजार रुपये उनके पास बकाया था. काफी दिनों से वह बकाया नहीं दे रहे थे. कांटा टोली के पास मदन यादव मिले, तो मैंने बकाया पैसा मांगा़ बकाया पैसा मांगने पर वह और उनके साथ अन्य व्यक्ति लक्ष्मण कुमार ने मेरे साथ मारपीट की और पॉकेट से दस हजार रुपये भी छीन लिये. इसके बाद लोअर बाजार थाना पहुंचकर दोनों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी. थाना में जब मुझसे आधार कार्ड मांगा गया, तो घर से लाकर हमने आधार कार्ड भी दिया. पत्रकारों ने उससे पूछा कि आप पर झूठा केस कराने का आरोप है़ इस संबंध में सुमित यादव ने कहा कि झूठा केस कराये हैं तो जांच की जाये, हमने दबाव में कोई केस नहीं कराया है़

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