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2014 का लालू का बयान: ससुराल की जमीन भी खोद डाली, कुछ मिला नहीं

14 जुलाई, 2014 का लालू का बयान (कांड संख्या 64 ए/96) हम तो गंगा की तरह निर्मल हैं. हमको इन लोगों (सीबीआइ) ने वीरप्पन समझ लिया. कहता है लालू ने चारा खाया. जिसने (दीपेश चांडक) मलाई खायी, उसे एप्रूवर बना दिया. उसे माफ कर दिया. वाह रे इंसाफ. हमने केस किया. मुद्दई तो हम ही […]

14 जुलाई, 2014 का लालू का बयान (कांड संख्या 64 ए/96)

हम तो गंगा की तरह निर्मल हैं. हमको इन लोगों (सीबीआइ) ने वीरप्पन समझ लिया. कहता है लालू ने चारा खाया. जिसने (दीपेश चांडक) मलाई खायी, उसे एप्रूवर बना दिया. उसे माफ कर दिया. वाह रे इंसाफ. हमने केस किया. मुद्दई तो हम ही हैं. इन लोगों ने हम ही को मुदालय बना दिया. हमारे राजनीतिक विरोधियों ने हमें फंसाया. हमको बदनाम किया. घर से ससुराल तक कुदाल से खोद डाला. डीए (आय से अधिक संपत्ति) का भी केस किया, लेकिन हार गया.

दिल्ली में मेरी सुनी जाती थी. हम प्रधानमंत्री बनवाते थे. हमारा यह रुतबा विरोधियों को नहीं भाया. इन लोगों ने सोचा कहां से एक अहीर (यादव) का बेटा यहां आ गया है. वह जो चाहता है, वह होता है. इसलिए हमें राजनीतिक साजिश के तहत फंसाया गया. अब तो चुनाव लड़ने पर भी पाबंदी लगा दी गयी है. सर! हमने कोई अपराध नहीं किया. राजनीति की रोटी, जो एक ही तरफ से पक रही थी, उसे पलट दिया. गरीबों और पिछड़ों की आवाज बना. यह हमारे विरोधियों को रास नहीं आया और हमें फंसा दिया. पहले इ लोग कहता था कि लालू चारा खाया. भूसा खाया. जो मलाई खाया, उसका क्या किया?

सर, चांडक ने 300 करोड़ रुपये सप्लाइ किये. उसको इ सीबीआइ वाला एप्रूवर बना दिया. उसे माफ कर दिया. हम को फंसाने के लिए डीए का केस किया. हमारी पत्नी को भी इसमें अभियुक्त बनाया. कहा, 46 लाख रुपये अधिक का डीए बनता है. केस बनाने के लिए खैनी तक का खर्च उसमें जोड़ दिया. छठ पूजा में कितना खर्च किया, उसको भी जोड़ दिया, लेकिन कोर्ट में इ लोग हार गये. सीबीआइ वाला लोग इन्वेस्टिगेशन तो किया नहीं. पहले से तय था कि लालू को फिक्स करना है, इसलिए कर दिया.

कोलकाता से सीबीआइवाला आता था. उसको लाल बत्ती दी गयी थी. सायरन दिये थे. हांउ…..हांउ करके चलता था. हमको पकड़ने के लिए को सेना बुलाया. विरोधी उसको गवर्नर बनाना चाहते थे. हमने तत्कालीन प्रधानमंत्री वाजपेयी जी को फोन किया था. वाजपेयी जी बोले थे- लालूजी आपको हमारे घर की बात कैसे पता. उस वक्त ऊ गवर्नर नहीं बना. अब मंत्री बन गया है. हम उनका नाम नहीं लेंगे. मीडिया के बहुत सारे लोग बैठे हैं, कुछ लिख देंगे. सर, उनकी तो कहानी ही अनोखी है, लेकिन हम उसके बारे में कुछ नहीं बोलेंगे. हां तो सर हम बोल रहे थे कि हमने खुद ही कोर्ट में जाने का फैसला किया था. सीबीआइवालों को कहा कि तुम लोग उधर खड़ा रहना. हम गाड़ी में बैठ कर पीछे से आयेंगे. थोड़ा क्रेडिट तुम लोग भी ले लेना कि लालू को गिरफ्तार कर लिये.

सर! हमको फंसाने के लिए इन लोगों (सीबीआइ) ने क्या-क्या नहीं किया. मेरी ससुराल गये. वहां कुदाल से जमीन तक खोद डाली. राबड़ी देवी जब मुख्यमंत्री थी, उस वक्त मुख्यमंत्री आवास में छापा मारा. घर में घुसने से पहले मशीन से इन लोगों की जांच करायी. का जाने इ लोग अपने साथ सोना का बिस्कुट ला के रख दे और बोले कि लालू का है. इ लोग को कोई सूचना दिया था कि राबड़ी देवी के आवास में बहुत माल रखा हुआ है. पूरे देश में किसी मुख्यमंत्री के आवास में छापा मारने की यह पहली घटना थी. राबड़ी देवी तालाब में सोना की सिल्ली रखी है, बोल कर तालाब में भी खोजबीन की. इ लोग हमारे तालाब की मछरी (मछली) को मार दिया. उस वक्त हमको बहुत गुस्सा आया था. इसलिए हम सामने नहीं थे. रहते तो झगड़े हो जाता. छापा में कुछ नहीं मिला. अगर मिला है, तो सीबीआइ बताये. बहुत कोशिश करने के बाद सिंगापुर चेंबर अध्यक्ष का निमंत्रण पत्र इन लोगों को मिला. इसी को इ लोग बहुत प्रचारित किया, बोला कि बहुत भारी दस्तावेज मिला है, लालू के विदेशी संपर्क का.

सर, इ लोगों ने शुगर फ्री चाय पी कर इन्वेस्टिगेशन किया है. शुगर फ्री खाने से दिमाग डिरेल हो जाता है. अब तो कुछ लोग बोलता है कि लालू का स्विस बैंक में खाता है. उसमें 30 हजार करोड़ रुपये है. एकाउंट नंबर भी बता रहा है. सर, इसमें का लगा है. कोई नंबर लिख देना है. कहना है, यही लालू के खाते का नंबर है. अब हमारा काला धन इ लोग लाये. हमको उसमें से 30 रुपये भी दे दें तो मान जायें. इस सब ऊपर वाला लोग जैसा चाहता है, वैसा ही होता है. जैसे रिपोर्टर, ऊ बेचारा का करेगा. छपता और चलता वही है, जो ऊपरवाला चाहता है.

सर, घर से ससुराल तक कुदाल से खोदने के बाद जब कुछ नहीं मिला, तो इ लोग बोला कि लालू को कांसपिरेंसी में फंसाओ. कुछ नहीं मिला, तो इ लोग आरोप लगाया कि घोटालेबाजों को एक्सटेंशन दिये थे. सर! एक्सटेंशन तो हम सीबीआइ के डायरेक्टर रंजीत सिन्हा के ससुर को भी दिये थे. जिस पर किसी तरह का कोई आरोप नहीं हो, तो राज्य हित में उसे एक्सटेंशन देने का अधिकार मुख्यमंत्री को है. सीबीआइ वाला बताये कि हमने जब श्याम बिहारी सिन्हा को एक्सटेंशन दिया था, उस वक्त उस पर कोई आरोप था क्या? इ लोग कहता है कि हम श्याम बिहारी, आरके राणा वगैरह से पैसा लेते थे. अब तो श्याम बिहारी सिन्हा ‘हेवन'(स्वर्ग) में हैं. सीबीआइ ‘हेवन’ में नोटिस भेज कर श्याम बिहारी को बुलाये. इ लोग कहता है कि हमने घोटालेबाज बीएन शर्मा का तबादला स्थगित कर दिया था. सर! अफसरों का तबादला स्थापना समिति करती है. उसका भी तबादला स्थापना समिति से हुआ था. इसके बाद राजो सिंह हमरे पास आये. वह एक चिट्ठी को टाइप करा कर अपने साथ लाये थे. हमने उसी चिट्ठी पर कार्रवाई के लिए लिख दिया. ये चिट्ठी और फाइल हमारे पास लौट कर नहीं आयी. मंत्री के स्तर पर ही निबट गयी.

सर! इ लोग आरोप लगाया है कि हम को सब घोटालेबाज फोन करता था. सर, इ फोन, फेसबुक बहुत खतरनाक चीज है. ऑफ द रिकार्ड बोल रहे हैं कि एक लड़का हमको दिखाया था. एक बड़ा आदमी का बेटा एक नर्तकी के साथ नाच रहा था, उस पर पैसा लुटा रहा था. बुरा मत मानियेगा, किसी दिन हम भी आपको फोन कर देंगे सर. मुख्यमंत्री का फोन सार्वजनिक होता है. उस पर कोई भी फोन कर सकता है. हमने किसी घोटालेबाज को फोन नहीं किया था. सर! हम तो इ लोग के डर से फोन भी नहीं रखते हैं. किसी-किसी का उधार मांग कर फोन कर लेते हैं.

सर! इ लोग सीएजी का हवाला देते हैं. सीएजी तो कभी बोला ही नहीं कि फर्जी निकासी हुई है. वह तो कहता था कि अधिक खर्च हुआ है. हम बार-बार बोले कि इसमें सबसे बड़ी गलती सीएजी की है. उसकी भी जांच हो कि उ क्यों नहीं बोला कि फर्जी निकासी हो रही है. लेकिन सीबीआइवाला इस मांग को पचा गया. हमारे विद्वान अधिवक्ता चितरंजन बाबू और कागज-पतरवाले प्रभात जी इस मामले को उठायेंगे. सर! इ लोग बोलता है कि हम साजिश में शामिल थे. अगर हम रहते, तो बक्सा के बक्सा कागज सीबीआइ को काहे देते. आग लगवा के जला नहीं देते. जैसे आज कल देश में हो रहा है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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