रिम्स प्रबंधन को मिली जानकारी, गिरोह में शामिल हो सकते हैं कुछ कर्मचारी
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डुप्लीकेट पर्ची से रिम्स को हो रहा लाखों रुपये का नुकसान
रिम्स प्रबंधन को मिली जानकारी, गिरोह में शामिल हो सकते हैं कुछ कर्मचारी एक ही इन्वायस की डुप्लीकेट पर्ची बना ले रहा है गिरोह राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स को आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचाने के लिए कई गिरोह सक्रिय हैं. उन्हीं मेंं से एक गिरोह इन दिनों जांच पर्ची का डुप्लीकेट बनाकर रिम्स […]
एक ही इन्वायस की डुप्लीकेट पर्ची बना ले रहा है गिरोह
राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स को आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचाने के लिए कई
गिरोह सक्रिय हैं. उन्हीं मेंं से एक गिरोह इन दिनों जांच पर्ची का डुप्लीकेट बनाकर रिम्स को हर माह लाखों रुपये का नुकसान पहुंचा रहा है. हो यह रहा है कि डुप्लीकेट पर्ची से मरीज की जांच भी हो जा रही है और रिम्स से पैसा भी वापस ले लिया जा
रहा है. इस बात की जानकारी रिम्स प्रबंधन को आंतरिक सूत्रों से मिली है. सूत्र बताते हैं कि इस खेल में रिम्स के कुछ कर्मचारी भी शामिल हैं.
रांची : रिम्स प्रबंधन ने आशंका जतायी है कि मरीज की जांच होने के बाद कोई पैसा वापस ले रहा है. ऐसा जांच पर्ची की अचानक बढ़ती संख्या के बाद रिम्स को संदेह हुआ है. सतर्कता के बाद प्रबंधन ने मामले की आंतरिक जांच शुरू करा दी है. जांच के लिए कुछ कर्मचारियों को जिम्मेदारी भी दी गयी है. उनको कर्मचारियों के कार्य पर नजर रखने के लिए कहा गया है. इसके अलाव रिम्स प्रबंधन एहतियात भी बरत रहा है. साथ ही जांच पर्ची के लिए बनाये गये साॅफ्टवेयर को अपडेट करने का कार्य शुरू कर दिया गया है.
सॉफ्टवेयर अपडेट होने के बाद मरीज की जांच होते ही कैश काउंटर में लगे कंप्यूटर को यह सूचना चली जायेगी कि मरीज की जांच कर दी गयी है. ऐसे में अगर कोई डुप्लीकेट पर्ची बना कर कैश काउंटर पर जाता है, तो पकड़ा जायेगा. जानकारी के अनुसार रेडियोलाॅजी विभाग के सेंटर में साॅफ्टवेयर को अपडेट करने का कार्य शुरू कर दिया गया है. इधर, रिम्स प्रबंधन को अपने कुछ कर्मचारियों पर भी संदेह है. प्रबंधन का मानना है कि यह कैसे पता चल जा रहा है कि मरीज की जांच हो गयी है. गौरतलब है कि रिम्स में रसीद काटने वाली कंपनी इंफोटेक लिंक प्राइवेट लिमिटेड पर चार वित्तीय वर्ष में रसीद के जरिये 99.42 लाख रुपये गबन करने का आरोप है. आरोप लगने के बाद एजेंसी को हटा कर रिम्स प्रबंधन ने जांच पर्ची काटने के लिए अपने कर्मचारियों से तैनात कर दिया है. इसके साथ ही एजेंसी के खिलाफ रिम्स प्रबंधन ने एफआइआर करा दिया है.
एकाएक ज्यादा संख्या में जांच
पर्ची वापस लेने से हुआ संदेह
मरीज को जारी की जाती है दो पर्ची
मालूम हो कि रिम्स में जांच पर्ची की दो प्रति मरीज को जारी की जाती है. एक मुख्य पर्ची होती है, जबकि दूसरी पर्ची कार्बन कॉपी होती है. मरीज को जांच कराते समय उस सेंटर में मुख्य पर्ची जमा करना होता है. दूसरी पर्ची रिपोर्ट लेते समय मरीज दिखानी होती है.
ऐसे हुई फर्जीवाड़ा की आशंका
प्रबंधन को यह आशंका है कि जिस इन्वायस नंबर से मरीज की जांच पर्ची कैश काउंटर से जारी की जाती है उसी इन्वायस नंबर की दोबारा पर्ची बना ली जा रही है. इसके बाद गिरोह में शामिल लोग कैश काउंटर पर पर्ची ले जाकर पैसा वापस ले लेते हैं. कैश काउंटर पर कर्मचारी दोनों पर्ची देख कर पैसा वापस कर देता है. उसे यह नहीं पता होता है कि मरीज की जांच हुई या नहीं़
जांच सेंटर पर लगेंगे कंप्यूटर
रिम्स प्रबंधन सभी जांच सेंटर पर कंप्यूटर लगायेगा. मरीज की जांच होते ही इसकी सूचना कंप्यूटर के माध्यम से साॅफ्टवेयर में अपलोड हो जायेगी. इसके बाद जांच होने की सूचना कैश काउंटर सहित सभी जांच सेंटर में लगे कंप्यूटर को मिल जायेगी.
फर्जीवाड़ा की आशंका है, क्योंकि अचानक पैसा वापस लेने वालों की संख्या बढ़ गयी है. कुछ जांच पर्ची पर संदेह हुआ है, जिसकी जांच चल रही है. अब जहां-जहां जांच होती है, वहां कंप्यूटर लगा दिया जायेगा. जांच होते ही मरीज का डिटेल अपलोड हो जायेगा. इससे कैश काउंटर पर फर्जी पर्ची वाले पकड़े जायेंगे.
डॉ आरके श्रीवास्तव, प्रभारी निदेशक रिम्स
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