रिपोर्ट में कहा गया है कि ठेकेदार को निर्माण कार्यों के दौरान इस्तेमाल किये गये लघु खनिजों जैसे पत्थर, बोल्डर, चिप्स, बालू आदि के सिलसिले में फार्म ‘ओ’ और फार्म ‘पी’ जमा करना पड़ता है. फार्म ‘ओ’ का संबंध शपथ पत्र से और ‘पी ’ का संबंध खनिजों के ब्योरे से है. ठेकेदार द्वारा कार्य प्रमंडल में फार्म ‘ओ’ और ‘पी’ जमा कराये जाने के बाद उसकी जांच के लिए खान विभाग को भेजना है. खान विभाग द्वारा खनिजों के वैध स्रोत का सत्यापन किये जाने के बाद उस पर निर्धारित दर से रॉयल्टी की कटौती की जानी है.
ठेकेदार द्वारा खनिजों के सिलसिले में दिये गये ब्योरे के आंशिक या पूरी तरह गलत पाये जाने पर खनिजों को अवैध खनन का माना जाना चाहिए. साथ ही इस्तेमाल करनेवाले से खनिजों के मूल्य के बराबर दंड की वसूली की जाना चाहिए.
रिपोर्ट में कहा गया है कि भवन निर्माण विशेष प्रमंडल के अधीन हाइकोर्ट व ज्यूडिशियल अकादमी और पथ निर्माण प्रमंडल के रांची और लातेहार के अधीन बन रही लातेहार-सरयू-कोटाम सड़क और भंडरा चौक से बुड़मू सड़क के निर्माण कार्य में ठेकेदार ने फार्म ‘ओ’ और ‘पी’ नहीं दिया है.
इससे निर्माण कार्य में इस्तेमाल किये जा रहे लघु खनिजों जैसे चिप्स, बोल्डर, बालू आदि के स्रोत के वैध होने को प्रमाणित नहीं किया जा सका. इन निर्माण कार्यों में इस्तेमाल किये गये लघु खनिजों का मूल्य 9.68 करोड़ रुपये है. इन निर्माण कार्यों में 78033.32 घन मीटर मेटल, 64594.1 घन मीटर चिप्स, 9688.69 घन मीटर बोल्डर और 44583.26 घन मीटर बालू का इस्तेमाल हुआ है.