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बड़ा पुराना है लालू प्रसाद यादव और राकेश अस्थाना का ”नाता”

नयी दिल्ली/रांची : लालू की जिंदगी में राकेश अस्थाना फिर से मुसीबत बनकर आये हैं. आज सुबह सात बजे जब राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद अपनी जिंदगी के सबसे लंबे चलने वाले मुकदमे चारा घोटाला में पेश होने के लिए रांची पहुंचे थे, ठीक उसी समय सीबीआई ने उनसे जुड़े 12 ठिकानों पर छापा मारा. छापे […]

नयी दिल्ली/रांची : लालू की जिंदगी में राकेश अस्थाना फिर से मुसीबत बनकर आये हैं. आज सुबह सात बजे जब राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद अपनी जिंदगी के सबसे लंबे चलने वाले मुकदमे चारा घोटाला में पेश होने के लिए रांची पहुंचे थे, ठीक उसी समय सीबीआई ने उनसे जुड़े 12 ठिकानों पर छापा मारा. छापे से गुस्साये लालू ने रांची में कहा पिछले 20 सालों से सीबीआई का केस लड़ रहा हूं. मैं किसी के आगे डरने वाला नहीं हूं. सीबीआई की कार्रवाई से लालू का गुस्सा अनायास नहीं है. खाकी वाले राकेश अस्थाना और खादी वाले लालू यादव का नाता कोई दो दशक पुराना है. बदलते वक्त में दोनों लोग सांप-सीढ़ी का खेल खेलते आये. धनबाद में जिन दिनों राकेश अस्थाना सीबीआई एसपी थे, उस दौरान लालू प्रसाद यादव के खिलाफ चारा घोटाले की जांच शुरू की थी.

ध्यान रहे, राकेश अस्थाना वही अधिकारी हैं, जिनके पास चारा घोटाला की शुरुआती जांच का जिम्मा था. सामाजिक न्याय का मसीहा माने जाने वाले लालू प्रसाद यादव की जिंदगी में पहला दाग चारा घोटाले का ही था. इसके बाद उनकी चमक फीकी पड़ने लगी. चारा घोटाले के शुरुआती दिनों की जांच राकेश अस्थाना के जिम्मे में थी. आज भी धनबाद में अस्थाना के ईमानदारी के किस्से हैं. जब अस्थाना सीबीआई के एडिशनल डायरेक्टर बनकर आये तो फिर से पुरानी पटकथा दुहराने लगे.
कौन हैं राकेश अस्थाना?
राकेश अस्थाना 1992-2001 तक धनबाद सीबीआइ के एसपी रह चुके हैं. इसके बाद 2001 से 2002 तक रांची में सीबीआइ डीआइजी के रूप में काम किया. इस अवधि में उनके पास पटना और कोलकाता सीबीआइ के डीआइजी का अतिरिक्त प्रभार रहा. रांची और धनबाद में काम करने के दौरान उन्होंने चारा घोटाले के अलावा अलकतरा घोटाले की जांच में अहम भूमिका निभायी
राकेश अस्थाना ने नेतरहाट स्कूल से 1971 में मैट्रिक की परीक्षा पास की़. इनके पिता एचआर अस्थाना नेतरहाट स्कूल में भौतिकी के शिक्षक थे. स्कूली शिक्षा के बाद उन्होंने आगे की पढ़ाई रांची और आगरा में की. 1984 में पहले ही प्रयास में आइपीएस अधिकारी बने़ वह धनबाद में सीबीआइ की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा के एसपी रह चुके हैं. रांची में वह डीआइजी के पद पर थे़.
राकेश अस्थाना का नाम कर्तव्यनिष्ठ व ईमानदार अधिकारियों की सूची में खास तौर से शामिल रहा है. अस्थाना की कार्यदक्षता को ध्यान में रखते हुए उन्हें बहुचर्चित पशुपालन घोटाले के कई महत्वपूर्ण मामलों की जांच का जिम्मा उन्हें दिया गया था. उन्होंने लालू प्रसाद के खिलाफ 1996 में चार्जशीट दायर की. 1997 में श्री अस्थाना के समय ही लालू प्रसाद पहली बार गिरफ्तार हुए.
धनबाद में खान सुरक्षा महानिदेशालय (डीजीएमएस) के महानिदेशक कोउन्होंने घूस लेते पकड़ा था. यह उस समय तक पूरे देश में अपने तरीके का पहला मामला था, जब महानिदेशक स्तर के अधिकारी सीबीआइ गिरफ्त में आये थे. 1990 में अहमदाबाद के संवेदनशील इलाकों में सांप्रदायिक हिंसा होने लगी. वर्ष 1991 में उनकी पाटन में पोस्टिंग की गयी. वहां उन्होंने मामले को शांत कराया. बड़ोदरा में वह पुलिस कमिश्नर रहे. अहमदाबाद में 26 जुलाई, 2008 को हुए बम ब्लास्ट की जांच का जिम्मा राकेश अस्थाना को ही दिया गया था. उन्होंने मात्र 22 दिनों में ही केस को सॉल्व कर दिया. सिमी के कई सदस्य पकड़े गये.
आसाराम बापू व उनके बेटे नारायण सांईं के मामले में भी श्री अस्थाना ने जांच की. फरार चल रहे नारायण सांईं को हरियाणा-दिल्ली बॉर्डर पर पकड़ा था. उनके जीवन में गोधरा कांड एक बड़ी चुनौती थी. 26 जुलाई, 2002 को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस में 50 कारसेवक मारे गये थे. इसके बाद सांप्रदायिक हिंसा होने लगी. इसमें 1200 लोग मारे गये. इसमें श्री अस्थाना में काफी मेहनत कर मामले को शांत कराया.
Prabhat Khabar Digital Desk
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