कई राज्यों ने जो नीतियां बनायी है, उसमें केंद्र सरकार को निर्देशों और एक्ट का उल्लंघन हो रहा है. झारखंड को डीएमएफ में अब तक 1,056 करोड़ रुपये मिले हैं. इसको खर्च करने की योजना बन चुकी है. झारखंड में इस राशि को खर्च करने को लेकर जो नीतियां बन रही है, वह अन्य राज्यों से ठीक है. इसके बावजूद यह सबसे बेहतर नहीं है. दिल्ली स्थित संस्था सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसइ) ने डीएमएफ को लेकर पहली रिपोर्ट जारी की. दिल्ली स्थित सीएसइ कार्यालय में जारी रिपोर्ट में बताया गया कि कई राज्य उस एक्ट में तय प्रावधानों का उल्लंघन कर रहे हैं, जिसके तहत फाउंडेशन का गठन किया गया है. सीएसइ के डिप्टी डायरेक्टर जनरल चंद्रभूषण ने जानकारी दी कि इस राशि से कई जिलों की तसवीर बदल सकती है. यह केंद्र सरकार से ट्राइबल सब प्लान के तहत मिलने वाली राशि से करीब चार गुणी अधिक है. सिंगरौली(छत्तीसगढ़) जैसे जिले में यह राशि हर साल 600 करोड़ से अधिक होगी.
संस्था ने झारखंड की दो जिलों में डीएमएफ से मिली राशि को खर्च करने के लिए तैयार की गयी योजनाओं का अध्ययन कराया है. इसमें पाया गया कि धनबाद को मिले 285 करोड़ रुपये में से 250 करोड़ की योजना तैयार कर ली गयी है. इसमें अाधारभूत संरचना के निर्माण 11.7 फीसदी राशि खर्च करने की योजना है. वहीं शिक्षा पर 5.3, स्वास्थ्य पर 2.6, स्वच्छता पर पांच, पेयजल पर 62.5 फीसदी राशि खर्च होगी. चाईबासा में भी सबसे अधिक 60.7 फीसदी राशि खर्च करने की योजना बनी है. वहां इको पार्क, फुटबॉल ग्राउंड, आर्चरी अकादमी पर 25.7 फीसदी खर्च करने की योजना बन गयी है. माइंस एंड मिनरल्स एक्ट में संशोधन के बाद डीएमएफ का गठन किया गया है.