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संबंधित फर्म व संवेदक के बिल पर लगी रोक

फरजी भुगतान का मामला भुरकुंडा परियोजना कार्यालय में चंदा इलेक्ट्रिकल्स रामगढ़ व संवेदक अशोक कुमार सिंह कर रहे थे फरजीवाड़ा. अब तक लाखों के फरजीवाड़े की चर्चा है. जीएम ने कहा कि संज्ञान में आने पर मामले की जांच करायेंगे. उरीमारी/भुरकुंडा : सीसीएल बरका-सयाल क्षेत्र में फरजी बिल पर लाखों रुपये भुगतान का मामला प्रकाश […]

फरजी भुगतान का मामला
भुरकुंडा परियोजना कार्यालय में चंदा इलेक्ट्रिकल्स रामगढ़ व संवेदक अशोक कुमार सिंह कर रहे थे फरजीवाड़ा. अब तक लाखों के फरजीवाड़े की चर्चा है. जीएम ने कहा कि संज्ञान में आने पर मामले की जांच करायेंगे.
उरीमारी/भुरकुंडा : सीसीएल बरका-सयाल क्षेत्र में फरजी बिल पर लाखों रुपये भुगतान का मामला प्रकाश में आया है.मामला भुरकुंडा परियोजना से जुड़ा है. मामला तब पकड़ में आया, जब फरजी बिल भुगतान के लिए एएफएम ऑफिस सयाल पहुंचा. परियोजना के तय लिमिट 50 हजार रुपये से अधिक रकम दर्ज होने के कारण एक अधिकारी सजग हो गये. दोनों के बिल लगभग दो लाख के करीब है. उन्होंने इसकी प्रारंभिक जांच की. धीरे-धीरे मामला खुलने लगा. वरीय अधिकारियों को इसकी जानकारी तत्काल दी गयी. इसके बाद संबंधित फर्म व संवेदक के सभी तरह के बिल के भुगतान पर रोक लगा दी गयी है. बताया गया कि इस कथित फरजी बिल पर सभी संबंधित अधिकारियों ने अपना हस्ताक्षर होने से साफ इनकार कर दिया है.
इस बिल का भुरकुंडा परियोजना कार्यालय में कोई भी लेखा-जोखा दर्ज नहीं है. एरिया की टीम ने भुरकुंडा परियोजना भी पहुंच कर मामले की जांच की. बताया गया कि बिल पर भुरकुंडा परियोजना का फरजी डिस्पैच नंबर अंकित कर उसे बिल भुगतान की प्रक्रिया में ला दिया गया है. यह बात जानकारी में आने पर एएफएम ऑफिस कर्मियों समेत भुरकुंडा परियोजना कार्यालय में हड़कंप है. मामले की जांच शुरू कर दी गयी है.
चर्चा है कि मेसर्स चंदा इलेक्ट्रिकल्स रामगढ़ व संवेदक अशोक सिंह सहित कई संवेदक, फर्म व सप्लायारों द्वारा पूर्व में भी इस तरह का फरजीवाड़ा किया जा चुका है. अब इस तरह के पुराने भुगतानों की भी क्रमवार जांच की जा रही है. जांच के दौरान प्रथम दृष्टया जो बातें आ रही हैं, उसके अनुसार यह एक बड़े घपले की ओर संकेत कर रहा है. फिलहाल जांच के दौरान कई बिलों को मिला कर 20-22 लाख रुपये का मामला पकड़ने की बात सामने आ चुकी है. भुरकुंडा परियोजना कार्यालय के कर्मियों में चर्चा है कि यह घोटाला 85 लाख रुपये तक का हो सकता है. बशर्ते जांच सही से होनी चाहिए.
लिखित शिकायत मिलने पर होगी जांच : जीएम
प्रक्षेत्र के जीएम प्रकाश चंदा ने बताया कि अभी तक मेरे संज्ञान में यह मामला लिखित रूप में नहीं आया है. लिखित रूप में मिलने पर जांच करायी जायेगी. दोषियों को बख्शा नहीं जायेगा.
नो वर्क, नो टेंडर, पहुंच गया बिल
बिल को जिस कार्य के एवज में भुगतान के लिए जमा किया गया है, उसका न तो टेंडर निकला. न ही वर्क ऑर्डर निकला. कोई काम नहीं हुआ. बावजूद बिल भुगतान के लिए एरिया ऑफिस पहुंच गया. यह बात स्थानीय कर्मचारी बता रहे हैं. यह मामला सीसीएल के ठेकेदारी कार्यप्रणाली की भी पोल खोलने के लिए काफी है. बताया गया कि पंप रिपेयरिंग, बेयरिंग खरीद आदि से जुड़ा यह कथित फरजी बिल है.

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