सुरेंद्र कुमार / शंकर पोद्दार रजरप्पा. रजरप्पा थाना क्षेत्र के भुचूंगडीह गांव के समीप अवैध खदान के मुहानों में लगी आग पर अब तक काबू नहीं पायी गयी है. जिला प्रशासन व सीसीएल रजरप्पा के अधिकारियों द्वारा लगातार आग बुझाने के लिए कार्य किया जा रहा है. इन मुहानों में दो अग्निशमन वाहन के साथ भैरवी नदी से पाइपलाइन के माध्यम से पानी पहुंचाया जा रहा है. दमकल कर्मियों द्वारा पानी का छिड़काव किया जा रहा है. बुधवार को भी आग की लपट जस की तस है. जगह-जगह खदान के ऊपर से आग की लपट निकल रही है. किसी ने यह अंदाजा नहीं लगा पाया है कि सुरंगनुमा अवैध खदान के अंदर कितनी दूर तक आग फैली हुई है. सांसद मनीष जायसवाल ने भी घटना को लेकर सवाल खड़ा किया है. इसकी भी खोजबीन होनी चाहिए. हालांकि, रामगढ़ जिला खनन पदाधिकारी निशांत कुमार, चितरपुर सीओ दीपक मिंज के अलावा सीसीएल रजरप्पा के अधिकारी दिन रात आग बुझाने में लगे हैं. आखिर किसने बनायी अवैध सुरंग : यह अवैध खदान कोई एक-दो साल की नहीं है, बल्कि लगभग 40 साल से अधिक समय से यहां अवैध खनन कर कोयले की तस्करी की जा रही थी. ग्रामीणों का कहना था कि जब यहां कोयला का पता चला था, तो उस समय कुछ लोग जलावन के लिए कोयले को निकाल कर ले जाते थे. जब तस्करों की इस पर नजर पड़ी, तो इसे मूल खदान ही बना दिया. लोगों का कहना है कि इस अवैध खदान को बनाने में गांव के ही कुछ लोग शामिल थे. रामगढ़ जिला के कई तस्कर भी पिछले कुछ साल से यहां से कोयला निकाल रहे थे. जिसमें कई मजदूरों को लगा कर कोयले को पश्चिम बंगाल के डाकागढ़ा सहित कई जगहों में भेजा जाता था. लोगों का कहना है कि काफी वर्षों से खनन होने के कारण उक्त खदानों में काफी लंबी सुरंग बन गयी है. अब सवाल उठता है कि इतना होने के बावजूद प्रशासन का नजर क्यों नहीं गया. तस्करी के कारण यहां से करोड़ों रुपये की कोयले की चोरी की गयी और अब इस अगलगी से भी करोड़ों रुपये के नुकसान होने की बात कही जा रही है. लोगों का कहना है कि यहां से कोयला निकालने वाले तस्कर मालामाल हो गये हैं. उधर, सीसीएल रजरप्पा प्रबंधन ने भी इस घटना से साफ रूप से पल्ला झाड़ लिया कि यह क्षेत्र सीसीएल रजरप्पा के अधिग्रहित क्षेत्र से बाहर है.
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