प्रतिनिधि, मेदिनीनगर महिलाओं के खिलाफ अत्याचार, उत्पीड़न व अपराध की घटनाओं में वृद्धि को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने महिला सुरक्षा की दिशा में एक सशक्त पहल की है. डीआइजी नौशाद आलम ने पलामू, लातेहार व गढ़वा में महिला थाना या जिला मुख्यालय स्तर पर महिला कोषांग का पुनर्गठन करने का आदेश दिया है. डीआइजी ने कहा कि घरेलू हिंसा, कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न, बालिका तस्करी, दहेज प्रताड़ना, डायन प्रथा व वृद्ध महिलाओं पर हो रहे अत्याचार की रोकथाम के लिए केवल पुलिस कार्रवाई पर्याप्त नहीं है. बल्कि इसमें समाज की सक्रिय भागीदारी आवश्यक है. उन्होंने कहा कि नाबालिग बालिकाएं बलात्कार, अपहरण व तस्करी का शिकार हो रही है. दहेज प्रथा के कारण नवविवाहित महिलाओं को ससुराल में यातनाएं दी जा रही है. शिक्षा से वंचित, विधवा व वृद्ध महिलाओं को ग्रामीण क्षेत्रों में डायन बताकर अमानवीय यातना देने का भी मामला सामने आ रहा है. नवविवाहितों की हत्या, डायन प्रकरण व वृद्ध के साथ दुर्व्यवहार जैसे गंभीर मामलों में कानून के तहत प्राथमिकी दर्ज होने के बावजूद भी अंकुश नहीं लग पा रहा है. इसके लिए जिला मुख्यालय, जिला के प्रत्येक महिला थाना में पुलिस महिला कोषांग का पुनर्गठन किया जाना आवश्यक है. इसमें जिले के एसपी अध्यक्ष होंगे, जबकि डीएसपी मुख्यालय सचिव, पुलिस निरीक्षक, महिला थाना प्रभारी, महिला सहायक अवर निरीक्षक, महिला हवलदार, उपसमाहर्ता कोटि के दो पदाधिकारी जिला कल्याण पदाधिकारी व जिला समाज कल्याण पदाधिकारी सदस्य होंगे. इसके अलावा गैर सरकारी सदस्य के रूप में एक महिला समाजसेवी, एक महिला महाविद्यालय की प्राचार्य, महिला चिकित्सक, महिला अधिवक्ता, महाविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग के अध्यापक इसके सदस्य होंगे. उन्होंने कहा कि महिला कोषांग की बैठक प्रत्येक माह कम से कम दो बार अध्यक्ष की अध्यक्षता में आयोजित की जायेगी. यदि अध्यक्ष उपस्थित नहीं हो सके तो. सचिव या पुलिस निरीक्षक के नेतृत्व में बैठक आयोजित की जायेगी. महिला कोषांग के द्वारा की गयी कार्यवाही की मासिक रूप रिपोर्ट कोषांग के सचिव द्वारा तैयार की जायेगी. जिसे जिला के पुलिस अधीक्षक व अपराध अनुसंधान विभाग को भेजा जायेगा.
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