श्रीरामचरित मानस नावाह्न परायण महायज्ञ का अधिवेशन शुरू
प्रतिनिधि, मेदिनीनगर
शहर के साहित्य समाज चौक के समीप तुलसीमानस मंदिर परिसर में श्रीरामचरित मानस नावाह्न परायण महायज्ञ का 73 वां अधिवेशन शुरू हुआ. मंगलवार को सायंकालीन सत्र में उच्च कोटी के विद्वान प्रवक्ताओं ने प्रभु श्रीराम की पावन कथा का रसपान कराया. धर्म गुरु सत्यकेतु संजय ने कहा कि श्रीरामचरित मानस में मानवीय मूल्यों के उच्च आदर्शों का समावेश है.प्रभु श्रीराम ने समाज में जो मर्यादा व आदर्श स्थापित किया है उसे अपने जीवन में आत्मसात करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि समाज में बलवान,धनवान व विद्वान की अपेक्षा चरित्रवान का विशेष महत्व है. प्रभु श्रीराम का आदर्श जीवन चरित्र मानव को चरित्रवान बनने की प्रेरणा देता है.उन्होंने श्रीराम भक्त हनुमान के चरित्र के विभिन्न आयामों पर विस्तार से प्रकाश डाला.उन्होंने कहा कि हनुमान जी सेवा और समर्पण के प्रतिक है.यही वजह है कि वे प्रभु श्री राम के परम प्रिय भक्तों में से एक है. उन्होंने मानस के आधार पर बताया कि जीव को परमात्मा से मिलाने का कार्य संत करत है. हनुमान जी ने संत के रूप में अपनी भूमिका बखूबी निभाया और सुग्रीव, विभिषण, भरत को प्रभु श्रीराम से मिलन कराकर उनका संताप दूर किया.मानस मर्मज्ञ पंडित ओमप्रकाश दुबे ने श्रीरामचरित मानस की महिमा का बखान किया. उन्होंने कहा कि यह ऐसा सदग्रंथ है, जो व्यक्ति के जीवन के सभी संतापों को दूर कर असीम सुख, शांति व आनंद प्राप्त कराता है.उन्होंने कहा कि प्रभु श्रीराम की पावन कथा के संदेश व जीवन चरित्र को अपनाने से ही मानव जीवन का कल्याण होगा. कार्यक्रम का संचालन रविशंकर पांडेय ने किया. मौके पर यज्ञ समिति के अध्यक्ष भरत सिंह, कार्यकारी अध्यक्ष कृष्ण मोहन पांडेय, कोषाध्यक्ष रविशंकर उपाध्याय, सचिव मनीष भिवानियां, पूर्व डीप्टी मेयर राकेश सिंह उर्फ मंगल सिंह सहित काफी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

