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मिला सिर्फ 414 परिवारों को नल जल कनेक्शन, बताया गया 2,892 परिवार

विश्व जल दिवस के अवसर पर नावा बाजार प्रखंड के 12 गांवों में ग्रामसभा के माध्यम से जल जीवन मिशन योजना का सामाजिक अंकेक्षण किया गया.

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नावा बाजार. विश्व जल दिवस के अवसर पर नावा बाजार प्रखंड के 12 गांवों में ग्रामसभा के माध्यम से जल जीवन मिशन योजना का सामाजिक अंकेक्षण किया गया. जन सुनवाई में जल जीवन मिशन की खामियों को उजागर किया गया. सामाजिक अंकेक्षण में पायी गयी अनियमितताओं एवं समस्याओं को लेकर पुनः प्रखंड कार्यालय परिसर नावा बाजार में जन सुनवाई की गयी. इसके लिए ज्यूरी पैनल में बलराम सिंह सर्वोच्च न्यायालय के कमिश्नर के पूर्व राज्य सलाहकार, झारखंड सोशल ऑडिट कार्यकारिणी सदस्य जेम्स हेरेंज, प्रमुख विद्या देवी, अधिवक्ता राजीव रंजन, अंचलाधिकारी पदाधिकारी शैलेश कुमार आदि मौजूद थे. जनसुनवाई में विकास सहयोग केंद्र संस्था के जवाहर मेहता ने सामाजिक अंकेक्षण एवं जनसुनवाई की अवधारणा एवं जल जीवन मिशन योजना के बारे में जानकारी दी. इसके बाद सुभद्रा पाणिग्रही ने 12 गांवों की ऑडिट रिपोर्ट को प्रस्तुत किया. उसके बाद ग्राम सरौना, खोखमा, तुकबेरा, रजहारा, चेचारिया, सिंजो, इटको, नेनुआ, बन्दुआ, हटाई, कुम्भी खुर्द एवं ठेकही की अलग-अलग फैक्ट फाईंडिंग रिपोर्ट ज्यूरी के समक्ष रखी गयी और इसकी संपुष्टि की गयी.

ये खामियां हुईं उजागर

जनसुनवाई में यह मामला सामने आया कि सरकारी आंकड़े में नल जल कनेक्शन 12 गांवों में 2,892 परिवारों मिला है, पर वास्तव में केवल 414 परिवारों को नल जल कनेक्शन उपलब्ध है. विद्यालय और आंगनबाड़ी केंद्रों में जलापूर्ति 45 दिखाया गया है, जबकि 16 में ही नल जल कनेक्शन है. सरकारी व्यय के मामले में जल जीवन मिशन के लिए 4,222 लाख रुपये स्वीकृत थे. जिसमें से 3,266 लाख रुपये खर्च किये जा चुके हैं, लेकिन जल आपूर्ति की स्थिति अत्यंत दयनीय है. 57 जल मीनारें ही कार्यरत हैं, जबकि 50 जल मीनारें बंद पड़ी हैं. 87 पानी समिति सदस्यों के सर्वेक्षण से पता चला कि केवल 18% सदस्यों को अपनी जिम्मेदारियों की जानकारी है, केवल 13% सदस्यों को जल परीक्षण किट की जानकारी है. वहीं 14% सदस्यों को जल समिति सदस्य के रूप में कोई प्रशिक्षण मिला है. जल जीवन मिशन के लाभुक में बहुत से नाम फर्जी हैं, जो उस गांव में नहीं रहते हैं. सामाजिक अंकेक्षण में पता चला कि वे दूसरे गांव के हैं. कुछ ऐसे भी मामले पाये गये जो दूसरे प्रखंड के हैं . जैसे -खोखमा गांव में दिखाये सभी 112 लाभुक उस गांव के नहीं है. रजहरा गांव में 28 लाभुक फर्जी हैं, जो पड़वा प्रखंड के लोहडी गांव के हैं. आश्चर्य की बात है कि इन्हें दोनों गांव को लाभुक दिखाया गया है. इसी तरह इटको में 42 सिंजो में 30 सरौना में 26 लाभुक दूसरे गांव के हैं. जनसुनवाई में अधिकारी के तौर लोक स्वास्थ्य अभियांत्रिक विभाग ( पीएचइडी ) से महेंद्र प्रसाद उपस्थित थे जिनसे ज्यूरी टीम के द्वारा जनसुनवाई के दौरान आये मामले पर जवाब देने को कहा. वहीं एजेंसी के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया. मौके पर राजमनी सिंह, अमरेश चंद्र, दुखनी देवी, राजेंद्र सिंह, देवकरण सिंह सहित कई लोगों ने अपने गांव की समस्याओं को रखा.

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